Astanga hrdayam (Record no. 18214)
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fixed length control field | 12174nam a22001817a 4500 |
003 - CONTROL NUMBER IDENTIFIER | |
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005 - DATE AND TIME OF LATEST TRANSACTION | |
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008 - FIXED-LENGTH DATA ELEMENTS--GENERAL INFORMATION | |
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020 ## - INTERNATIONAL STANDARD BOOK NUMBER | |
International Standard Book Number | 9788176370592 |
041 ## - LANGUAGE CODE | |
Language code of text/sound track or separate title | HINDI |
082 ## - DEWEY DECIMAL CLASSIFICATION NUMBER | |
Classification number | 615.538 GAU |
100 ## - MAIN ENTRY--PERSONAL NAME | |
Author name | Gaur,Banwari Lal |
245 ## - TITLE STATEMENT | |
Title | Astanga hrdayam |
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC. (IMPRINT) | |
Place of publication, distribution, etc. | Varanasi |
Name of publisher, distributor, etc. | Chaukhambha Orientalia |
Date of publication, distribution, etc. | 2017 |
300 ## - PHYSICAL DESCRIPTION | |
Page | 476p. |
500 ## - GENERAL NOTE | |
General note | के आठ अह आयुर्वेद<br/>विषय सूत्री<br/>Mi<br/>ANA<br/>कोस के र<br/>दोषी के गुण<br/>सप्त धातु वर्णन<br/>दूच्यो का वर्णन<br/>शरीर की व्युत्पति रसों का वर्णन<br/>९ . उद्वर्तन प्रयोग के लाभ<br/>१०<br/>द्रव्यों के प्रकार<br/>१०<br/>वीर्य के प्रकार<br/>विपाक के प्रकार<br/>११<br/>तृतीय अध्याय<br/>११<br/>गुण का वर्णन<br/>रोग एवं आरोग्य का कारण<br/>११<br/>रोग के प्रकार<br/>व्यायाम का महत्व<br/>व्यायाम की विधि एवं निषेच<br/>स्नान महत्व, विधि एवं निषेध<br/>दशविध पापकर्म<br/>११<br/>सदवृत<br/>ऋतुविभाजन<br/>अपान-भेद से ऋतुएँ एवं बलाबल<br/>हेमन्त ऋतुचर्या<br/>मन के दोष<br/>शिशिर ऋतुचर्या<br/>१२<br/>रोगी एवं रोग परीक्षा<br/>वसन्त ऋतुचर्या<br/>देश एवं काल के प्रकार<br/>१२<br/>ग्रीष्म ऋतुचर्या<br/>१२<br/>औषध के प्रकार<br/>वर्षा ऋतुचर्या<br/>१३<br/>दोषों की चिकित्सा<br/>शरद् ऋतुचर्या<br/>१३<br/>नित्य सर्वरसाभ्यास<br/>चिकित्सा के चार पाद एवं उनके गुण<br/>सुखसाध्य रोग के लक्षण<br/>१३<br/>ऋतुसंधि<br/>१३<br/>चतुर्थ अध्याय<br/>कृच्छ्रसाध्य रोग के लक्षण<br/>१४<br/>त्रयोदश वेगावरोध<br/>याप्य एवं असाध्य रोग के लक्षण<br/>१५<br/>अधोवात वेगावरोध लक्षण<br/>सूत्रस्थान अध्याय-नाम<br/>१५<br/>मल एवं मूत्रवेगावरोध लक्षण<br/>शारीरस्थान अध्याय-नाम<br/>१६<br/>वात, मल एवं मूत्रवेगावरोध-चिकित्सा<br/>निदानस्थान अध्याय-नाम<br/>चिकित्सास्थान अध्याय-नाम<br/>उद्गार, क्षवथु एवं तृष्णा-वेगावरोध लक्षण<br/>एवं चिकित्सा<br/>(153<br/>अध्याय<br/>एकशफ का दूस<br/>विजेवण एवं विकासा<br/>अमजण्यास वेगावरोध लक्षण एवं विकित्सा<br/>४८<br/>आम दूध<br/>४८<br/>धारोष्ण दूध अमृत<br/>४८<br/>दही के गुण<br/>जुम्भा नेगावरोध लक्षण एवं वातनाशक चिकित्सा<br/>४८ तक्र के गुण<br/>ष्म वेगावरोध लक्षण एवं चिकित्सा श्रमन वेगावरोध लक्षण एवं चिकित्सा<br/>४८ ४८<br/>मस्तु के गुण<br/>मक्खन के गुण<br/>शुक्र वेगावरोध लक्षण एवं चिकित्सा<br/>४९<br/>घृत के गुण<br/>बैग का उदीरण एवं धारण रोगों का मूल<br/>४९<br/>पुरातन धूत के गुण<br/>धारणीय वेग<br/>५०<br/>किलाट, पीयूष, कूर्चिका आदि के ग इक्षुवर्ग<br/>मलो का शोधन<br/>५०<br/>शोधन का महत्त्व<br/>५१<br/>गन्ने का रस<br/>शोधनोपरान्त रसायन-वाजीकरण प्रयोग<br/>५१<br/>यांत्रिक रस<br/>आगन्तुज रोग<br/>५२<br/>पौण्ड्र गुण<br/>मलों का शोधनकाल<br/>५३<br/>बाँस-गन्ने का गुण<br/>नीरोगी मनुष्य<br/>५४<br/>फाणित गुण<br/>पञ्चम अध्याय<br/>५५-७८<br/>पुराण गुड़<br/>जलवर्ग<br/>५५<br/>यास-शर्करा<br/>वर्षा जल<br/>५६<br/>मधु के गुण<br/>अन्तरिक्ष जल<br/>५६<br/>तैलवर्ग<br/>अपेय जल<br/>५६<br/>एरण्ड तैल गुण<br/>नदियों के जल के गुण<br/>५७<br/>लाल एरण्ड तैल गुण<br/>रोगानुसार जलपान<br/>५८<br/>सरसों का तैल<br/>शीतल जल गुण<br/>५९<br/>विभीतक का तैल<br/>उष्णोदक गुण<br/>५९<br/>नीम का तैल<br/>भृतशीत जल गुण<br/>५९<br/>अलसी व कुसुम्भ तैल<br/>नारिकेलोदक गुण<br/>६१<br/>वसा व मज्जा<br/>क्षीरवर्ग<br/>६१<br/>मद्यवर्ग<br/>गाय का दूध<br/>६२<br/>नूतन एवं पुराण मद्य<br/>भैंस का दूध<br/>६२<br/>सुरा<br/>बकरी का दूध<br/>६२<br/>वारुणी<br/>ऊँटनी का दूध<br/>स्त्री का दूध<br/>६२<br/>विभीतक की सुरा<br/>भेड़ का दूध<br/>६२<br/>यव की सुरा<br/>हथिनी का दूध<br/>६२<br/>अरिष्ट<br/>मार्दीक मद्य<br/>(94)<br/>अध्याय<br/>अध्याय<br/>अस्गिगत शल्य के सभ<br/>कसे जत कर ि<br/>लाख आदि का निल<br/>४२३<br/>طريقة في كلتة عمير<br/>मांसगूढ शल्य का निर्हरण मिडी जादि शरण का स्वयं निर्धारण<br/>४२४<br/>विशेष निर्देश<br/>काय भी चीत्राकारक<br/>४२४<br/>एकोनत्रिंश अध्याय<br/>त्वचा में नहा शल्य का ज्ञान<br/>४२४<br/>भांस में वह शल्य कर ज्ञान<br/>पेशी आदि में नह शल्य का ज्ञान<br/>४२४<br/>आम शोफ के लक्षण<br/>अस्थिगत प्रनष्ट शल्य का ज्ञान<br/>४२४<br/>पच्यमान शोफ के लक्षण<br/>सन्धियों में नह शल्य का ज्ञान<br/>४२५<br/>पक्व शोफ के लक्षण<br/>स्नायु सिरा आदि में नष्ट शल्य का ज्ञान<br/>४२५<br/>पाक में दोषों का हेतुत्व<br/>मर्मनष्ट शल्य<br/>४२५<br/>अतिपाक में शोथ स्वरूप<br/>नष्ट शल्य का सामान्य ज्ञान<br/>४२५<br/>रक्तपाक<br/>शल्य की आकृति का ज्ञान<br/>४२५<br/>दारण पाटन विधान<br/>शल्य के निकालने के उपाय<br/>४२५<br/>आम शोफ में छेदन से हानि<br/>अनिर्घातनीय शल्य<br/>४२६<br/>पक्व शोफ में छेदन न करने से हानि<br/>अनिर्हरणीय शल्य<br/>४२६<br/>निन्द्य वैद्य<br/>हाथ से शल्य निकालना<br/>४२७<br/>शखच्छेदन से पूर्व करणीय<br/>अदृश्य शल्य को निकालने के उपाय<br/>४२७<br/>अपवाद<br/>यन्त्र प्रयोग में निर्देश<br/>४२७<br/>शस्त्रकर्म विधि<br/>छेदन क्रिया<br/>४२७<br/>पाटन प्रमाण<br/>सिरास्नायुस्थ शल्य का निर्हरण<br/>४२८<br/>वैद्य की दक्षता<br/>हृदयस्थ शल्य का निर्हरण<br/>४२८<br/>स्थानानुरूप छेदन<br/>अस्थिगत शल्य का निर्हरण<br/>४२८<br/>अन्यत्र तिर्यक् छेदन नहीं<br/>अन्य विधि<br/>४२९<br/>छेदन के बाद करणीय<br/>उत्तुण्डित शल्य का निर्हरण<br/>४२९<br/>पट्ट निर्देश<br/>अन्य विधि<br/>४२९<br/>व्रण रक्षा<br/>अन्य प्रकार<br/>४२९<br/>औषधि धारण<br/>कण्ठगत शल्य का निर्हरण<br/>४३०<br/>शस्त्र कर्म के बाद त्याज्य<br/>अन्य विधि<br/>४३०<br/>पथ्य आहार<br/>अन्य निर्देश<br/>४३०<br/>पथ्य से लाभ अजीर्ण से हानि<br/>ग्रास शल्य का निवारण<br/>४३०<br/>नेत्रादि से शल्य निष्कासन<br/>अपथ्य (त्याज्य आहार)<br/>४३१<br/>उदरगत जल का निष्कासन<br/>व्रण संरक्षण<br/>अन्य कर्म<br/>we<br/>जल में जीवन क<br/>कन्चन के भेट<br/>अतिदता के त<br/>YYY<br/>रणान-निशेष के अति<br/>४४५<br/>अतिदन्य का उपचार<br/>बन्धन न करने से हानि<br/>४४६<br/>मिथ्या प्रयुक्त क्षारादिकर्म<br/>४४६<br/>अग्नि की श्रेष्ठता<br/>द्वष्ण-बन्धन से लाभ<br/>त्वचा आदि में अग्निकर्म<br/>पत्राच्चमदन<br/>४४८<br/>त्वग्दाह<br/>बन्धन के अयोग्य व्रण<br/>४४८<br/>मांसदाह<br/>कृमियुक्त व्रणों का उपचार<br/>४४८<br/>सिरादि में दाह<br/>शीघ्र रोहण का निषेध<br/>४४९<br/>अग्निदाह का निषेध<br/>पथ्यापथ्य का परिपालन<br/>४४९<br/>सम्यग्दग्ध में प्रयोज्य<br/>विवेकानुरूप चिकित्सा<br/>४४९<br/>सम्यकदग्ध के लक्षण<br/>त्रिंश अध्याय<br/>४५१-४६१<br/>दुर्दग्ध अतिदग्ध के लक्षण एवं मेद<br/>क्षारकर्म की श्रेष्ठता<br/>४५१<br/>तुच्छ दग्ध की चिकित्सा<br/>क्षार का पेयरूप में आभ्यन्तर प्रयोग<br/>४५१<br/>दुर्दग्ध की चिकित्सा<br/>क्षार का बाह्य प्रयोग<br/>४५२<br/>सम्यग्दग्ध की चिकित्सा<br/>क्षार-प्रयोग का निषेध<br/>४५२<br/>अतिदग्ध की चिकित्सा<br/>क्षार-निर्माण क्रिया (क्षार कल्पना)<br/>स्नेहदग्ध की चिकित्सा<br/>मृदु एवं तीक्ष्ण क्षार<br/>उपसंहार<br/> |
942 ## - ADDED ENTRY ELEMENTS (KOHA) | |
Source of classification or shelving scheme | Dewey Decimal Classification |
Koha item type | BOOKS |
Withdrawn status | Lost status | Source of classification or shelving scheme | Damaged status | Not for loan | Collection code | bill no. | bill date | Home library | Current library | Date acquired | Source of acquisition | Coded location qualifier | Cost, normal purchase price | Total Checkouts | Full call number | Accession No | Date last seen | Price effective from | Koha item type | Public note | Date checked out |
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Dewey Decimal Classification | MAMCRC | COV-11923 | 26/07/2022 | MAMCRC LIBRARY | CENTRAL LIBRARY | 29/08/2022 | Chaukhambha Orientalia | 325.00 | 3 | 615.538 GAU | A2781 | 10/06/2023 | 29/08/2022 | BOOKS | 01/06/2023 | ||||||
Dewey Decimal Classification | Not For Loan | MAMCRC | COV-11923 | 26/07/2022 | MAMCRC LIBRARY | MAMCRC LIBRARY | 29/08/2022 | Chaukhambha Orientalia | REF | 325.00 | 615.538 GAU | A2779 | 29/08/2022 | 29/08/2022 | BOOKS | Reference Books | |||||
Dewey Decimal Classification | MAMCRC | COV-11923 | 26/07/2022 | MAMCRC LIBRARY | MAMCRC LIBRARY | 29/08/2022 | Chaukhambha Orientalia | 325.00 | 4 | 615.538 GAU | A2780 | 04/09/2024 | 29/08/2022 | BOOKS | 30/08/2023 |