Astanga Hrdayam (Record no. 18215)
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020 ## - INTERNATIONAL STANDARD BOOK NUMBER | |
International Standard Book Number | 9788176371278 |
041 ## - LANGUAGE CODE | |
Language code of text/sound track or separate title | HINDI |
082 ## - DEWEY DECIMAL CLASSIFICATION NUMBER | |
Classification number | 615.538 SHA |
100 ## - MAIN ENTRY--PERSONAL NAME | |
Author name | Sharma,Priyavrat |
245 ## - TITLE STATEMENT | |
Title | Astanga Hrdayam |
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC. (IMPRINT) | |
Place of publication, distribution, etc. | Varanasi |
Name of publisher, distributor, etc. | Chaukhambha Orientalia |
Date of publication, distribution, etc. | 2017 |
300 ## - PHYSICAL DESCRIPTION | |
Page | 265p. |
500 ## - GENERAL NOTE | |
General note | विषय-सूची<br/>चाने क megle m OF<br/>दोषों का काल<br/>कोड का भेद<br/>१० कि<br/>१२<br/>नश्यादि मेवनविधि<br/>१३<br/>इथ्य के उष्ण और शीतवीर्य<br/>तैलाभ्यङ्ग के गुण<br/>द्रव्य का विपाक<br/>का निषेध<br/>दृद्व्य के गुण<br/>व्यायाम से लाभ<br/>रोग का कारण<br/>तस्थान के अध्यार्थी के माम<br/>शारीरश्धान<br/>२५ चारपालका परिणाम<br/>बायु के गुण<br/>पित के<br/>कफ के<br/>दिनचर्या अध्याय ।। २॥<br/>संसर्ग और सचियान के गुण<br/>धातुओं का वर्णन<br/>मों की संज्ञा<br/>वृद्धि और हास<br/>रसों का वर्णन<br/>रसों के गुण<br/>दब्य के भेद<br/>प्रातः उठने का समय<br/>२५<br/>11<br/>उठने के पश्चात् कर्तब्य<br/>२६<br/>दम्तधावन का प्रतिषेध<br/>२७<br/>सौवीराञ्जन (सुर्मा) के गुण<br/>रसाश्रन की विधि<br/>ऋतुचर्या अध्याय ।। ३॥<br/>पातु वर्णन<br/>बल का उपचयापचय डाल हेमभाऋतु में जाराद्मि का प्रावस्य<br/>"मैं ऋतुचर्या<br/>" में ज्ञान भोजनादि व्यवस्था<br/>" में संभोग्य स्त्री<br/>में प्रशस्त गृह<br/>शिशिर ऋतुचर्या<br/>२८ वसन्त ऋतुचर्या<br/>२९<br/>"के मध्याद्ध में सेवनीय ध्यान<br/>में वर्य पदार्थ<br/>प्रीष्म ऋतुचर्या<br/>में भोजनादि व्यवस्था<br/>में रात्रि-भोजन व्यवस्था<br/>रोग विशेष में ताम्बूल का निषेध<br/>के अयोग्य मनुष्य<br/>रोगारोग्य का व्याग और भेद<br/>की योग्यता और समय<br/>के मध्याद्ध में सेवनीय स्थान<br/>रोगों का अधिष्ठान<br/>के पश्चात् कर्तव्य<br/>३० अतिव्यायाम तथा जागरणादि से हानि<br/>" की रात्रि में<br/>मन को दूषित करने वाले दोष<br/>रोगज्ञान के उपाय<br/>वर्षा ऋतुचर्या<br/>उबटन में लाभ<br/>में भोजनादि व्यवस्था<br/>रोगविशेष को जानने के उपाय<br/>खान के गुण<br/>में विशेष नियम<br/>देशभेद<br/>उष्ण जल से खान की विधि-निषेध<br/>पारद् ऋतुचर्या<br/>औषध के भेद<br/>१७<br/>जान के अयोग्य मनुष्य<br/>" में भोजनादि व्यवस्था<br/>औपच का विषय<br/>१८<br/>भोजन तथा मल-मूत्रोत्सन की<br/>" में हंसोदक का प्रावासय<br/>चिकित्सा के पादभेद<br/>व्यवस्था<br/>" में संध्या सेवन विधि<br/>वैद्य के गुण<br/>औषध के चार गुण<br/>१९<br/>परिचारक के"<br/>"<br/>सुखसाधन धर्म की प्रशंसा<br/>मित्र और शत्रु के प्रति आचरण<br/>दाविध पार्यों की समीक्षा<br/>३२<br/>" में षयवस्तु<br/>पऋतुचर्या<br/>গऋतुसन्धि<br/>(1)<br/>wild of mind eve<br/>જાય રોવરે છે રોષ<br/>भाई<br/>बाँ रोकने से रोग<br/>शुक के रन वेग रोकने से रोग<br/>च्य रोग<br/>बेगरोभव्य रोगों में कर्तव्य<br/>तादिमों का बचाकर शोधन होमादि का वेग रोकना श्रावश्यक शोधन के पद्मात् रसायन प्रयोग<br/>पथ्यादि विधि<br/>पूर्वोक्त कम का सुपरिणाम<br/>आगन्तु शेव<br/>•का प्रतीकार<br/>रोगों से बचने का उपाय द्रवद्रव्यविज्ञानीय अध्याय ।।<br/>५॥<br/>गाङ्गोदक के गुण<br/>सामुद<br/>गालोदक के अनाव में पेय जल<br/>दूब के मन<br/>केतुम<br/>पुराने घृत के गुण<br/>किकार<br/>गी के दूध तथा पूत की श्रेाता गधे के रस का गुण<br/>१८फाणित (राब) मुल<br/>शकर, मिश्री आदि के गुण<br/>बवाये की शकर"<br/>अन्य शर्करा<br/>शर्करा और फाणित का अन्तर<br/>मधु के गुण उष्ण मधु के गुण<br/>नैह के सामाम्य गुण<br/>एरण्ड तेल के<br/>रन परण्ट के नेल<br/>11 Dilip or ge<br/>झवाडी का गुण<br/>गी जादि के सूप के तु<br/>चम्चा का उदार<br/>अनस्वम्वविज्ञानीय अध्याय<br/>चावलों के भेद ७२ काल चावल के गुण<br/>यवकादि<br/>साठी<br/>२३<br/>विभिन्न चावलों के गुण<br/>पाटल आदि के गुण<br/>तृणधान्य<br/>कोदो जी<br/>बीसक जी<br/>शिम्बीधान्य के सामान्य गुणः<br/>मूँग क गुण<br/>कुलथी का गण<br/>शिष्याय (मेम) के गुण<br/>उबद के गुण<br/>मरमों के तेल का<br/>अपेय जन<br/>बहेवे के तेल का<br/>नदियों का पथ्यापथ्य जह<br/>१२<br/>नीम के तेल का<br/>कूपादि क। जल<br/>अलसी और कुसुम्भ तेल के गुण<br/>निल के गुण<br/>बछ पीने के अयोग्य रोगी<br/>वसादि के गुण<br/>अलसी और कुसुम के बीज के गुणा<br/>मोजन के समय अलपान से गुणाबसूण शीतल (१ण्डा) जल के गुण<br/>मच के सामान्य गुण<br/>नवीन और पुराण धान्य<br/>६५<br/>नये और पुराने मथ के गुण मद्यपान का निषेध<br/>गरम<br/>७८ चावल के मण्ड का गुण<br/>छषित शीतल<br/>पैया के<br/>६६ सुरा के गुण<br/>विलेपी के<br/>वारुणी<br/>भात के<br/>જમતી છે વૃષ શા<br/>we wiw<br/>)<br/>दामा (सुने) जी कादि<br/>१०विदारीकन्द<br/>विश्याक (क)<br/>के<br/>पाक भेद से अक्षों के गुण<br/>सूर्यो के नाम विष्किर पश्चिमी के नाम<br/>२१ तुम्वी आदि के मू<br/>प्रतुद पक्षियों के नाम विलेशय<br/>प्रसह पशुत्री<br/>महासूनी<br/>जङ्गली जीवों के मांस का गुण<br/>खरगोश के<br/>बटेर आदि के<br/>मोर मुर्गादि के<br/>बिलेशयादि के<br/>महामृगादि के<br/>बकरे के<br/>भेदों के<br/>गोमांध (गाय के मांस) के गुण<br/>भसा के<br/>सूअर क<br/>मछली के<br/>कदम्ब-पुष्पादि<br/>सामान्य शाक<br/>तर्कारी और वरुण<br/>"<br/>पुनर्नवा और काळशाक पुत्तिकरक्ष के अधूर के गुण<br/>शतावरी के अहुर<br/>इमली और बेर के गु<br/>१८<br/>वषटक) की हीनता<br/>नमक<br/>सेश्धा नमक<br/>चिड नमक सामुद नामक<br/>९९<br/>उद्भिद<br/>काला<br/>रोमक और पांशुक नमक<br/>नमक का प्रयोग<br/>जवाखार के गुण<br/>चार-सामान्य<br/>९३<br/>वंशाकुर के गुण<br/>कसौंदी<br/>हींग<br/>कुमुम का शाक<br/>हरय<br/>९४<br/>सरसों<br/>मूली (कथा) के गुण<br/>बहेबा<br/>वाराहीकन्द<br/>१०<br/>कुठेरक शोभाञ्जन श्रादि के गुण<br/>तुलसी के गुण<br/>हरी धनिया<br/>त्रिफला<br/>बिजात और चातुर्जात<br/>कालीमिर्च के गुण<br/>विप्पली<br/>लशुन<br/>सौंठ<br/>प्याज<br/>शाकों का गुण<br/>मकोय शाक<br/>सवत्तिम मांस<br/>अषय (खाने योग्य) मांस<br/>स्याउय मांस<br/>नर-मादा का मांस<br/>९५ गन्दन (लशुन भेद) के गुण<br/>जमीकंद (सूरण) के गुण<br/>पत्रादि के गुण<br/>चाङ्गरी शाक<br/>शाकों में वरावरश्व<br/>पटोलादि शाक<br/>९६ दाख के गुण<br/>परवल का विशेष "<br/>"<br/>अनार<br/>दोनों कटेरी<br/>केला, खजूर आदि फलों के गुण<br/>13<br/>17<br/>करेले<br/>وو<br/>तालफलादि के गुण<br/>बेल<br/>गन<br/>"<br/>कपित्थफल<br/>11<br/>अदरख<br/>चव्य तथा पिप्पलीमूल<br/>चिन्त्रक (चीता) के गुण<br/>पञ्चकोल<br/>वृहत्पञ्चमूल<br/>१०२<br/>लघुपञ्चमूल के गुण मध्यम (तृतीय) पञ्चमूल<br/>11<br/>जीवन (चतुर्थ) पश्चमू<br/>तृण (पश्चम) पञ्चमूल<br/>षष्ठाध्याय का उपसंहार<br/>थों के दोष<br/>बों के पकथने की विचि<br/>बैंक का प्रयोग<br/>सविय जोक के लक्षण तथा उनका<br/>निपेध<br/>नविष जोंक के प्रयोग से हानि तथा चिकित्मा<br/>निर्विष जोंकों के लक्षण<br/>निर्वियों में भी त्याउप जोक<br/>बैंक लगाने की विधि<br/>कोंक द्वारा दूषित रक्त का पहले<br/>વિશાlk of the pપિયા 1<br/>meda ane man of<br/>होतानुसार सिरावे के रवान<br/>fartin me i miein मिश का वेधन<br/>सिरावेध के प्रथम कर्तब्य<br/>सिरा की जापान विधि<br/>उवनासिका का सिरावेधन<br/>२५९<br/>जिद्धास्य सिरावेचन<br/>श्रीवास्थ<br/>श्रीवा<br/>me<br/>२६५<br/>सन्धिगत<br/>२६६<br/>वगादिश्य ज्ञान के अन्य उपा<br/>वाक्य का रोगादि<br/>रुव अन्तःयाश्य से मी पुनः पीवा<br/>स्वरूप का शान<br/>मांस में नष्ट शक्य का ज्ञान<br/>पेश्यादि में नष्ट शक्य का ज्ञान<br/>अस्थियों में नष्ट शक्य<br/>हस्त<br/>२५९<br/>पार्थ<br/>पाद अनुक्तरथानों में स्वबुद्धि से कश्पना,<br/>सन्चियों में नष्ट शवय<br/>खायु-सिरादि में नष्ट शक्य..<br/>मों में नष्ट वशश्व के प्रयगनुक्ति<br/>२६०<br/>मांसल आदि स्थानों में श्रीहि<br/>मुखादि से वेधन<br/>जॉक का छुदाना और वमन कराना .. रक्तपान के बाद पुनः रक्तपान का<br/>निषेध<br/>जॉक को सम्यग्वमन कराने से लाभ,,<br/>अतिवमनादि से जॉक के चक्षति २६१<br/>जॉकों का अलग-अलग पालन का<br/>विधान<br/>अशुद्ध रक्त निकलने पर कर्तव्य<br/>दुष्ट रक्त निकलने से लाभ<br/>शेष अशुद्ध रक्त को पुनः निकालना<br/>आवश्यक<br/>२ अ० सू०<br/>सम्यग्विद्ध अश्पविद्धादि सिरा का<br/>लक्षण<br/>रक्तस्राव न होने के कारण<br/>असम्यक और सम्यक खाव में<br/>कर्तब्य<br/>दूषित रक्त का प्रथम स्राव<br/>शुद्ध रक्तस्राव का निषेध<br/>मूर्च्छा में कर्तब्य<br/>वातादि दूषित रक्तों के लक्षण<br/>अशुद्ध रक्तस्राव का प्रमाण<br/>अधिक रक्तस्त्राव में कर्तव्य<br/>रक्तस्त्राव के पश्चात् कर्तब्य<br/>अशुद्ध रक्त का पुनः स्रावण<br/>अधिक रक्तस्त्राव का निषेध<br/>२६७<br/>का हेतु नष्ट पाश्य का सामान्य ज्ञान<br/>श्रणाकृति से शश्याकृति का ज्ञान<br/>शश्यकर्षण के उपाय<br/>२६७<br/>अनिर्घातनीय चाश्य<br/>निकालने के अयोग्य वाक्य<br/>हस्तप्राध्यादि दृश्याश्यों का<br/>निकलना<br/>अदृश्य शस्यों का निकालना<br/>स्वगादि में स्थित शश्यों का निकलना<br/>11<br/>शस्त्र द्वारा छेदन<br/>२६८<br/>सिरा स्नायुगत शश्य का निकालना<br/>हृदयगत<br/>अस्ध्यादि गत<br/>धनुष की डोरी में बाँधकर<br/>फूले हुए शश्मों का<br/>વશિre & લાઈ<br/>कर्मच<br/>T<br/>ate fire are as former as<br/>સાથે શ્રીદર સળ<br/>राम्माकमविधि अध्याय ॥ २६॥<br/>श्रम शोष का<br/>पके हुए<br/>बायु के बिमा शूलादि का कारण श्रत्यन्त पाक में विद्वादि होना<br/>रकपाक का लक्षण<br/>निर्वाहादि के पाक का दारणादि<br/>२७८<br/>पों को धोने के पूर्व और बाद<br/>रक्तहीन मण को सीने की विधि<br/>मण को बाँधने के पदार्थ<br/>श्रण को बाँधने के प्रकार<br/>sev<br/>pelte in In<br/>जांगदग्ध में कर्तव्य<br/>२८५<br/>वणी को डीला या कसकर बाँधमा<br/>२८६<br/>क्षण को नहीं बोंचने में हानि<br/>२७९<br/>क्षण को चाँधने में लाम<br/>वचनंद में अशिदाद<br/>मर्शाद रोग में वर्वात आदि से<br/>अर्श आदि में मधु शादि से मांसवाद लिष्टादि रोगों में मध्वादि से<br/>मिरादाद<br/>"<br/>अग्निदाह के अयोग्य<br/>सम्यदग्ध में कर्तव्य<br/>स्थिरादि बौषधों पर पत्राच्छादन२८७<br/>नहीं बाँधने योग्य बंग<br/>अरचा से कृमियुक्त वर्षों की<br/>चिकित्मा<br/>दूषित बणों में रोहण निषेध<br/>रोपिन बी में स्याज्य कर्म<br/>सम्यद्रव के लक्षण<br/>दुर्दग्ध तथा अतिदग्ध के लक्षण-<br/>भेदादि<br/>अपक शोफ के छेदन से उपद्रव<br/>भीतर बच्चे हुए पीब से हानि<br/>शाययोग के पहले कर्तव्य<br/>"<br/>मूहगर्मादि में उक्त कर्म का निषेध २७९ शखकर्म की विधि<br/>शक्षकर्म में वैद्य के शौर्यादि की<br/>शेष अवस्थाओं में बंध का कर्तव्य<br/>तुच्छदग्ध की चिकित्सा<br/>दुर्दग्ध की चिकित्सा सम्यदङ्ग्ध चिकित्सा<br/>प्रशंसा भेदन की दिशा<br/>अतिदग्ध<br/>क्षाराग्निकर्मविधि अध्याय <br/>ब्रहदग्ध<br/>अम्यन्त्र तिर्यक क्षेदन में हानि<br/>क्षारकर्म की श्रेष्ठना <br/>सूत्रस्थान की समाप्ति |
942 ## - ADDED ENTRY ELEMENTS (KOHA) | |
Source of classification or shelving scheme | Dewey Decimal Classification |
Koha item type | BOOKS |
Withdrawn status | Lost status | Source of classification or shelving scheme | Damaged status | Not for loan | Collection code | bill no. | bill date | Home library | Current library | Date acquired | Source of acquisition | Coded location qualifier | Cost, normal purchase price | Total Checkouts | Full call number | Accession No | Date last seen | Price effective from | Koha item type | Public note |
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Dewey Decimal Classification | Not For Loan | MAMCRC | COV-11923 | 26/07/2022 | MAMCRC LIBRARY | MAMCRC LIBRARY | 29/08/2022 | Chaukhambha Orientalia | REF | 225.00 | 615.538 SHA | A2776 | 29/08/2022 | 29/08/2022 | BOOKS | Reference Books | ||||
Dewey Decimal Classification | MAMCRC | COV-11923 | 26/07/2022 | MAMCRC LIBRARY | MAMCRC LIBRARY | 29/08/2022 | Chaukhambha Orientalia | 225.00 | 615.538 SHA | A2777 | 29/08/2022 | 29/08/2022 | BOOKS | |||||||
Dewey Decimal Classification | MAMCRC | COV-11923 | 26/07/2022 | MAMCRC LIBRARY | MAMCRC LIBRARY | 29/08/2022 | Chaukhambha Orientalia | 225.00 | 615.538 SHA | A2778 | 29/08/2022 | 29/08/2022 | BOOKS |