Ayurvediya Sharir Kriya Vigyan

Mishra,Krishan Kumar

Ayurvediya Sharir Kriya Vigyan - Varanasi Chaukhamba Surbharati Prakashan 2019 - 291p.

विषय सूची
प्रथम भाग
अध्याय
पेज नं.
अध्याय
1. किया शारीर
1-15
क्रिया शारीर
1
क्रिया शारीर ज्ञान का प्रयोजन
1
किया शारीर के मूलभूत सिद्धान्त 2
पञ्चमहाभूत
2
त्रिदोष
5
त्रिगुण
7
लोक-पुरुष साम्य
9
सामान्य विशेष सिद्धान्त
10
4.
वातदोष
स्त्रोतस
11
दोषों का पञ्चभौतिक संगठन
13
धातु एवं मलों का पञ्चभौतिक
संगठन
14
2.
शारीर
16-31
शारीर की परिभाष एवं निरुक्ति
16
शारीर के पर्याय
18
क्रिया
19
शरीरिक एवं मानसिक दोष
20
त्रिगुण-त्रिदोष सम्बन्ध
25
पेजन
ऋतु-दोष-रस एवं गुण में सम्बंध ऋतु के अनुसार दोषों का चय, प्रकोप, प्रशम
वय-दिन-रात्रि एवं मुक्त अन्न का
जैविकलय
प्रकृति निर्माण में दोषों का महत्व
स्वास्थ्य रक्षम में दोषों का महत्व
प्राकृत एवं वैकृत दोष
वात दोष की व्युत्पत्ति, निरुक्ति
वात दोष की प्रधानता
वात दोष के स्थान
वात दोष के गुण एवं कर्म
वात दोष के भेद
प्राण वायु के स्थान एवं कर्म
उदान वायु के स्थान एवं कर्म
समान वायु के स्थान एवं कर्म
व्यान वायु के स्थान एवं कर्म
अपान वायु के स्थान एवं कर्म
40-
त्रिगुण-पञ्चमहाभूत समांध
25
वात वृद्धि के लक्षण
शारीर एवं शरीरि
26
वात क्षय के लक्षण
पुरुष एवं पुरुष का वर्गीकर
श्वासोच्छ्‌वास प्रक्रिया
षडधातु पुरुष का चिकित्सीय
उदान वायु द्वारा वाणी की प्रवृत्ति
महत्व
पित्त दोष
3. दोष
वात दोष की व्युत्पत्ति, निरुक्ति
दोष की निरुक्ति, व्युत्पत्ति
परिभाषा
पित्त दोष का स्वरुप एवं स्थान
पित्त दोष के गुण
आयुर्वेद शारीर क्रिया विज्ञान
अध्याय
अध्याय
12. मल विवेचन
240-264
पश्चज्ञानेन्द्रिय द्रव्य
चल की लिरुतिः
240
पत्रज्ञानेन्द्रिय अधिष्ठान
गंल एवं किट्ट
पक्षज्ञानेन्द्रिय अर्थ
मलों की संख्या
250
पक्षज्ञानेन्द्रिय बुद्धि
मांगी की महत्ता
251
स्पर्शनन्द्रिय, रसनेन्द्रिय
A) पुरीष विवेचन
252-256
घ्राणेन्द्रिय, चक्षुरिन्द्रिय
पुरीष निर्माण
252
श्रोतेन्द्रिय
253
कर्मेन्द्रियां
पुरीषधरा कला
पुरीष की मात्रा
253
14. मनस् विवेचन
पुरीष वह स्रोतस
254
मन की निरुक्ति एवं प
पुरीष क्षय-वृद्धि के लक्षण
255
मन का स्वरूप एवं उ
साम एवं निराम पुरीष
255
मन का स्थान
B) मूत्र विवेचन
256-260
मन के लक्षण
मूत्र से सम्बन्धी अंङ्ग
256
मन के गुण एवं विषय
मूत्रोत्पत्ति
257
मन के कर्म
मूत्रवह स्रोतस
258
मनोवह स्रोतस
मूत्र की मात्रा
258
15. आत्मा विवेचन
मूत्र के कार्य
258
मूत्रक्षय एवं वृद्धि के लक्षण
आत्मा की निरुक्ति एव
259
मूत्र परीक्षा
आत्मा के प्रकार
260
C) स्वेद विवेचन
परमात्मा
260-262
स्वेद एवं स्वेदवह स्रोतस्
260
स्वेद का प्रमाण
261
स्वेद का कर्म
261
स्वेद क्षय एवं वृद्धि लक्षण
262
जीवात्मा
लिङ्ग शारीर
16. निद्रा एवं स्वप्न
निद्रा की उत्पत्ति
निद्रा का महत्व
D) धातुमल विवेचन
260-264
निद्रा के लाभ
धातु मल
262
कफ, पित्त एवं खमल
263
निद्रा के भेद
स्वेद, अस्थि-मज्जा-शुक्र का मल 264
निद्रा का चिकित्सीय
13. पञ्चज्ञानेन्द्रियां
265-272
स्वप्न
ज्ञानेन्द्रिय उत्पत्ति
265
स्वप्न के कारण
ज्ञानेन्द्रिय का पोषण
266
स्वप्न के भेद
पञ्चज्ञानेन्द्रियां
स्वप्न के फ

9788193371824

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