MARC details
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003 - CONTROL NUMBER IDENTIFIER |
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OSt |
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008 - FIXED-LENGTH DATA ELEMENTS--GENERAL INFORMATION |
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020 ## - INTERNATIONAL STANDARD BOOK NUMBER |
International Standard Book Number |
9788176370998 |
041 ## - LANGUAGE CODE |
Language code of text/sound track or separate title |
HINDI |
082 ## - DEWEY DECIMAL CLASSIFICATION NUMBER |
Classification number |
620.11 SRI |
100 ## - MAIN ENTRY--PERSONAL NAME |
Author name |
Srivastava,Shailaja |
245 ## - TITLE STATEMENT |
Title |
Ayurvediya Padartha Vijnana |
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC. (IMPRINT) |
Place of publication, distribution, etc. |
Varanasi |
Name of publisher, distributor, etc. |
Chaukhambha Orientalia |
Date of publication, distribution, etc. |
2022 |
300 ## - PHYSICAL DESCRIPTION |
Page |
360p. |
500 ## - GENERAL NOTE |
General note |
विषयानुक्रमणिका <br/>प्रथम अध्याय<br/>दार्शनिक पृष्ठभूमि एवं पदार्थ विज्ञान<br/>१- दर्शन शब्द की व्याख्या<br/>२- दर्शन की उत्पत्ति<br/>३- दर्शन एवं इसका विभाजन<br/>४- आस्तिक नास्तिक दर्शन<br/>१. न्याय दर्शन<br/>२. वैशेषिक दर्शन<br/>३. सांख्य दर्शन<br/>४. योग दर्शन<br/>५. मीमांसा दर्शन (पूर्व मीमांसा)<br/>६. वेदान्त दर्शन (उत्तर मीमांसा)<br/>५- नास्तिक दर्शन<br/>१. चार्वाक दर्शन<br/>२. जैन दर्शन<br/>३. बौद्ध दर्शन<br/>६- आयुर्वेद पर अन्य दर्शनों का प्रभाव<br/>७- आयुर्वेद और वैशेषिक दर्शन<br/>८- आयुर्वेद और न्याय दर्शन<br/>९- आयुर्वेद और सांख्य दर्शन<br/>१०- आयुर्वेद और योग दर्शन<br/>११- आयुर्वेद और मीमांसा दर्शन<br/>१२- आयुर्वेद और वेदान्त दर्शन<br/>१३- आयुर्वेद एक स्वतंत्र मौलिक दर्शन<br/>द्वितीय अध्याय<br/>पदार्थ निरूपण<br/>१- पदार्थ शब्द की व्युत्पत्ति<br/>१. अस्तित्व<br/>२. अभिधेयत्व<br/>३. ज्ञेयत्व<br/>२- पदार्थों का विभाजन एवं उसकी संख्या<br/>-भाव पदार्थ द्रव्य-गुण-कर्म-सामान्य-विशेष और समवाय<br/>- अभाव पदार्थ-संसर्गाभाव (प्राग्भाव, प्रध्वंसाभाव, अत्यन्ताभाव)<br/>और अन्योन्याभाव<br/>३- पदार्थों का साधर्म्य वैधार्य<br/>-- आयुर्वेदीय पदार्थ विज्ञान की उत्पत्ति<br/>- द्रव्य विज्ञान<br/>- द्रव्य के लक्षण<br/>- द्रव्यों की संख्या<br/>- द्रव्य के अन्य भेद<br/>(i) कार्य द्रव्य<br/>- चेतन द्रव्य<br/>- चेतन के भेद<br/>१- अन्तश्चेतन द्रव्यों के भेद-वनस्पति, वानस्पत्य, विरुद्, औषध<br/>२- बहिरन्तश्चेतन द्रव्य-जरायुज, अण्डज, स्वेदज, उद्भिज, अचेतन-खनिज, कृत्रिम<br/>(ii) कारण द्रव्य<br/>पंचमहाभूत<br/>१. आकाश निरूपण<br/>आकाश की सिद्धि<br/>शरीर के आकाशात्मक भाव<br/>२. वायु निरूपण<br/>वायु के भेद<br/>लोकगत वायु<br/>शरीर गत वायु- प्राण, उदान, समान, व्यान और अपान वायु<br/>. तेज निरूपण<br/>तेज के भेद<br/>विद्युत निरूपण<br/>जल निरूपण<br/>जल के भेद<br/>जल की अवस्थायें-अम्भ, मरीची, मर और अप्<br/>शरीर में जल महाभूत<br/>५. पृथ्वी निरूपण<br/>पृथ्वी के भेद<br/>कारण द्रव्यों का द्रव्यत्व की सिद्धि<br/>तम का दशम द्रव्यत्व के रूप में खण्डन<br/>पंचमहाभूत के भौतिक गुण<br/>पंचमहाभूत के नौसर्गिक गुण<br/>- पंचमहाभूत से त्रिदोषोत्पत्ति<br/>पंचमहाभूतों के सत्वादि गुण<br/>त्रिगुण<br/>पंचमहाभूतों की आयुर्वेद में उपयोगिता<br/>आत्मा की निरुक्ति<br/>आत्मा का स्वरूप<br/>आत्मा का लक्षण<br/>आत्मा के भेद<br/>परमात्मा<br/>परमात्मा के लक्षण<br/>जीवात्मा<br/>लिङ्गशरीर या सूक्ष्मशरीर या अतिवाहिकशरीर स्थूल चेतन शरीर, कर्म, राशि और चिकित्स्य पुरुष<br/>चिकित्स्य पुरुष<br/>षड्रधात्वात्मक पुरुष<br/>एक धातुज (चेतना धातु) पुरुष<br/>चतुर्विंशति धात्वात्मक पुरुष<br/>आत्मा के ज्ञान की प्रवृत्ति<br/>आत्मा की उत्पत्ति<br/>देहातिरिक्त आत्मा का अस्तित्व<br/>२. मन का निरुपण<br/>२. मन की निरुक्ति<br/>३. मन के पर्याय<br/>४. मन का विषय<br/>५. मन का गुण<br/>६. मन के कर्म<br/>७. मन का स्थान<br/>३०- काल-निरुपण<br/>१. काल का लक्षण<br/>२. काल के भेद<br/>३१- आयुर्वेद में काल का महत्व<br/>३२- दिक्-निरुपण<br/>१. दिशा का लक्षण<br/>२. दिशा के पर्याय<br/>३. आयुर्वेद में दिक् का महत्त्व<br/>तृतीय अध्याय<br/>गुण-विज्ञानीय<br/>१- गुण-निरुपण<br/>- वैशेषिक या इन्द्रिय गुण<br/>- गुणों की संख्या<br/>- गुर्वादय गुण<br/>- आत्म या आध्यात्म गुण<br/>- परादि गुण<br/>- वैशेषिक दर्शनानुसार गुण<br/>- न्याय दर्शनानुसार गुण<br/>-चरकोक्त गुणों का न्यायोक्त गुणों में समन्वय<br/>- गुण स्वरूप निर्णय<br/>- गुणों का वर्गीकरण<br/>२- शब्दादि गुण निरुपण<br/>- वैशेषिक गुण-शब्द, स्पर्श, रूप, रस, गन्ध<br/>३- शब्दादि गुणों की उपयोगिता<br/>४- गुर्वादि या बीस गुणों का निरुपण<br/>५- बुद्धयादि गुण निरुपण (आध्यात्म गुण)<br/>६- परादि दश गुणों का निरुपण (सामान्य गुण)<br/>७- द्वन्द्व गुण- निरुपण<br/>नवम् अध्याय<br/>प्रमाण विज्ञान का निरूपण<br/>१- प्रमाण की निरुक्ति<br/>२- प्रमाण का लक्षण<br/>३- प्रमाण का पर्याय<br/>४- प्रमाण और परीक्षा<br/>५- प्रमा अप्रमा<br/>६- स्मृति<br/>७- प्रमेय<br/>८- प्रमाण<br/>दशम् अध्याय<br/>आप्तोपदेश प्रमाण का निरूपण<br/>- आप्तोपदेश के प्रकार<br/>- आप्तोपदेश के पर्याय<br/>-आप्त, शिष्ट और विबुद्ध<br/>१- ऐतिह्य प्रमाण<br/>२- शब्द प्रमाण<br/>३- वाक्य का स्वरूप<br/>वाक्य के भेद<br/>४- वाक्यार्थ ज्ञान में हेतु आकांक्षा, योग्यता और सन्निधि (आसत्ति)<br/>५- वाक्यार्थ या शब्दार्थ बोधक वृत्तियां-<br/>६- अभिधा, लक्षणा, व्यंजना और तात्पर्याख्य वृत्तियां<br/>७- अनेकार्थ शब्द से किसी एक ही अर्थ की प्रतीति में कारण<br/>८- पद के लक्षण<br/>९- निघण्टु के लक्षण<br/>१०-शास्त्र के लक्षण<br/>एकादश अध्याय<br/>प्रत्यक्ष प्रमाण-निरुपण<br/>१- प्रत्यक्ष प्रमाण के लक्षण<br/>२- इन्द्रियों का स्वरूप एवं लक्षण<br/>३- ज्ञानोत्पत्ति के प्रकार<br/>-क्षणिक ज्ञानोत्पत्ति या बुद्धि<br/>-निश्चयात्मक ज्ञानोत्पत्ति या बुद्धि<br/>४- इन्द्रियों की विशेषतायें<br/>५- इन्द्रियों का श्रेणी विभाजन और संख्या<br/>१. ज्ञानेन्द्रियां<br/>२. कर्मेन्द्रियां<br/>३. उभयेन्द्रियां<br/>६- इन्द्रियां भौतिक हैं<br/>७- त्रयोदशकरण<br/>८- अन्तःकरण की वृत्तियां और प्राधान्य<br/>९- प्रत्यक्ष प्रमाण के भेद<br/>१. सविकल्प<br/>२. निर्विकल्प<br/>१०- सविकल्प के भेद- लौकिक और अलौकिक<br/>- बाह्येन्द्रिय प्रत्यक्ष-पंचज्ञानेन्द्रियाँ<br/>- अन्तरीन्द्रिय प्रत्यक्ष<br/>११- सन्निकर्ष का स्वरूप और भेद<br/>१. - संयोग<br/>२. - संयुक्तसमवाय<br/>३. - संयुक्त समवेत समवाय<br/>४. - समवाय<br/>५. - समवेत समवाय<br/>६. - विशेषण विशेष्यभाव<br/>१२- अलौकिक प्रत्यक्ष<br/>१. सामान्य लक्षणाप्रत्यासत्ति<br/>२. ज्ञान लक्षणाप्रत्यासत्ति<br/>३. योगज लक्षणाप्रत्यासत्ति- (१) युक्त (२) युञ्जान<br/>१३- आयुर्वेद में इन्द्रिय-सन्निकर्ष का स्वरूप<br/>१४- वेदना का अधिष्ठान<br/>१५- वेदनानाश का हेतु<br/>१६- इन्द्रियों की प्राप्यकारिता<br/>१७- प्रत्यक्ष ज्ञान के बाधक कारण<br/>१८- आधुनिक यंत्रों द्वारा प्रत्यक्ष ज्ञान<br/>१९- प्रत्यक्ष के अतिरिक्त अन्य प्रमाणों की आवश्यकता<br/>२०- आयुर्वेद में प्रत्यक्ष प्रमाण की उपयोगिता<br/>२१- इन्द्रियों द्वारा प्रत्यक्ष परीक्ष्य विषय<br/>१. श्रोत्रेन्द्रिय द्वारा परीक्ष्य विषय<br/>२. स्पर्शेन्द्रिय द्वारा परीक्ष्य विषय<br/>३. चक्षुरीन्द्रिय द्वारा परीक्ष्य विषय<br/>४. रसनेन्द्रिय द्वारा परीक्ष्य विषय<br/>५. घ्राणेन्द्रिय द्वारा परीक्ष्य विषय<br/>द्वादश अध्याय<br/>अनुमान-प्रमाण का निरूपण<br/>१- निरुक्ति, स्वरूप और लक्षण<br/>२- परामर्श<br/>३- व्याप्ति<br/>४- व्याप्ति के भेद<br/>५- अनुमान के भेद<br/>१. स्वार्थानुमान<br/>२. परार्थानुमान<br/>६- पञ्चावयव<br/>७- चरकोक्त अनुमान<br/>८- चरकोक्त अनुमान के भेद<br/>१. पूर्ववत्<br/>२. शेषवत<br/>३. सामान्यतो दृष्ट अनुमान<br/>९- लिङ्ग परामर्श<br/>१. अन्वय व्यतिरेकी<br/>२. केवलान्वयिव्यतिरेकी<br/>३. केवलव्यतिरेकी<br/>११- हेत्वाभास<br/>१२- हेत्वाभास के भेद<br/>१. सव्यभिचार<br/>(i) साधारण सव्यभिचार<br/>(ii) असाधारण सव्यभिचार<br/>(iii) अनुपसंहारी सव्यभिचार<br/>२. विरूद्ध हेत्वाभास<br/>३. सत्प्रतिपक्ष हेत्वाभास<br/>४. असिद्ध<br/>१. आश्रयासिद्ध<br/>२. स्वरूपासिद्ध<br/>३. व्याप्यत्वासिद्ध<br/>- बाधित<br/>५. तर्क<br/>६. तर्क का महत्त्व<br/>७. आयुर्वेद में अनुमान प्रमाण की उपादेयता<br/>त्रयोदश अध्याय<br/>युक्ति प्रमाण का निरूपण<br/>१- युक्ति प्रमाण की निरुक्ति तथा लक्षण<br/>२- युक्ति प्रमाण का उदाहरण<br/>३- युक्ति प्रमाण को स्वतंत्र प्रमाण मानना<br/>४- युक्ति प्रमाण की विशेषतायें<br/>चतुर्दश अध्याय<br/>उपमान प्रमाण का निरुपण<br/>१- उपमान प्रमाण के लक्षण और भेद<br/>१. साधर्म्य उपमान<br/>२. वर्धम्य उपमान<br/>३. धर्ममात्र उपमान<br/>२- आयुर्वेद में उपमान प्रमाण की उपयोगिता<br/>पञ्चदश अध्याय<br/>अन्य प्रमाणों का निरुपण<br/>१- अर्थापत्ति या अर्थ प्राप्ति प्रमाण<br/>२- अनुपलब्धि या प्रभाव प्रमाण<br/>३- सम्भव प्रमाण<br/>४- चेष्टा प्रमाण<br/>५- ऐतिहा (इतिहास) प्रमाण<br/>६- परिशेष प्रमाण<br/>७- प्रमाणों की संख्या<br/>८- त्रिविध प्रमाणों में सभी का समावेश<br/>९- आयुर्वेदोक्त प्रमाणों का त्रिविध प्रमाणों का समावेश<br/>षोडश अध्याय<br/>कार्य कारणभाव एवं विविधवाद<br/>१- कारण का स्वरुप<br/>२- कार्य<br/>३- करण<br/>४- कारण के भेद<br/>१. समवायिकारण<br/>२. असमवायिकारण<br/>३. निमित्तकारण<br/>५- कार्य-कारण सिद्धान्त<br/>६- सत्कार्यवाद<br/>१. असङ्करणात्<br/>२. उपादानग्रहणात्<br/>३. सर्वसम्भवामावात<br/>४. शक्तस्य-शक्यकरणात्<br/>५. कारणभावात<br/>सत्कार्यवाद के दो भेद हैं<br/>१. परिणामवाद<br/>२. विवर्तवाद<br/>७- असत्कार्यवाद (आरम्भवाद)<br/>८- परमाणुवाद<br/>९- क्षणभंगुरवाद<br/>१०- स्वभावोपरमवाद<br/>११- साम्य वैषभ्य सुश्रुतोक्तकारण षट्क<br/>१२- पीलूपाक व पिठरपाक<br/>१३- अनेकान्तवाद<br/>सप्तदश अध्याय<br/>सृष्टि उत्पत्ति क्रम एवं तत्त्व निरुपण<br/>१- चरकोक्त सृष्टिक्रम<br/>२- सुश्रुतोक्त सृष्टिक्रम<br/>३- पुरुष निरुपण<br/>४- प्रकृति एवं पुरुष का साधर्म्य<br/>५- प्रकृति एवं पुरुष का वैधर्म्य<br/>६- व्यक्त और अव्यक्त .<br/>७- सांख्यानुसार सृष्टि उत्पत्ति क्रम<br/>८- मूल प्रकृति (अव्यक्त)<br/>९- सप्तप्रकृति की उत्पत्ति<br/>१०- महान (बुद्धितत्त्व) की उत्पत्ति<br/>११- अंहकार की उत्पत्ति<br/>१२- पञ्चतन्मात्राओं की उत्पत्ति<br/>१३- पञ्चमहाभूतों की उत्पत्ति<br/>१४- इन्द्रियों की उत्पत्ति<br/>१५- तत्त्व विरुपण<br/>१६- तत्त्व का लक्षण<br/>१७- त्रिगुण निरूपण<br/>१८- त्रिगुण का अन्योन्याश्रयत्व<br/>अष्टादश अध्याय<br/>तंत्रयुक्ति-विज्ञान<br/>१- परिभाषा<br/>२- तंत्रयुक्ति का उद्देश्य<br/>तंत्रयुक्ति का महत्त्व<br/>तंत्रयुक्ति की संख्या<br/>तंत्र के गुण<br/>तंत्र के दोष<br/>चतुर्दश तंत्र दोष<br/>सात कल्पनायें<br/>सप्तदश ताच्छील्य<br/>- इक्कीस अर्थाश्रय विवेचन<br/> |
942 ## - ADDED ENTRY ELEMENTS (KOHA) |
Source of classification or shelving scheme |
Dewey Decimal Classification |
Koha item type |
BOOKS |