General note |
3 द्रव्य विज्ञानीयम्<br/>1. आयुर्वेद निरुपण<br/>अनुक्रमणिका<br/>1.1 आयु का लक्षण, स्वरूप, पर्याय, मान व प्रकार<br/>1.2 आयुर्वेद का लक्षण, परिभाषा, प्रयोजन, अनादित्व व वेदत्व<br/>1.3 सिद्धान्त के लक्षण व प्रकार<br/>1.4 आयुर्वेद के मौलिक सिद्धान्तों का परिचय व महत्व<br/>2. आयुर्वेद दर्शन निरुपण<br/>2.1 आयुर्वेद की दार्शनिक पृष्ठभूमि<br/>2.2 दर्शन निरुपण-दर्शन शब्द की निरुक्ति, परिभाषा एवं प्रकार<br/>2.3 प्रमुख भारतीय दर्शनों का सामान्य परिचय व महत्व<br/>2.4 आयुर्वेद एक स्वतंत्र मौलिक दर्शन<br/>2.5 पदार्थ निरूपण पदार्थ शब्द की निरुक्ति, पद का लक्षण व भेद, पदार्थ की परिभाषा, भेद, आचार्य चरकमतानुसार पदार्थ विवेचन, आयुर्वेद के षटपदार्थों का महत्व एवं उपयोगिता, चिकित्सा में पदार्थ विज्ञान का प्रयोग<br/>3.1 द्रव्य निरुपण निरुक्ति, लक्षण व भेद<br/>3.2 पंचमहाभूत निरुपण विभिन्न दर्शन व आचार्यों (वैशेषिक, सांख्य, वेदान्त, मीमांसा, चार्वाक, न्याय, उपनिषद, सुश्रुत, चरक) के अनुसार सृष्टि विकास क्रम, पंच महाभूतों के लक्षण, गुण व भेद का विवेचन<br/>3.3 काल निरुपण-निरुक्ति, व्युत्पत्ति, लक्षण व भेद (प्रविभाग), काल की द्रव्यत्व सिद्धि आयुर्वेद में काल का महत्व<br/>3.4 दिक् निरुपण-लक्षण, दिक् की द्रव्यत्व सिद्धि, भेद व दिक्, ज्ञान का आयुर्वेद में महत्व<br/>3.5 आत्मा निरुपण लक्षण, द्रव्यत्व, भेद, चरकानुसार आत्मा के लक्षणों की सिद्धि, ज्ञानोत्पत्ति प्रक्रिया<br/>3.6 पुरुष निरुपण आयुर्वेद में वर्णित पुरुप विवेचन<br/>3.7 मनो निरुपण-निरुक्ति, पर्याय, लक्षण, उत्पत्ति, गुण, विषय, कर्म, मन का त्रिदोषों के साथ सम्बन्ध, मन के दोष, भेद, व स्थान, व्याधि अधिष्ठान एवं मन का उभयेन्द्रियात्मकत्वम् व पंचभूतात्वकम्<br/>3.8 देह प्रकृति व मानस प्रकृति के निर्माण में पंच महाभूत, त्रिदोष एवं त्रिगुणों की भूमिका<br/>3.9 तम निरूपण-तम के द्रव्यत्व की सिद्धि तथा उसके दशम द्रव्यत्व का खण्डन/मण्डन<br/>3.10 द्रव्य विज्ञानीयम् की चिकित्सा में प्रायोगिक उपयोगिता<br/>गुण विज्ञानीयम्<br/>4.1 गुण की निरुक्ति, लक्षण, संख्या, परिगणन व वर्गीकरण<br/>4.2 शब्दादि पर गुणों का यथाक्रम निरुपण<br/>4.3 गुण विज्ञानीयम् की चिकित्सा में प्रायोगिक उपयोगिता<br/>. कर्म विज्ञानीयम्<br/>5.1 कर्म का लक्षण एव न्यायदर्शनानुसार प्रभेद<br/>5.2 आयुर्वेदानुसार कर्म का विवेचन<br/>5.3 कर्म विज्ञानीयम् की चिकित्सा में प्रायोगिक उपयोगिता<br/>6. सामान्य विज्ञानीयम्<br/>6.1 सामान्य के लक्षण व भेद<br/>6.2 सामान्य विज्ञानीयम् की चिकित्सा में प्रायोगिक उपयोगिता<br/>विशेष विज्ञानीयम<br/>7.1 विशेष के लक्षण व भेद<br/>7.2 विशेष विज्ञानीयम् की चिकित्सा में प्रायोगिक उपयोगिता<br/>7.3 'प्रवृत्तिरूभयस्य तु' विवेचन<br/>समवाय विज्ञानीयम्<br/>8.1 सम्बन्ध के प्रकार व समवाय लक्षण<br/>8.2 समवाय विज्ञानीयम् की चिकित्सा में प्रायोगिक उपयोगिता<br/>अभाव विज्ञानीयम्<br/>9.1 अभाव का लक्षण, पदार्थत्व व भेद<br/>9.2 अभाव व आयुर्वेद तथा आयुर्वेद में अभाव विज्ञानीयम् का चिकित्सीय महत्<br/>प्रमाण विज्ञानीयम् (परीक्षा विज्ञानीयम् )<br/>179-19<br/>10.1 परीक्षा की परिभाषा, महत्व, आवश्यकता एवं उपयोगिता<br/>10.2 प्रमा, प्रमेय, प्रमाता व प्रमाण निरूपण<br/>10.3 प्रमाण का प्राधान्य, महत्व व प्रकार<br/>10.4 आयुर्वेद में प्रमाण निरुपण एवं चतुर्विध परीक्षा विधि<br/>10.5 अन्यान्य प्रमाणों का तीन प्रमाणों में अन्तर्भाव<br/>10.6 चिकित्सा में परीक्षा विधि की प्रायोगिक उपयोगिता<br/>आप्तोपदेश प्रमाण (आप्तोपदेश परीक्षा)<br/>11.1 आप्त व आप्तोपदेश लक्षण<br/>11.2 शब्द विवेचन शब्द लक्षण व प्रकार<br/>11.3 वाक्यार्थ या शब्दार्थ बोधक वृत्तियां (अभिधा, लक्षणा, व्यंजना एवं तात्पर्याख्या) तथा शक्तिगृह हेतु<br/>11.4 वाक्य विवेचन-वाक्य स्वरूप, वाक्यार्थ ज्ञान हेतु-आकांक्षा, योग्यता एवं सन्निधि<br/>11.5 आयुर्वेद एवं दर्शान्तरों में आप्तोपदेश प्रमाण का महत्व<br/>प्रत्यक्ष प्रमाण (प्रत्यक्ष परीक्षा)<br/>12.1 प्रत्यक्ष के लक्षण, भेद व प्रभेद<br/>12.2 इन्द्रिय प्राप्य कारित्वम् एवं सन्निकर्ष विवेचन<br/>12.3 इन्द्रिय निरुपण इन्द्रिय व्युत्पत्ति, उत्पत्ति, प्रकार, इन्द्रिया पंचपंचक, पंचकर्मेन्द्रिय, इन्द्रियों की पांच भौतिकता एक तुल्ययोनित्वता<br/>12.4 त्रयोदशकरण, अन्तःकरण का प्राधान्य<br/>12.5 प्रत्यक्षानुपलब्धि कारण (प्रत्यक्ष ज्ञान में बाधक भाव), विविध यन्त्रों से प्रत्यक्ष का विस्तार एवं प्रत्यक्ष प्रमाण के अतिरिक्त अन्य प्रमाणों की आवश्यकता<br/>12.6 शरीर क्रिया, रोगनिदान, चिकित्सा व अनुसंधान के क्षेत्र में प्रत्यक्ष प्रमाण की उपयोगिता<br/>13. अनुमान प्रमाण (अनुमान परीक्षा)<br/>13.1 अनुमान व्याख्या-निरुक्ति, लक्षण तथा अनुमिति परामर्श, व्याप्ति, पक्षर्धमता, पक्ष-सपक्ष-विपक्ष, व्याप्य, व्यापक, अविनाभाव सम्बन्ध अयुत् सिद्ध<br/>13.2 आचार्य चरक व न्याय दर्शनानुसार अनुमान प्रकार<br/>13.3 पंचावयव-प्रतिज्ञा, हेतु उदाहरण (दृष्टान्त) उपनयन, निगमन<br/>13.4 तर्क निरुपण<br/>13.5 शरीर क्रिया, रोगनिदान, चिकित्सा व अनुसंधान के क्षेत्र में अनुमान प्रमाण की उपयोगिता<br/>14. युक्ति प्रमाण (युक्ति परीक्षा)<br/>14.1 युक्ति लक्षण व विमर्श<br/>14.2 युक्ति प्रमाण का आयुर्वेद में महत्व<br/>14.3 युक्ति प्रमाण की चिकित्सा में प्रायोगिक उपयोगिता<br/>15. उपमान प्रमाण (उपमान परीक्षा)<br/>15.1 उपमान विवेचन-निरुक्ति, लक्षण व भेद<br/>15.2 चिकित्सा में उपमान प्रमाण की उपयोगिता<br/>16. कार्य कारण सिद्धान्त<br/>16.1 कार्य व कारण-लक्षण व प्रकार<br/>16.2 कार्यकारण भाव (सिद्धान्त) का आयुर्वेद में महत्व |