Amratmaya Shiv Puran : Kalyugi Kasta Vinashak (Record no. 17029)

MARC details
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003 - CONTROL NUMBER IDENTIFIER
control field OSt
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008 - FIXED-LENGTH DATA ELEMENTS--GENERAL INFORMATION
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020 ## - INTERNATIONAL STANDARD BOOK NUMBER
International Standard Book Number 9789382998907
041 ## - LANGUAGE CODE
Language code of text/sound track or separate title HINDI
082 ## - DEWEY DECIMAL CLASSIFICATION NUMBER
Classification number 294.5925 SAI
100 ## - MAIN ENTRY--PERSONAL NAME
Author name Saini,Dhoom Singh
245 ## - TITLE STATEMENT
Title Amratmaya Shiv Puran : Kalyugi Kasta Vinashak
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC. (IMPRINT)
Place of publication, distribution, etc. New Delhi
Name of publisher, distributor, etc. Shvinak Prakashan
Date of publication, distribution, etc. 2017
300 ## - PHYSICAL DESCRIPTION
Page 568p.
500 ## - GENERAL NOTE
General note विषय-सूची<br/>अमृत-मय "शिव-पुराण" (शिव पुराण का माहात्मय)<br/>1. शौनक आदि परम तपस्वियो का सूत जी से शिव पुराण का माहात्मय पूछना<br/>2. शिव पुराण को सुनकर देवराज नामक ब्राह्मण को शिव लोक की प्राप्ति<br/>3. शिव पुराण को सुनकर एक व्याभिचारी स्त्री चंचला को वैराग्य हो गया<br/>4. शिव पुराण की भक्ति पाकर चंचला को मोक्ष की प्राप्ति<br/>5. पार्वती की आज्ञापाकर तुम्बुरू का विधयाचल पर्वत पर जाकर बिन्दुग पिशाच को शिव पुराण की कथा सुनाकर उसका पिशाच योनि से उद्धार करना<br/>6. अमृतमय शिव पुराण को कहने सुनने की विधि<br/>7. शिव भक्ति में शक्ति<br/>अमृत-मय "शिव-पुराण" प्रथम-खण्ड (विद्येश्वर संहिता)<br/>1. प्रयागराज में मुनियो का समागम तथा सूत जी से कलियुगी पाप नाशक उपाय पूछना।<br/>2. सूत जी द्वारा ऋषि-मुनियो को कलियुगी पाप निवारण उपाय बतलाना<br/>3. "अमृतमय शिव पुराण की संहिताओ के भेद"<br/>4. "साध्य, साधन आदि पर विचार तथा श्रवण, लीलाओ का गुणगान एवं मनन<br/>इन तीनो साधनो का करना श्रेष्ट साधन है"<br/>5. भगवान शिव के लिंगेश्वर स्वरूप का महत्व<br/>6. भगवान शिव का ब्रह्मा और विष्णु जी को महा शिव रात्री का महत्व बतलाना<br/>7. शिव शंकर जी द्वारा ब्रहमा विष्णु को ज्ञानात्मक उपदेश देना<br/>8. सूत जी द्वारा शिवलिंग स्थापना विधि एवं उससे प्राप्त होने वाले फल का वर्णन सुनाना<br/>9. मोक्ष दायक पुण्य क्षेत्रों का वर्णन और उनसे स्नान, दान आदि का महत्व<br/>10. देवो के देव महादेव जी द्वारा ब्रह्मा विष्णु के विवाद को समाप्त करना<br/>11. शिव का महर्षि दधिची और नारद की तपस्या से प्रश्न होकर उन्हें दर्शन एवं वरदान देना<br/>12. सदाचार एवं गायत्री जप, दान आदि की महिमा का वर्णन<br/>13. सूत जी द्वारा अग्नि यज्ञ, देवयज्ञ और ब्रह्मा या आदि का वर्णन<br/>14. देश, काल, पात्र, और दान आदि का ज्ञान कराना<br/>15. मिट्टी आदि से बनायी हुयी देव प्रतिमाओं के पूजन की विचि<br/>16. प्रणव पंचा क्षरो का महात्त्मय एवं महिमा का वर्णन<br/>17. शौनक आदि ऋषियों द्वारा बन्धन और मोक्ष की जानकारी प्राप्त करना<br/>18. पार्थिव लिंग के निर्माण एंव पूजन की विधि<br/>19. पार्थिव शिव लिंग की पूजा की महिमा<br/>20. सूत जी द्वारा नाम की महिमा का वर्णन करना<br/>21. भस्म एवं रूद्राक्ष की महिमा का महात्त्मय<br/>अमृत-मय "शिव-पुराण" दूसरा-खण्ड (रुद्र-संहिता)<br/>1. नारद की तपस्या से घबराकर देवराज इन्द्र का कामदेव को उनकी तपस्या भंग करने का आदेश देना।<br/>2. विष्णु जी द्वारा देवर्षि नारद के अभिमान को खण्डित करना<br/>3. देवर्षि नारद का क्रोध वश विष्णु को शाप देना और फिर उसका पश्चाताप करना<br/>4. नारदजी का अनेको तीर्थो मे जाना और शापित हुए शिवगणो को उनकी मुक्ति का उपाय बताकर ब्रह्मा जी से शिव तत्व का प्रश्न पूछना<br/>5. लोक पितामह ब्रह्मा जी द्वारा नारद को अपनी उत्पत्ति की कथा सुनाना<br/>6. विष्णु और ब्रह्मा को भगवान शिव के शब्दमय शरीर के दर्शन होना<br/>7. भगवान शिव का पार्वती सहित प्रकट होना तथा ब्रह्मा, विष्णु को उनके कर्त्तव्यो का ज्ञान कराना।<br/>8. ब्रह्मा जी द्वारा नारद को शिव पूजन की विधि तथा उसका फल बतलाना<br/>9. देवताओं एवं मुनियों को विष्णु के आदेश से विश्कर्मा द्वारा शिवलिंग प्रदान करना<br/>10. बह्मा जी द्वारा शिव पूजन की सर्व श्रेष्ठ विधि का बतलाना<br/>11. नारद जी का ब्रह्मा जी से पुष्पो, अन्नो आदि से की गयी शिव भक्ति का माहात्मय पूछना<br/>12. ब्रह्मा जी द्वारा देवर्षि नारद को सृष्टि का वर्णन सुनाना<br/>13. ब्रह्मा जी द्वारा नारद को सृष्टि उत्पत्ति का वर्णन सुनाना<br/>14. नारद जी का शिव भक्तों को शिव प्रेरणा से जुड़ी एक कथा का सुनाना<br/>15. देवर्षि नारद द्वारा देवराज इन्द्र आदि देवताओं को न्याय और नीति एवं सात्विक व तामसिक प्रवृत्ति का ज्ञान कराना<br/>16. शुक्रचार्य का दैत्यो के उत्थान के लिए भोले नाथ की शरण में जाकर हट करना
942 ## - ADDED ENTRY ELEMENTS (KOHA)
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Koha item type BOOKS
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