Netra Chikitsa Vijnana (Record no. 18271)

MARC details
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003 - CONTROL NUMBER IDENTIFIER
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020 ## - INTERNATIONAL STANDARD BOOK NUMBER
International Standard Book Number 9788176370011
041 ## - LANGUAGE CODE
Language code of text/sound track or separate title HINDI
082 ## - DEWEY DECIMAL CLASSIFICATION NUMBER
Classification number 617.7 CHO
100 ## - MAIN ENTRY--PERSONAL NAME
Author name choudhury,R.C.
245 ## - TITLE STATEMENT
Title Netra Chikitsa Vijnana
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC. (IMPRINT)
Place of publication, distribution, etc. Varanasi
Name of publisher, distributor, etc. Chaukhambha Orintalia
Date of publication, distribution, etc. 2017
300 ## - PHYSICAL DESCRIPTION
Page 512p.
500 ## - GENERAL NOTE
General note विषय-सूची<br/>प्रथम अध्याय<br/>पृष्ठाङ्क<br/>५-९<br/>१. शालाक्यतन्त्र का विकास<br/>३-२२<br/>शालाक्यतन्त्र-४, निमि का काल-९, शालाक्यतन्त्र-१०, कृष्णात्रेय-१०, कराल-१०, शौनक, भद्रशौनक और मद्रशौनक-११, कांकायन-११, गार्ग्य-१२, गालव-१२, सात्यकि-१२, चक्षुष्य-१३, चक्षुष्येण १३, भोज-१३, चैनिक सन्दर्भ- १३, चीना चिकित्सा पद्धति-१४, यहूदी-चिकित्सा पद्धति और शल्यतन्त्र- १४, मिश्रीय शल्यतन्त्र-१५, प्रकृष्ट यूनान और रोमन प्रगति-१५, भारतीय- शालाक्यतन्त्र, स्वीष्टीय, मध्ययुग-१५-२०, सप्तदश और अष्टादश शतक-२१, आधुनिक इतिहास-२२।<br/>२. नेत्र-शारीर<br/>द्वितीय अध्याय<br/>२३-४९<br/>औपद्रविक अध्याय-२३, शालाक्यतन्त्रकी निरुक्रि-२४, उत्तमांग या शिर- २४, नेत्र-शारीर-२५, नेत्र की आकृति-२५, नेत्र का पाञ्च-भौतिकत्व-२५, नेत्रभाग- २६, मण्डल-२७-२८, नेत्रशारीर-सन्धि-२९-३०, पटल-३१-३२, नेत्र का बन्धन-३३, नेत्र में धातु तथा उपधातुओं के कार्य-३४, वाग्भट के मत से नेत्र- शारीर-३४, भावमिश्र के मत से नेत्र-शारीर-३४, योगरत्नाकर-३५, आधुनिक नेत्र- शारीर-३५-३८, सिलीयरी बाडी-३९, कोरयड-४०, दृष्टिवितान-४१-४४, दृष्टिमणि-४४-४६, नेत्र का रक्त-सञ्चालन-४६-४९ ।<br/>तृतीय अध्याय<br/>३. नेत्र का शारीर क्रिया-विज्ञान<br/>५०-६४-<br/>नेत्राभ्यन्तरस्थद्रव-५०-५५, नेत्रगोलकाभ्यन्तरीय तनाव-५५-५७, नेत्रस्थ टिसु वा तन्तुओं का मेटाबोलिज्म-५७-५९, लेन्स-५९, दर्शन का शारीर क्रिया-<br/>(१०)<br/>विज्ञान-६०, वैद्युतिक प्रतिक्रिया-६१, दृष्टिसम्बन्धी बोध-६२, आकार-ज्ञान-शक्तिः वर्णज्ञान-६३-६४।<br/>४. नेत्र परीक्षा<br/>चतुर्थ अध्याय<br/>६५-८४<br/>वर्भ-परीक्षा-६५, बर्त्मशुक्लगत सन्धि परीक्षा-६६, श्लेष्ममय कला-६६, कन्जऑक्टाइभेल व सिलियारी इन्जेक्शन-६७-६८, अश्रूयन्त्र प्रणाली-६९, शुक्ल (स्क्लेरा) मण्डल-६९, कृष्णमण्डल (कर्णिया) ७०, कर्णिका की विशेष परीक्षा- ७१, कर्णियेल स्टेनिंग-७२, नेत्र की आभ्यन्तर परीक्षा-७३-७४, अग्रिमा जलधानी- ७५, आईरिस, लेन्स या दृष्टिमणि-७६, पिउपिल या दृष्टिमण्डल-७७-७८, पिउपिल की साधारण एवं अस्वाभाविक प्रतिक्रिया-७९-८१, गनियोस्कोपी ८२, ट्रेन्स्इलुमिनेशन-८२, नेत्र-तनाव-८३, शियोट्ज टनोमीटर प्रयोग-८३।<br/>५. नेत्ररोग का निदान<br/>पंचम अध्याय<br/>८५-९६<br/>निदान-८५, उष्णभितप्त का जलप्रवेश से-८६, दूरेक्षण से-८७, स्वप्नविपर्यय से-८७, प्रसक्त संरोदन-८७, कोप, शोक, क्लेश-८८, अभिघात, अतिमैथुन, शुक्त-आरणाल-अम्ल के सेवन से-८९. स्वेद से-९०, धूमसेवन से- ९१, वमनातियोग, वाष्पग्रह, सूक्ष्म (द्रव्य) निरीक्षण से-९२-९५, नेत्ररोग की साधारण सम्प्राप्ति-९६<br/>६. नेत्ररोग-विभाजन<br/>षष्ठ अध्याय<br/>९७-१०७<br/>नेत्ररोग संख्या-९७, दोषिक, शारीरिक, साध्यासाध्य, चिकित्सादृष्टि से विभाजन-९७-९८, विस्तारित विभाजन (साध्यासाध्य)-९९-१०१, छेद्यरोग- १०३, लेख्यरोग-१०३, भेद्यरोग-१०३, व्यध्यरोग-१०३, अशस्वकृत्य नेत्ररोग- १०४, असाध्य-१०४; याप्य-१०४, वर्गीकरण का महत्व-१०४-१०७।<br/>सप्तम अध्याय<br/>७. नेत्ररोगों के पूर्वरूप वा साधारण लक्षण<br/>१०८-११०<br/>पूर्वरूप व लक्षण-१०८, अक्षिकूट में शोथ वा सूजन-१०९।<br/>(११)<br/>अष्टम अध्याय<br/>८. नेत्रसन्धि<br/>१११-१२६<br/>अश्रुग्रन्थि और अश्रुनाड़ी का शारीर-१११, अश्रुमार्ग-११२, अश्रुस्राव- ११३, सन्धिगत रोग-११४, अश्रुग्रन्थि व अनुनालियों के रोग-११४, पूयालस वा नेत्रस्त्राव-११५-११८, उपनाह-११९, नेत्रनाड़ी-११९-१२१, पर्वणी-अलजी- ९२२-१२३, कृमिग्रन्थि-१२४-१२६ ।<br/>९. वर्त्मगत रोग<br/>नवम अध्याय<br/>१२७-१६६<br/>संख्या-१२७, वर्त्मगत रोगों की सम्प्राप्ति-१२८, उत्सङ्गिनी, चिकित्सा- १२९, कुम्भीकपिड़का-१३०-१३१, पोथकी, संज्ञा-१३१, Trachoma-१३२- १३९, वर्मशर्करा-१३९, अशोंवर्ग-१४०, शुष्कार्श-अञ्जननामिका-१४१, बहलवर्म, वर्मावबन्ध १४२, क्लिष्टवर्म, उत्क्लिष्टवर्म-१४३, उत्चिलष्ट, पित्तोत्क्लिष्टवर्म, कफोत्क्लिष्टवत्र्म; वर्त्मकर्दम-१४४, श्याववर्म-१४५, श्लिष्टवर्म, क्लिम्नवर्त्म, अक्लिन्नवर्त्म वा पिल्ल-१४६, वातहतवत्र्म-१४८- १५०, अर्बुद, निमेष-१५१, शोणितार्शः १५२-१५३, लगण-१५४, बिसवर्म- १५५, पक्ष्मकोप-१५६-१५९, कृय्छोन्मीलन-१५९, कुकूणक-१६०-१६४, कुञ्जन, अलजी-१६४, पक्ष्मशात-१६५-१६६ ।<br/>१०. शुक्लगत रोग<br/>दशम अध्याय<br/>१६७-१८९<br/>संख्या-१६७, अर्म-१६८, प्रस्तारि अर्म, शुक्लार्म, लोहितार्म, अधिमांसार्म, स्नाय्वर्म-१६८-१७४, शुक्तिका (शुक्ति)-१७५, जेरोसीस-१७६, अर्जुन-१७८- १७९, पिष्टक-१८०-१८१, सिराजाल-१८२-१८३, सिरापिड़का-१८४, Episclritis, scleritis-१८४-१८६, बलासग्रथित १८७-१८९ ।<br/>एकादश अध्याय<br/>११. कृष्णगत रोग (आधुनिक पद्धति अनुसार)<br/>१८९-२०३<br/>संख्या-१८९-१९२, कार्णिया के व्रणशोथमूलक रोग-१९२-१९३, विकृत शारीर-१९४, सब्रणशुक्ल का लक्षण, रोपण-१९५, व्रण की अपारदर्शकता १९५, उपसर्ग-१९६-१९८, चिकित्सा-<br/>(१२)<br/>द्वादश अध्याय<br/>१२. कृष्णगत रोग (आयुर्वेदिकदृष्टि से)<br/>२०४-२२९<br/>संख्या-सत्त्रणशुक्ल-२०४-२०६, चिकित्सा-२०७-२१२, अवणशुक्त २१२-२१७, अक्षिपाकात्यय-२१७, अजकाजात-२१९-२२२, Cornea के अन्यरोग-२२३-२२९।<br/>त्रयोदश अध्याय<br/>१३. नेत्ररोगों की साधारण चिकित्सा<br/>२३०-२६८<br/>साधारण चिकित्सा-२३०, क्रियाकल्प-२३२-२३३, तर्पण-२३४-२४०, पुटपाक-२४०-२४७, आश्योतन और सेक-२४७-२४९, नेत्र में प्रयुक्त औषधि की कार्यकारिता-२४९, अंजन-कब प्रयोज्य है-२५१, लेखन आदि अंजन द्रव्य-२५३, अञ्जन भेद-२५४-५६, अञ्जन पात्र और शलाका-२५६, अञ्जन लगाने की विधि- २५७, अञ्जन प्रयोगोत्तर कर्म-२५९, अञ्जन निषेध-२६०, निषिद्ध अवस्था में अञ्जन प्रयोग से हानि-२६०, लेखन अञ्जन का सम्यक् योग, अतियोग, हीनयोग-२६१- २६२, प्रसादन अञ्जन का सम्यग योग, अतियोग-२६२, अञ्जन निषेध-२६३, स्वस्थ अवस्था में अञ्जन के गुण-२६४, चूर्णाञ्जन-२६५, विडालक-२६६, शिरोबस्ति-२६६-२६८ ।<br/>१४. सर्वगत रोग<br/>संख्या-२६९-२७१, अभिष्यन्द का सर्वरोगकरणत्व-२७२, वातज अभिष्यन्द-२७३, पैत्तिक अभिष्यन्द-२७४, कफज अभिष्यन्द- २७५, रक्तज अभिष्यन्द-२७५, अभिष्यन्द का साधारण विचार- २७६, अभिष्यन्द की चिकित्सा-आश्योतन-२७६, बिडालक वा प्रलेप-२७७, बर्हिगुण्डन-२७८, वातिक आदि भेद से अभिष्यन्द की चिकित्सा- वातिकचिः- २७९, पित्ताभिष्यन्द-पित्ताधिमन्य-चिकित्सा-२८१, कफज अभिष्यन्द चिकित्सा-२८२, रक्तज अभिष्यन्थ अधिमन्थ में तीव्र पीड़ा चिकित्सा-२८३ ।<br/>चतुर्दश अध्याय<br/>२६९-२८४<br/>पंचदश अध्याय<br/>५. श्लेष्यमय कला के रोग<br/>२८५-३३०<br/>श्लेष्ममयकला (Conjunctive)-२८५, श्लेष्ममय कला का व्रणशोथ-<br/>(१३)<br/>२८६, तीव्रपित्तज वा कफज अभिष्यन्द-२८७, रक्तज वा कफज अभिष्यन्द- Acute Purulent conjunctivitis २८८, Conjuntivitis का वर्गीकरण- २८९, उपद्रव व चिकित्सा २९०, Ophthalmia neonatorum-२९०, उपद्रव व चिकित्सा-२९१, Diptheritic conjunctivitis, Simple chr. conj.-२९२, Angular conj.-२९३, Phlyctenular conj.-२९४, Spring catarrh-२९५, Diff. diagnosis of different kinds of conj.-२९६-२९८।<br/>अधिमन्थ<br/>अधिमन्य के सामान्य लक्षण तथा भेद-२९९, वार्तिक अधिमन्थ-२९९, पित्तज अधिमन्य-३०१, कफज अधिमन्थ-३०२, रक्तज अधिमन्थ-३०३, अधिमन्थ की साध्यासाध्यता-३०४, Glaucoma-३०५-३०८, Closed-Angle Glaucoma-३०८-३१२, Simple chr. Glaucoma-३१३-३१५, Uveritis-३१५-३१७, Diff. diagnosis of conj., Iritis, Glau- coma-३१६, Iritis-३१८, Iridocyclitis-३२२, Choroiditis-३२५, Panophthalmitis-३२८ ।<br/>षोडश अध्याय<br/>१६. सशोफ अशोफ अक्षिपाक इत्यादि<br/>सशोफ अशोफ अक्षिपाक-३३१-३३४, हताधिमन्थ-३३५- ३३६, अन्यतोवात-३३७-३३८, अम्लाध्युषित-३३९, सिरोत्पात-३४०, सिराहर्ष-३४१ ।<br/>३३१-३४१<br/>सप्तदश अध्याय<br/>१७. दृष्टिगत रोग<br/>३४२-४००<br/>दृष्टि के अर्थ-३४२, दृष्टिमण्डल-३४२, दृष्टिमणि-दृष्टि-दर्शनशक्ति-दृष्टि- नाड़ी-३४३, दृष्टि का प्रमाण-३४४, पटल-३४६-३४९, पित्तविदग्ध दृष्टि-३५०, श्लेष्मविदग्ध दृष्टि-३५०, दृष्टिगत रोग संख्या-३५२, तिमिर, काच, लिंगनाश- ३५३, प्रथम पटलगत दोष-३५४, द्वितीय-पटलगत दोष- ३५४, तृतीय पटलगत दोष-३५६, चतुर्थ पटलगत दोष ३५८, विभिन्न तिमिर लक्षण-३५९-३६२, परिभ्लायी रोग-३६३, पित्तविदग्धदृष्टि का सापेक्षनिदान-३६७, श्लेष्मविदग्धद्वष्टि का सापेक्ष निदान-३६८, उष्णविदग्धदृष्टि, धूमदर्शी-३६९, नकुलान्ध्य-३७०,
942 ## - ADDED ENTRY ELEMENTS (KOHA)
Source of classification or shelving scheme Dewey Decimal Classification
Koha item type BOOKS
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Withdrawn status Lost status Source of classification or shelving scheme Damaged status Not for loan Collection code bill no. bill date Home library Current library Date acquired Source of acquisition Coded location qualifier Cost, normal purchase price Total Checkouts Full call number Accession No Date last seen Price effective from Koha item type Public note Checked out Date checked out
    Dewey Decimal Classification   Not For Loan MAMCRC COV - 11923 26/07/2022 MAMCRC LIBRARY MAMCRC LIBRARY 02/09/2022 Chaukhambha Orintalia REF 250.00   617.7 CHO A3007 02/09/2022 02/09/2022 BOOKS Reference Books    
    Dewey Decimal Classification     MAMCRC COV - 11923 26/07/2022 MAMCRC LIBRARY MAMCRC LIBRARY 02/09/2022 Chaukhambha Orintalia   250.00   617.7 CHO A3008 02/09/2022 02/09/2022 BOOKS      
    Dewey Decimal Classification     MAMCRC COV - 11923 26/07/2022 MAMCRC LIBRARY MAMCRC LIBRARY 02/09/2022 Chaukhambha Orintalia   250.00 1 617.7 CHO A3009 08/03/2025 02/09/2022 BOOKS   06/06/2025 08/03/2025
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