Susruta Samhita : Shaarira, Chikitsa avam Kalpasthan (Record no. 18182)
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003 - CONTROL NUMBER IDENTIFIER | |
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020 ## - INTERNATIONAL STANDARD BOOK NUMBER | |
International Standard Book Number | 9788176373227 |
041 ## - LANGUAGE CODE | |
Language code of text/sound track or separate title | HINDI |
082 ## - DEWEY DECIMAL CLASSIFICATION NUMBER | |
Classification number | 615.538 THA |
100 ## - MAIN ENTRY--PERSONAL NAME | |
Author name | Thakaral,Keval Krishana |
245 ## - TITLE STATEMENT | |
Title | Susruta Samhita : Shaarira, Chikitsa avam Kalpasthan |
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC. (IMPRINT) | |
Place of publication, distribution, etc. | Varanasi |
Name of publisher, distributor, etc. | Chaukhambha Orientalia |
Date of publication, distribution, etc. | 2019 |
300 ## - PHYSICAL DESCRIPTION | |
Page | 738p. |
500 ## - GENERAL NOTE | |
General note | विषयानुक्रमणिका (शारीरस्थान)<br/>प्रथमोऽध्यायः (प्रथम अध्याय)<br/>सर्वभूतचिन्तानामक शरीर की व्याख्या<br/>नष्टार्तव का कारण एवं चिकित्सा<br/>२<br/>१ प्रजोत्पादन के लिए समर्थ शुद्ध शुक्र<br/>२<br/>अव्यक्त का निरुपण<br/>महत्तत्व की उत्पत्ति<br/>इन्द्रियों की उत्पत्ति<br/>पञ्चतन्मात्राओं की उत्पत्ति<br/>१<br/>एवं शुद्ध आर्तव<br/>३<br/>ऋतुकाल में स्वी का आहार-विहार<br/>२<br/>३<br/>अऋतुकाल में मैथुन करने से दोष<br/>२<br/>२४ तत्वों की व्याख्या<br/>ज्ञान एवं कर्मेन्द्रियों के विषय<br/>३<br/>गर्भ स्थित होने पर पुत्र अथवा कन्या की कामना ३<br/>यम की उत्पत्ति<br/>३<br/>४<br/>आठ प्रकृतियां एवं १६ विकार<br/>नपुंसक सन्तान की उत्पत्ति<br/>३<br/>चौबीस तत्वों का वर्ग अचेतन<br/>५<br/>सन्तान की चेष्टाएँ<br/>३<br/>६<br/>प्रकृति तथा पुरुष के साधर्म्य तथा वैधर्म्य की व्याख्या ७<br/>पाप जन्य गर्भ आदि का वर्णन<br/>3<br/>पुरुष भी सत्व, रज, तमोमय कई आचार्यों का मत<br/>पूर्वजन्म के कर्मों का प्रभाव<br/>८<br/>वैद्य जगत का कारण स्वभाव मानते हैं<br/>तृतीयोऽध्यायः (तृतीय अध्याय)<br/>९<br/>अव्यक्त का चिकित्सा में उपयोग नहीं<br/>१२<br/>इन्द्रियां अपने-अपने निश्चित विषय को ही ग्रहण<br/>करती है<br/>१४<br/>आत्मा सर्वगत नहीं, नित्य होती है<br/>१४<br/>पञ्चभूत तथा आत्मा का समवाय र्कमपुरुष<br/>१४<br/>कर्मपुरुष के गुणों का निर्देश<br/>१५<br/>सात्विक, राजसिक मन के गुण<br/>१६<br/>आकाशादि महाभूतों के गुण<br/>१७<br/>पञ्चमहाभूतों के गुण एक दूसरे में प्रविष्ट कर<br/>जाते है<br/>१८<br/>द्वितीयोऽध्यायः (द्वितीय अध्याय)<br/>शुक्र शोणित शुद्धि शारीर अध्याय की व्याख्या<br/>गर्भावक्रान्ति शारीरं नामक अध्याय<br/>शुक्र तथा आर्तव का स्वरुप<br/>गर्भावतरण प्रक्रिया<br/>पुत्र, पुत्री, नपुंसक की उत्पत्ति के हेतु<br/>ऋतुकाल मर्यादा<br/>ऋतुकाल के पश्चात योनि की स्थिति<br/>युग्मदिन, अन्य दिनों में सम्भोग का फल<br/>सद्योगृहीतगर्भा के लक्षण<br/>गर्भिणी के लक्षण<br/>गर्भिणी क्या न करें<br/>गर्भ की मासानुमासिक वृद्धि<br/>गर्भिणी की इच्छापूर्ति से सन्तान पर प्रभाव<br/>२०<br/>दूषित शुक्र<br/>गर्भ पर पूर्व जन्म के कर्मों का प्रभाव<br/>२०<br/>पांचवें से आठवें माह के गर्भ का स्वरुप<br/>दोषों से दूषित शुक्र<br/>२०<br/>आठवें माह में उत्पन्न बालक जीता नहीं<br/>साध्य एवं असाध्य<br/>२०<br/>दूषित आर्तव<br/>गर्भ का पोषण<br/>२२<br/>गर्भोत्पत्ति क्रम के विभिन्न मत<br/>चिकित्सा<br/>२२<br/>शुद्ध शुक्र के लक्षण<br/>२४<br/>आर्तव शुद्धि की चिकित्सा<br/>२४<br/>शुद्ध आर्तव के लक्षण<br/>२५<br/>असृग्दर के लक्षण<br/>२५<br/>माता, पिता, रस, आत्मा, सत्व एवं सात्म्य से<br/>उत्पन्न होने वाले शरीर के भाग<br/>पुत्र, पुत्री अथवा नपुंसक के जन्म होने<br/>की पूर्व जानकारी<br/>(4x)<br/>अलस चूहे, कषाय दन्त, कुतिम अजित अपल फणिन कोकिल के काटने के राक्षण अरुण आदि पांच चूहों के काटने के लक्षण एवं<br/>मक्षिका के काटने पर लक्षण<br/>६९६<br/>मा के काटने पर ताण असाध्य माने जाने वाले कीट<br/>६९७<br/>सभी कार के चूहों के काटने पर विधि<br/>६९८<br/>६९८<br/>शिरीविरेचन एवं अम्रन<br/>६९९<br/>सिद्ध घृत पान<br/>६९९ ६९९<br/>विचरण की चिकित्वम<br/>विवयुत शव, पूत्रपुरीष केप<br/>क साध्य देश के लहाण<br/>उम्र विष वाले कीटों की विकिरणा<br/>वृतिक के काटने पर<br/>एक जाति वाले कीटों के लिए अगद<br/>गल गोलिका के विष की नष्ट करने वाली अगद<br/>पागल कुत्ता अथवा खूगारत आदि के काटने के लक्षण काटने वाले प्राणि के समान वेष्टाएँ करने वाला<br/>७००<br/>शतपदी के विष की चिकित्सा<br/>मण्डूक विषों की अगद<br/>मर जाता है।<br/>७०१<br/>विश्वम्भरा कीटों की चिकित्सा<br/>अरिष्ट लक्षण<br/>७०१<br/>अहिण्डुका जाति विषों की चिकित्सा<br/>जल त्रास असाध्य है<br/>७०१<br/>पशुओं के काटने पर रक्त विस्रावण<br/>७०२<br/>शरपुला आदि से बनी कचौड़ी खिलाएं<br/>७०३<br/>पागल कुत्ते के काटने पर औषधि<br/>७०.३<br/>हिंसक पशुओं के नाखून अथवा दान्त से बने क्षत<br/>का विर्मदन करे<br/>७०४<br/>अष्टमोऽध्यायः (आठवां अध्याय)<br/>कोट कल्प का व्याख्यान<br/>७०४<br/>सांपों के शुक्र, मल, मूत्र, शव के पूतिभाव से<br/>उत्पन्न चार प्रकार के कीट<br/>७०५<br/>अठारह प्रकार के वायव्य कीट<br/>७०५<br/>चौबीस प्रकार के आग्नेय कीट<br/>७०६<br/>तेरह प्रकार के सौम्य कोट<br/>७०६<br/>बारह प्रकार के सान्निपातिक कीट<br/>७०६<br/>तीक्ष्ण विष कीटों के काटने पर होने वाले लक्षण<br/>७०७<br/>मन्द विष कीट के काटने पर होने वाले लक्षण<br/>७०७<br/>गर विष के लक्षण<br/>७०८<br/>कण्भ जाति के कीट काटने पर लक्षण<br/>७०९<br/>गोघेरक के काटने पर लक्षण<br/>७०९<br/>गोधेरक के काटने पर लक्षण<br/>७०९<br/>कण्डूमका, शुकवृन्स, पिपीलिका के विषों की विकिन्त्या<br/>प्रतिसूर्यक की चिकित्मा<br/>बिच्छू तीन प्रकार के<br/>मन्द विष वाले बिच्छुओं के नाम, लक्षण तथा कर्म<br/>मध्य विष वाले बिच्छुओं के नाम, लक्षण तथा कर्म तीक्ष्ण विष वाले बिच्छुओं के नाम, लक्षण तथा कर्म<br/>उम्र विष दष्ट एवं मध्य विष दष्ट की चिकित्सा<br/>मकड़ी का विष अति भयानक<br/>व्यक्ति विषजुष्ट है अथवा निर्विष में औषधि प्रयोग<br/>मकड़ी का विष थोड़ी मात्रा में फैला हो दो<br/>जानना मुशकिल<br/>मकड़ी के विष के दिन अनुसार लक्षण<br/>उग्र विष वाली मकड़ियां सात दिन में रोगी को<br/>मार देती है<br/>लूताओं का पुरातन काल का इतिहास एवं उत्पत्ति। दो<br/>प्रकार की लूताऐं एवं उन के नाम<br/>लूताओं के विशेष लक्षण<br/>सभी लूताओं के विष में श्लेष्मातक का लेप<br/>असाध्य विष वाली लूताओं के दंश के लक्षण<br/>असाध्य लूताओं की चिकित्सा का प्रत्याख्यान निर्देश<br/>गल गोलिका के काटने पर लक्षण<br/>७०९<br/>साध्य लूताओं की चिकित्सा<br/>शतपदी के काटने पर लक्षण<br/>७०९<br/>विश्वम्भरा के काटने पर लक्षण<br/>७१०<br/>अहिण्डका कण्डुमका, शुकवृन्ता के काटने पर लक्षण पिपीलिका के काटने पर लक्षण<br/>७१०<br/>नस्य अञ्जन आदि दस विधियों से लूता विष चिकित्स<br/>कीटों के काटने से उत्पन्न व्रणों की चिकित्सा<br/>शोफ के निवृत्त हो जाने पर कर्णिका को निकाले<br/>चिकित्सा से बढ़कर और कोई पुण्यशाली वस्तु नहीं |
942 ## - ADDED ENTRY ELEMENTS (KOHA) | |
Source of classification or shelving scheme | Dewey Decimal Classification |
Koha item type | BOOKS |
Withdrawn status | Lost status | Source of classification or shelving scheme | Damaged status | Not for loan | Collection code | bill no. | bill date | Home library | Current library | Date acquired | Source of acquisition | Coded location qualifier | Cost, normal purchase price | volume | Total Checkouts | Full call number | Accession No | Date last seen | Price effective from | Koha item type | Public note | Checked out | Date checked out |
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Dewey Decimal Classification | Not For Loan | MAMCRC | COV-11923 | 26/07/2022 | MAMCRC LIBRARY | MAMCRC LIBRARY | 24/08/2022 | Chaukhambha Orientalia | REF | 555.00 | Vol.II | 615.538 THA | A2848 | 24/08/2022 | 24/08/2022 | BOOKS | Reference Books | ||||||
Dewey Decimal Classification | MAMCRC | COV-11923 | 26/07/2022 | MAMCRC LIBRARY | MAMCRC LIBRARY | 24/08/2022 | Chaukhambha Orientalia | 555.00 | Vol.II | 1 | 615.538 THA | A2849 | 11/03/2025 | 24/08/2022 | BOOKS | 09/06/2025 | 11/03/2025 | ||||||
Dewey Decimal Classification | MAMCRC | COV-11923 | 26/07/2022 | MAMCRC LIBRARY | MAMCRC LIBRARY | 24/08/2022 | Chaukhambha Orientalia | 555.00 | Vol.II | 4 | 615.538 THA | A2850 | 09/11/2024 | 24/08/2022 | BOOKS | 07/02/2025 | 09/11/2024 |