General note |
विषय-सूची<br/>पदार्थ विज्ञान एवं आयुर्वेद इतिहास आयुर्वेद, पदार्थ और दर्शन (प्रश्नपत्र प्रथम)<br/>खण्ड अ ५० अंक<br/>प्रथम-अध्याय- आयुर्वेद निरुपण<br/>१. लक्षण, सूत्र, महत्त्व, आवश्यकता, उपादेयता, निरुक्ति, व्युत्पत्ति<br/>२. आयु के लक्षण एवं उसके संघटक, आयुर्वेद के लक्षण<br/>३. सिद्धान्त के लक्षण एवं उसके भेद<br/>४. आयुर्वेद के मूलभूत (मौलिक) सिद्धान्तों का परिचय एवं उनकी आयुर्वेद में उपादेयता और महत्त्व<br/>द्वितीय अध्याय - आयुर्वेद दर्शन निरुपण<br/>१. आयुर्वेद के मौलिक सिद्धान्तों की दार्शनिक पृष्ठभूमि<br/>२. दर्शन शब्द की व्युत्पत्ति, दर्शन के प्रकार तथा भारतीय दर्शनों की संक्षिप्त जानकारी के साथ न्याय, वैशेषिक, सांख्य, योग दर्शन का वर्णन<br/>३. आयुर्वेद एक श्रेष्ठ एवं स्वतंत्र दर्शन<br/>४. पदार्थ लक्षण, संख्या, भेद, भाव और अभाव पदार्थ, चरक के अनुसार कारण पदार्थ<br/>तृतीय अध्याय - द्रव्य विज्ञानीयम्<br/>१. द्रव्य लक्षण, संख्या, भेद<br/>२. पञ्चमहाभूत-सृष्टि उत्पत्ति के विभिन्न सिद्धांत (तैत्तिरीयोपनिषद्, न्याय, वैशेषिक, सांख्य, योग, शंकराचार्य, चरक और सुश्रुत) प्रत्येक भूत के लक्षण और गुण<br/>३. काल-व्युत्पत्ति, लक्षण, भेद तथा काल का आयुर्वेद में महत्त्व<br/>४. दिक् लक्षण, भेद, आयुर्वेद में दिक् का महत्त्व<br/>५. आत्मा का लक्षण, भेद, अधिष्ठान, गुण, चरक के अनुसार आत्मा के लिंग, ज्ञान उत्पत्ति की प्रक्रिया (आत्मनः ज्ञानस्य प्रवृतिः)<br/>६. आयुर्वेद के अनुसार पुरुष-अतिवाहिक पुरुष/सूक्ष्मपुरुष/राशिपुरुष/ चिकित्सा पुरुष/कर्मपुरुष/षड्ङ्घात्वात्मक पुरुष<br/>७. मन का लक्षण, पर्याय, गुण, अर्थ, कार्य, उभयात्मकं मनः, व्याधियों का अधिष्ठान मन, मन का पञ्चभूतात्मकत्वम्<br/>८. देह प्रकृति और मानस प्रकृति में पञ्चमहाभूत एवं त्रिगुण की<br/>९. दशम् द्रव्य के रुप में तम<br/>१०. उपरोक्त द्रव्य विज्ञानीयम् (द्रव्य, पञ्चमहाभूत, काल, दिशा आत्मा, मन आदि) का आयुर्वेद में प्रायोगिक महत्त्व<br/>विषय<br/>(खण्ड-ब ५० अंक<br/>चतुर्थ अध्याय-गुण विज्ञानीयम्<br/>१. गुण की व्युत्पत्ति तथा लक्षण, न्याय, वैशेषिक और चरक के अनुसार गुणों के प्रकार एवं संख्या अर्था, गुर्वादि गुण, परादि गुण, अध्यात्यम गुण का वर्णन<br/>२. ४१ गुणों के प्रकार (या ४१ गुणों के लक्षण)<br/>३. गुण का प्रायोगिक और चिकित्सकीय महत्त्व<br/>पञ्चम अध्याय-कर्म विज्ञानीयम्<br/>१. कर्म का लक्षण, न्याय के अनुसार प्रकार<br/>२. कर्म का आयुर्वेद के अनुसार वर्णन<br/>३. कर्म का आयुर्वेद में प्रायोगिक उपयोग<br/>पष्ठ अध्याय- सामान्य विज्ञानीयम्<br/>१. सामान्य के लक्षण एवं भेद<br/>२२०,<br/>२. द्रव्य, गुण, कर्म के संदर्भ में सामान्य का प्रायोगिक उपयोग<br/>सप्तम अध्याय - विशेष विज्ञानीयम्<br/>१. विशेष का लक्षण एवं भेद<br/>२. द्रव्य, गुण, कर्म के संदर्भ में विशेष का प्रायोगिक उपयोग<br/>३. 'प्रवृत्तिरुभयस्य तु' का महत्त्व<br/>अष्टम अध्याय-समवाय विज्ञानीयम्<br/>१. समवाय का लक्षण<br/>२. समवाय का आयुर्वेद में प्रायोगिक और चिकित्सकीय उपयोग<br/>नवम अध्याय - अभाव विज्ञानीयम्<br/>१. अभाव का लक्षण एवं भेद<br/>२. अभाव का आयुर्वेद में चिकित्सकीय महत्त्व<br/>परिशिष्ट (Appendices) |