General note |
अनुक्रमणिका<br/>1. बाल-अध्ययन का क्षेत्र, महत्त्व और विधियाँ: <br/>2. विकास के सिद्धान्त और नियम..<br/>3. परिपक्वता और अधिगम (सीखना)<br/>4. शारीरिक वृद्धि और विकास..<br/><br/>5.संवेगात्मक विकास : मुख्य संवेग-भय, क्रोध, प्रेम, ईर्ष्या, खुशी, अनुराग, ज्ञानेच्छा, बाल्यावस्था में संवेगात्मक व्यवहार का विकास, बाल्यकाल के संवेगों की विशेषताएँ, प्रारम्भिक अन्तर-वैयक्तिक सम्वन्धों का महत्त्व...<br/>6. बौद्धिक विकास<br/>7. संज्ञान का विकास बालपन में संज्ञानात्मक योग्यता, बौद्धिक संज्ञानात्मक विकास की अवस्थाएँ, पियागेट के संज्ञानात्मक सिद्धान्त के मौलिक विचार: विचारना, तर्कना और स्मृति की भूमिका..<br/>8. भाषा का विकास (Development of Language)<br/>9. खेल : अर्थ और बचपन में खेल का महत्त्व, खेल की विशेषताएँ, खेल के प्रकार, स्वतन्त्र और स्वाभाविक खेल, कल्पनात्मक (अभिनयात्मक) खेल, रचनात्मक खेलकूद और क्रीडाएँ..<br/>10. कल्पना: बाल कल्पना का रूप और महत्त्व बाल साहित्य की भूमिका और महत्त्व कल्पना को प्रकट करना अभिनयीकरण दिवास्वप्न, मनोराज्य,<br/>11.सर्जनात्मकता का विकास और उसकी विशेषताएँ, बालपन की सर्जनात्मक क्रियाएँ.<br/>12.सामाजिक विकास समाजीकरण की प्रक्रिया और संस्थाएँ, परिवार के भीतरी तत्त्व विद्यालय और समुदाय का प्रभाव, सांस्कृतिक एवं सामाजिक विकास, सामाजिक तथा व्यक्तित्व के विकास का अन्तःसम्वन्ध.<br/>13. व्यक्तित्व का विकास अर्थ, परिभाषा और प्रकार, व्यक्तित्व के प्रभावोत्पादक तत्त्व<br/>14. मानसिक स्वास्थ्य और आरोग्य परिभाषा, पथभ्रष्ट व्यवहार के पूर्ण तत्त्व(Mental Health and Hygiene: Definitions, Predisposing Factors for Deviant Behaviour)<br/>15. बचपन की सामान्य समस्याएँ अंगूठा चूसना व नाखून काटना, मूत्राशय शैथिल्य (बिस्तर गीला करना), लज्जालू प्रकृति, क्रोध की प्रकृति, भाषा-कठिनाइयाँ-तुतलाना और हकलाना, भय, झूठ बोलना<br/>16. विशिष्ट बालक: प्रतिभावान बालक, पिछड़े बालक, शारीरिक न्यूनता से ग्रस्त<br/>17.यौवनोन्मुख समस्या : किशोरावस्था के व्यवहार की विशेषताएँ, घर, स्कूल और समाज में संघर्ष और सामंजस्यीकरण, विद्यालय से अनुपस्थित रहना और किशोर अपराधी कारण, रोकना और सुधार<br/>18. बच्चे व माता-पिता और पारिवारिक सम्बन्ध मानव व्यवहार को समझने के आधार-शारीरिक, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक आवश्यकताएँ, व्यवस्था करना, स्थिति को व्यवस्थित करने के साधन-भागना, अभियोग लगाना, उद्देश्य में परिवर्तन करना, व्यवस्था करने में सन्तुलन, माता-पिता का उत्तरदायित्व, माता-पिता के प्रकार बालक सम्बन्ध- (i) निरंकुश (ii) लोकतान्त्रिक (iii) स्वीकृति देने वाले, बच्चे के सामाजिक व व्यक्तित्व के विकास पर माता-पिता की अभिवृत्ति का प्रभाव, बालक की क्रियाओं का मार्ग-दर्शन व निर्देशन, बालकों के लिए उनकी रुचि की योजना बनाना<br/> |