Caraka Samhita (Record no. 19963)
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003 - CONTROL NUMBER IDENTIFIER | |
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005 - DATE AND TIME OF LATEST TRANSACTION | |
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008 - FIXED-LENGTH DATA ELEMENTS--GENERAL INFORMATION | |
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020 ## - INTERNATIONAL STANDARD BOOK NUMBER | |
International Standard Book Number | 9789384541255 |
041 ## - LANGUAGE CODE | |
Language code of text/sound track or separate title | HINDI |
082 ## - DEWEY DECIMAL CLASSIFICATION NUMBER | |
Classification number | 615.538 PAN |
100 ## - MAIN ENTRY--PERSONAL NAME | |
Author name | Pandey,Kashinath |
245 ## - TITLE STATEMENT | |
Title | Caraka Samhita |
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC. (IMPRINT) | |
Place of publication, distribution, etc. | Varanasi |
Name of publisher, distributor, etc. | Chaukhambha Bharati Academy |
Date of publication, distribution, etc. | 2023 |
300 ## - PHYSICAL DESCRIPTION | |
Page | 912p. |
500 ## - GENERAL NOTE | |
General note | १. भेषचतुष्क<br/>सूत्रस्थानम्<br/>अध्यायः<br/>दीर्घञ्जीवितीयमध्यायः<br/>२. स्वास्थ्यचतुष्क<br/>३. निर्देश-चतुष्क<br/>४. कल्पनाचतुष्क<br/>५. रोगचतुष्क<br/>विषय-सूची<br/>कर्मविशेष<br/>लोक (जीवात्मा) का आधार<br/>आयुर्वेद का अधिकरण<br/>३-४४<br/>द्रव्य गणना<br/>कार्य द्रव्य<br/>गुण गणना<br/>कर्म का लक्षण<br/>4<br/>समवाय का लक्षण<br/>4<br/>द्रव्य का लक्षण<br/>गुण का लक्षण<br/>६. योजनाचतुष्क<br/>५<br/>कर्म का लक्षण<br/>७. अम्रपानचतुष्क<br/>लौकिक कर्म तीन प्रकार का होता है<br/>८. संग्रहह्वय<br/>4<br/>१. आयुर्वेदावतरण (इतिहास)<br/>३. धातु साम्य तथा त्रिदोष विज्ञान<br/>4<br/>भरद्वाज का इन्द्र के यहाँ गमन<br/>आयुर्वेद तन्त्र का प्रयोजन<br/>4<br/>आयुर्वेद के पठन-पाठन की परम्परा<br/>रोगों के त्रिविध कारण<br/>६<br/>महर्षियों के एकत्र होने में कारण<br/>रोग का आश्रय<br/>(७<br/>महर्षियों की गणना<br/>७<br/>रोग का धर्मादि प्राप्ति में बाधकत्व<br/>भरद्वाज की नियुक्ति तथा इन्द्र से वार्ता<br/>शङ्का<br/>८<br/>त्रिसूत्र आयुर्वेद का स्वरूप<br/>द्रव्य (औषध) सूत्र<br/>९<br/>भरद्वाज द्वारा ऋषियों का आयुर्वेद का उपदेश<br/>१०<br/>२. षट्-पदार्थ विज्ञान<br/>१०<br/>त्रिसूत्र आयुर्वेद का तत्कालीन व्यावहारिक स्वरूप<br/>१०<br/>पुनर्वसु आत्रेय का अग्निवेशादि छः शिष्यों को<br/>आयुर्वेद का उपदेश<br/>११<br/>अग्निवेशादि के तन्त्रों का निर्माण<br/>१२<br/>आयुर्वेदीय तन्त्रों का सर्वत्र स्वागत<br/>१२<br/>आयुर्वेद की परिभाषा<br/>आत्मा रोग का आश्रय नहीं<br/>शारीरिक और मानसिक दोष<br/>समाधान<br/>शारीर एवं मानस रोगों का चिकित्सा सूत्र<br/>युक्तिव्यपाश्रय<br/>वात का लक्षण (गुण) और चिकित्सासूत्र<br/>पित्त का लक्षण (गुण) एवं चिकित्सा सूत्र<br/>कफ का लक्षण (गुण) एवं चिकित्सा सूत्र<br/>साध्य रोगों का चिकित्सा-सूत्र और असाध्य<br/>रोगों में चिकित्साभाव<br/>अब इसके बाद पुनः द्रव्यों के अनुसार उनके<br/>गुण कर्म का वर्णन किया जायेगा<br/>१२<br/>रस का लक्षण<br/>आयु के लक्षण तथा पर्याय<br/>रस के भेद<br/>उभयलोकहित साधन में आयुर्वेद<br/>रसों का कार्य<br/>सामान्य तथा विशेष की परिभाषा<br/>विशेष<br/>४. द्रव्य-वर्गीकरण<br/>गुण-विशेष<br/>दोषों को प्रकुपित करने वाले रस<br/>प्रभाव भेद से द्रव्यों के भेद<br/>चरक संहिता<br/>अध्याय २<br/>अपामार्गतण्डुलीयमध्यायः<br/>an<br/>कर्यार्थ व्य-संग्रह<br/>१. शीर्षविरेचन-द्रव्य तथा उनके प्रयोग<br/>25<br/>२. चमनं द्रव्य तथा उनके प्रयोग<br/>३. विरेचन द्रव्य तथा उनके प्रयोग<br/>३७<br/>४. आस्थापन बस्ति (निरूह) के द्रव्य तया उनके प्रयोग<br/>बुषिती इज्यों के प्रयोगस्थान<br/>उधीश फालिनी इत्थों का निर्देश<br/>५. अनुवासन बस्ति के द्रव्य<br/>३८<br/>पूर्वकर्म<br/>कामिनी इच्यों के प्रयोग स्थल<br/>३८<br/>युक्ति का महत्त्व<br/>चतुर्दिच महारनेह<br/>३८<br/>पाँच नमक<br/>३८<br/>सामान्यतः नमकों के गुण<br/>३८<br/>सूत्रों के नाम और संख्या<br/>सामान्यतः मूत्रों के गुण<br/>३९<br/>सूत्रों के पृथक् पृथक् गुण<br/>३९<br/>आठ प्रकार के दुग्ध<br/>३९<br/>दुग्धों के सामान्य गुण<br/>४०<br/>पृथक् पृथक् दुग्धों के गुण<br/>४०<br/>२ अट्ठाइस यवागू-वर्णन<br/>१. शूलनाशक यवागू<br/>२. पाचनी तथा आही पेया<br/>३. पञ्चमूल (लघु)<br/>४. पित्तश्लैष्मिक अतिसाररोगघ्नी पेया<br/>५. रक्तातिसारघ्नी पेया<br/>६. आमातिसार तथा मूत्रकृच्छघ्नी पेया<br/>७. मूत्रकृच्छ<br/>शोधनार्थ तीन अन्य वृक्ष<br/>४१<br/>८. क्रिमिघ्नी यवागू<br/>शोधनार्थ पुनः तीन वृक्ष<br/>४१<br/>९. पिपासा तथा विष में प्रयोगार्थ यवागू<br/>उपर्युक्त तीनों का आमयिक प्रयोग<br/>४१<br/>१०. सोमराजी (वाकुची)<br/>द्रव्यसम्बन्धी गणना का उपसंहार<br/>४१<br/>4 औषधि और चिकित्सक<br/>११. काय तथा मेदोरोग में प्रयोगार्थ यवागू<br/>वनवासियों का औषधि-परिचय में महत्त्व<br/>४१ १२. भुने हुए गवेधुक (जोन्हरी, जनेरा, मकई इत्यादि)<br/>४१<br/>औषधि-नाम-ज्ञान ही सम्पूर्ण नहीं<br/>४२<br/>तत्त्वविद कौन?<br/>४२<br/>श्रेष्ठ चिकित्सक का लक्षण<br/>४२<br/>अविज्ञात तथा विज्ञात औषधि के प्रयोग का परिणाम<br/>४२<br/>४२<br/>औषध के सम्यक् प्रयोग का महत्त्व<br/>सम्यक् प्रयोग का महत्त्व<br/>मूर्ख वैद्य की निन्दा<br/>मूर्ख वैद्य द्वारा रोगी से धन लेने की निन्दा<br/>चिकित्सक सदा प्रयत्नशील रहे<br/>श्रेष्ठ औषध तथा चिकित्सक<br/>चिकित्सा-साफल्य ही कसौटी है<br/>अध्यायगत विषयों की सूची<br/>१५. श्वास-कासघ्नी और पकाशयगत वात<br/>(शूल) में प्रयोगार्थ पेया<br/>४२<br/>१७. सारक (रेचक) तथा ग्राही यवाग<br/>४३<br/>१८. ग्राही यवाग<br/>४३<br/>१९. भेदिनी (रेचक) तथा वातानुलोमनी यवागू<br/>४३ २०. वातानुलोमनी यवागू<br/>४३<br/>२१. घृत तथा तैल-व्यापद् में प्रयोगार्थ यवागू<br/>४३<br/>२२. तैलव्यापादि यवागू<br/>४४<br/>२३. विषमज्वरघ्नी तथा कण्ठरोगघ्नी यवागू<br/>१३. स्नेहन तथा रूक्षणार्थ पेया<br/>१४. कुश का मूल और आमलक<br/>१६. यमक (घृत तैल)<br/>चरक संहिता<br/>अध्याय २<br/>अपामार्गतण्डुलीयमध्यायः<br/>an<br/>कर्यार्थ व्य-संग्रह<br/>१. शीर्षविरेचन-द्रव्य तथा उनके प्रयोग<br/>25<br/>२. चमनं द्रव्य तथा उनके प्रयोग<br/>३. विरेचन द्रव्य तथा उनके प्रयोग<br/>३७<br/>४. आस्थापन बस्ति (निरूह) के द्रव्य तया उनके प्रयोग<br/>बुषिती इज्यों के प्रयोगस्थान<br/>उधीश फालिनी इत्थों का निर्देश<br/>५. अनुवासन बस्ति के द्रव्य<br/>३८<br/>पूर्वकर्म<br/>कामिनी इच्यों के प्रयोग स्थल<br/>३८<br/>युक्ति का महत्त्व<br/>चतुर्दिच महारनेह<br/>३८<br/>पाँच नमक<br/>३८<br/>सामान्यतः नमकों के गुण<br/>३८<br/>सूत्रों के नाम और संख्या<br/>सामान्यतः मूत्रों के गुण<br/>३९<br/>सूत्रों के पृथक् पृथक् गुण<br/>३९<br/>आठ प्रकार के दुग्ध<br/>३९<br/>दुग्धों के सामान्य गुण<br/>४०<br/>पृथक् पृथक् दुग्धों के गुण<br/>४०<br/>२ अट्ठाइस यवागू-वर्णन<br/>१. शूलनाशक यवागू<br/>२. पाचनी तथा आही पेया<br/>३. पञ्चमूल (लघु)<br/>४. पित्तश्लैष्मिक अतिसाररोगघ्नी पेया<br/>५. रक्तातिसारघ्नी पेया<br/>६. आमातिसार तथा मूत्रकृच्छघ्नी पेया<br/>७. मूत्रकृच्छ<br/>शोधनार्थ तीन अन्य वृक्ष<br/>४१<br/>८. क्रिमिघ्नी यवागू<br/>शोधनार्थ पुनः तीन वृक्ष<br/>४१<br/>९. पिपासा तथा विष में प्रयोगार्थ यवागू<br/>उपर्युक्त तीनों का आमयिक प्रयोग<br/>४१<br/>१०. सोमराजी (वाकुची)<br/>द्रव्यसम्बन्धी गणना का उपसंहार<br/>४१<br/>4 औषधि और चिकित्सक<br/>११. काय तथा मेदोरोग में प्रयोगार्थ यवागू<br/>वनवासियों का औषधि-परिचय में महत्त्व<br/>४१ १२. भुने हुए गवेधुक (जोन्हरी, जनेरा, मकई इत्यादि)<br/>४१<br/>औषधि-नाम-ज्ञान ही सम्पूर्ण नहीं<br/>४२<br/>तत्त्वविद कौन?<br/>४२<br/>श्रेष्ठ चिकित्सक का लक्षण<br/>४२<br/>अविज्ञात तथा विज्ञात औषधि के प्रयोग का परिणाम<br/>४२<br/>४२<br/>औषध के सम्यक् प्रयोग का महत्त्व<br/>सम्यक् प्रयोग का महत्त्व<br/>मूर्ख वैद्य की निन्दा<br/>मूर्ख वैद्य द्वारा रोगी से धन लेने की निन्दा<br/>चिकित्सक सदा प्रयत्नशील रहे<br/>श्रेष्ठ औषध तथा चिकित्सक<br/>चिकित्सा-साफल्य ही कसौटी है<br/>अध्यायगत विषयों की सूची<br/>१५. श्वास-कासघ्नी और पकाशयगत वात<br/>(शूल) में प्रयोगार्थ पेया<br/>४२<br/>१७. सारक (रेचक) तथा ग्राही यवाग<br/>४३<br/>१८. ग्राही यवाग<br/>४३<br/>१९. भेदिनी (रेचक) तथा वातानुलोमनी यवागू<br/>४३ २०. वातानुलोमनी यवागू<br/>४३<br/>२१. घृत तथा तैल-व्यापद् में प्रयोगार्थ यवागू<br/>४३<br/>२२. तैलव्यापादि यवागू<br/>४४<br/>२३. विषमज्वरघ्नी तथा कण्ठरोगघ्नी यवागू<br/>१३. स्नेहन तथा रूक्षणार्थ पेया<br/>१४. कुश का मूल और आमलक<br/>१६. यमक (घृत तैल)<br/>चरक संहिता<br/>औषध<br/>८७८<br/>८७८<br/>स्वापरिणाम<br/>८७९<br/>८७९<br/>अध्याय ८<br/>अवाकृशिरसीयमिन्द्रियम् ८८१-<br/>शिल्प्रतियछायाविषयक अरिष्ट<br/>नेत्रविषयक अरिह<br/>अध्याय उपसंहार<br/>भू तथा आवर्तविषयक अरिष्ट<br/>कतमानिशरीरीवमिन्द्रियम् ८८०-८८२<br/>केशविषयक अरिष्ट<br/>नासाविषयक अरिष्ट<br/>८८०<br/>अचिकित्स्य रोगी<br/>दन्तविषयक अरिष्ट<br/>अतिसार तथा हिक्का की अरिष्टसूचकता<br/>८८०<br/>जिह्वाविषयक अरिष्ट<br/>८८०<br/>ज्वरकासविषयक अरिष्ट<br/>श्वासविषयक अरिष्ट<br/>मूत्रपुरीषविषयक अरिश<br/>८८१<br/>विविध अरिष्ट<br/>८८१<br/>शोधविषयक अरिष्ट<br/>शालेच्या विषयक अरिष्ट<br/>८८१<br/>अध्याय ९<br/>ज्वरकासविषयक अरिए<br/>८८१<br/>श्यावनिमित्तीयमिन्द्रियम् ८०<br/>शोथ, ज्वर, अतिसारविषयक अरिष्ट<br/>८८१<br/>नेत्रविषयक अरिष्ट<br/>विविध अचिकित्स्य रोगी<br/>८८२<br/>विविध अरिष्ट<br/>अध्याय उपसंहार<br/>८८२<br/>राजयक्ष्माविषयक अरिष्ट<br/>अध्याय ७<br/>अष्ट महारोगविषयक अरिष्ट<br/>पन्नरूपीयमिन्द्रियम्<br/>८८३-८८८<br/>आनाहविषयक अरिष्ट<br/>प्रतिच्छाया विषयक अरिष्ट<br/>संस्थान<br/>प्रतिच्छाया की परिभाषा<br/>छाया के ५ भेद<br/>१. नाभसी छाया<br/>८८३<br/>विविध अरिष्ट<br/>८८४<br/>निष्ठयूत शुक्र और पुरीष विषयक अरिष्ट<br/>८८४<br/>शंखकरोग-विषयक अरिष्ट<br/>८८४<br/>तीन पक्ष का अरिष्ट<br/>८८४<br/>अरिष्ट का सम्पूर्ण रूप से ज्ञान आवश्यक<br/>८८४<br/>२. वायवी छाया<br/>अध्याय - १०<br/>३. आग्नेयी छाया<br/>८८४<br/>सद्योमरणीयमिन्द्रियम्<br/>४. आम्भसी छाया<br/>८८४<br/>हृदयविषयक अरिष्ट<br/>५. पार्थिवी छाया<br/>८८४<br/>विविध अरिष्ट<br/>प्रभा की उत्पत्तिके कारण और भेद<br/>८८५<br/>वायुविषयक अरिष्ट<br/>छाया और प्रभा में भेद<br/>८८५<br/>विविध अरिष्ट<br/>छाया और प्रभा में अन्तर<br/>८८६<br/>सद्योमरणीय अरिष्टविषयक उपसंहार<br/>१५ दिन का मारक अरिष्ट<br/>८८६<br/>आहार तथा मलमूत्र विषयक अरिष्ट<br/>८८६<br/>अध्याय ११<br/>श्वासविषयक अरिष्ट<br/>८८७<br/>अणुज्योतीयमिन्द्रियम्<br/>नेत्रविषयक अरिष्ट<br/>८८७<br/>एक वर्ष का अरिष्ट<br/>विविध अरिष्ट<br/>८८७<br/>बलिविषयक अरिष्ट<br/>लिङ्ग तथा वृषणविषयक अरिष्ट<br/>अरुन्धती तारा-विषयक अरिष्ट<br/>विषय-सूची<br/>एक वर्ष का अरिष्ट<br/>६ मास का अरिष्ट<br/>८९९<br/>२. पथ में अरिष्टसूचक लक्षण मार्ग में होने वाले अरिष्टों का विवेबन<br/>८९९<br/>१ मास का अरिष्ट<br/>९००<br/>शुक्र-सूत्र-पुरीषविषयक अरिष्ट<br/>२००<br/>१ मास का अरिष्ट<br/>३. आतुरकुल में अरिष्टसूचक लक्षण<br/>शयनादि-विषयक अरिष्ट<br/>९००<br/>मसूरिका विषयक अरिष्ट<br/>४. मुख्य अरिष्टों का संग्रह<br/>९००<br/>विविध अरिष्ट<br/>पूर्वोक्त अध्यायों का उपसंहार<br/>९००<br/>नेत्रविषयक अरिष्ट<br/>मुमूर्षु व्यक्ति के अरिष्ट-लक्षण<br/>९०१<br/>इन्द्रिय-शक्ति का हास<br/>विविध अरिष्ट<br/>९०१<br/>स्मृति का नाश<br/>पञ्चमहाभूतविषयक अरिष्ट<br/>९०१<br/>विषम बुद्धि<br/>आयु-परीक्षा आवश्यक<br/>९०२<br/>विविध अरिष्ट<br/>अरिष्ट के लक्षण<br/>९०२<br/>स्पन्दनशील स्थान में विपरीतता<br/>अध्याय १२<br/>विविध अरिष्ट<br/>गोमयचूर्णीयमिन्द्रियम् ९०३-९१२<br/>औषधि प्रभावहीन<br/>एक मास का अरिष्ट<br/>प्रकृति-विकृति में परिवर्तन<br/>९०३<br/>पूर्वोक्त प्रसंग का उपसंहार<br/>गतिविषयक अरिष्ट<br/>९०३<br/>मरणासन्न स्थिति की घोषणा सावधानी से करें<br/>अर्धमास का अरिष्ट<br/>९०३<br/>प्रशस्त दूत के चिह्न<br/>नौषधविषयक अरिष्ट<br/>९०३<br/>शुभ शकुन द्रव्य<br/>नाहारविषयक अरिष्ट<br/>९०४<br/>उत्तम रोगी के लक्षण<br/>१. दूताधिकार<br/>९०४<br/>आरोग्य का फल<br/>वैद्यस्थिति-विषयक अरिष्ट<br/>९०४<br/>अध्याय का उपसंहार<br/>स्वयंदूत-विषयक अरिष्ट<br/>इन्द्रियस्थान के ज्ञान का फल |
700 ## - ADDED ENTRY--PERSONAL NAME | |
Personal name | Chaturvedi,Gorakhanath |
942 ## - ADDED ENTRY ELEMENTS (KOHA) | |
Source of classification or shelving scheme | Dewey Decimal Classification |
Koha item type | BOOKS |
Withdrawn status | Lost status | Source of classification or shelving scheme | Damaged status | Not for loan | Collection code | Home library | Current library | Date acquired | Coded location qualifier | Cost, normal purchase price | volume | Total Checkouts | Full call number | Accession No | Date last seen | Price effective from | Koha item type | Public note | Date checked out |
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Dewey Decimal Classification | Not For Loan | MAMCRC | MAMCRC LIBRARY | MAMCRC LIBRARY | 11/11/2023 | REF | 725.00 | Vol. I | 615.538 PAN | A5130 | 11/11/2023 | 11/11/2023 | BOOKS | Reference Books | |||||
Dewey Decimal Classification | MAMCRC | MAMCRC LIBRARY | MAMCRC LIBRARY | 11/11/2023 | 725.00 | Vol. I | 15 | 615.538 PAN | A5131 | 28/04/2025 | 11/11/2023 | BOOKS | 09/04/2025 | ||||||
Dewey Decimal Classification | MAMCRC | MAMCRC LIBRARY | MAMCRC LIBRARY | 11/11/2023 | 725.00 | Vol. I | 11 | 615.538 PAN | A5132 | 19/02/2025 | 11/11/2023 | BOOKS | 07/02/2025 | ||||||
Dewey Decimal Classification | MAMCRC | MAMCRC LIBRARY | MAMCRC LIBRARY | 11/11/2023 | 725.00 | Vol. I | 16 | 615.538 PAN | A5133 | 30/05/2025 | 11/11/2023 | BOOKS | 21/05/2025 | ||||||
Dewey Decimal Classification | MAMCRC | MAMCRC LIBRARY | MAMCRC LIBRARY | 11/11/2023 | 725.00 | Vol. I | 13 | 615.538 PAN | A5134 | 27/05/2025 | 11/11/2023 | BOOKS | 07/04/2025 |