Amratmaya Vishnu Puran : Kalyugi Samul Kast Nivarak
Material type:
- 9789383980185
- 294.5925 SAI
Item type | Current library | Collection | Call number | Status | Date due | Barcode | |
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विषय-सूची
अमृत-मयः विष्णु-पुराण
प्रथम-भाग
1. मुनि पराशर द्वारा मैत्रेय जी को विष्णु जी से प्राप्त ज्ञान के विषय में बतलाना
2. पराशर मुनि के मुखारविन्द से भगवान विष्णु की महिमा का वर्णन
3. मुनि पराशर द्वारा मैत्रेय जी को ब्रह्मा आदि की आयु और काल का वर्णन सुनाना
4. भगवान विष्णु का वाराह अवतार धारण कर पृथ्वी का उद्धार करना
5. विष्णु की प्रेरणा से ब्रह्मा जी द्वारा देवता, दानव ऋषि मुनियो एवं मानव आदि की उत्पत्ति की कथा का वर्णन
6. भृगु, पुलस्त्य, अंगिरा आदि की उत्पत्ति, तामसिक सर्ग, मनु और शत रूपा के वंश का वर्णन
7. पराशर जी द्वारा रूद्र सृष्टि का वर्णन तथा लक्ष्मीपति श्री हरि की सर्वव्यापक्ता का वर्णन
8. दुर्वाशा ऋषि के शाप से इन्द्र आदि देवताओं का पराजित होना और ब्रह्मा जी की प्रेरणा से भगवान विष्णु के पास सहायता के लिए जाना
9. भगवान विष्णु द्वारा इन्द्र आदि देवताओं को समुद्र मन्थन के लिए प्रेरित करना
10. लक्ष्मी पति श्री हरि की प्रेरणा से देवताओं का दानवो के पास जाकर समुद्र मन्थन का प्रस्ताव उनके समक्ष रखना
11. भगवान विष्णु द्वारा बतायी गयी युक्ति को सुनकर नारद का दैत्यो को वासु कि के मुख तथा देवताओं को पूछँ की ओर लगाना
12. भगवान विष्णु का मानव संस्कृति को बचाने के लिए कूर्म अवतार धारण करना
13. भगवान विष्णु की प्रेरणा से हलाहल विष से व्याकुल हुए देवताओं का महादेव जी की शरण में जाकर विष का प्रभाव नष्ट करने की प्रार्थना करना और उनकी प्रार्थना को सुनकर भगवान शिव का विष पीना
14. पराशर जी द्वारा देवी लक्ष्मी की उत्पत्ति की कथा एवं इन्द्र द्वारा स्वर्ग लोक में उनकी स्तूति कर मनोवांछित वर प्राप्त करना
15. पराशर जी द्वारा भृगु कुल की उत्पत्ति का वर्णन सुनाना
16. ध्रुव का सौतेली माँ से दुखी होकर तप करने के लिए वन को जाना
17. भगवान विष्णु का ध्रुव की कठिन तपस्या को देखकर प्रशन्न होना और फिर उसे ध्रुव लोक प्रदान करने का वर देना
18. ध्रुव कुल में राजा वेन तथा पृथु की उत्पत्ति की कथा का वर्णन
19. राजा पृथु और गाय रूपी पृथ्वी की लोक कल्याण के लिए वार्ता
20. पृथ्वी ने लोक कल्याण के लिए राजा पृथु से यह वचन कहे
21. प्राचीन बर्हि के पुत्र प्रचेताओं द्वारा अपने पिता की आज्ञा मानकर भगवान विष्णु की जल में रहकर घोर तप करना। फिर विष्णु द्वारा उन्हे सृष्टि वृद्धि का वर प्रदान करना
22. ब्रह्मा और चन्द्रमा द्वारा प्रचेताओं का विवाह मारिषा नामक कन्या के साथ करना
23. प्रजापति दक्ष की उत्पत्ति एवं उनकी साठ कन्याओं के कुल का वर्णन
24. दैत्य राज हिरण्यकाशिपु का त्रिलोक पर विजय प्राप्त करना तथा प्रहलाद का दैत्य पुत्रो को भगवान विष्णु की अराधना करने के लिए ज्ञानोपदेश की शिक्षा देना।
25. प्रहलाद द्वारा दैत्यो पुत्रो को भगवान विष्णु के ज्ञान का उपदेश की शिक्षा देने पर अग्नि से उत्पन्न कृत्या द्वारा प्रहलाद को मारने का प्रयत्न करना
26. शम्बासुर जैसा मायावी दैत्य भी प्रहलाद का बाल बाँका भी न कर सका और फिर भगवान विष्णु का प्रहलाद की रक्षा के लिए सुदर्शन चक्र का भेजना
27. भक्त प्रहलाद की भक्ति से संतुष्ट होकर भगवान विष्णु का प्रकट होना तथा उसे मनोवांछित वर माँगने को कहना
28. भगवान विष्णु का नृसिंह अवतार रूप धारण कर प्रकट होना। और फिर दैत्यराज हिरण्यकशिपु का वद्य करना
29. प्रहलाद द्वारा नृसिंह भगवान का क्रोध शान्त करना और फिर नृसिंह द्वारा अपने परम भक्त प्रहलाद को सिंहासन पर बैठाना
30. भगवान विष्णु ही सृष्टि की उत्पत्ति एवं संसार की व्यव्सथा की रचना करते है।
अमृत-मयः विष्णु-पुराण दूसरा-भाग
1. पराशर जी द्वारा उत्तानपाद के पुत्र प्रियव्रत के कुल की कथा सुनाना
2. पराशर जी द्वारा भौगोलिक स्थिति का ज्ञान कराना
3. भारत आदि नौ खण्डो के विभाजन का वर्णन
4. पराशर जी द्वारा लोक हित में मैत्रेय जी को सातो द्वीपो का वृत्तान्त सुनाना
5. सात पाताल लोको का वर्णन सुनाना
6. पराशर जी द्वारा मैत्रेय जी को सभी प्रकार के नरको एवं भगवान विष्णु के नाम की महिमा बतलाना
7. मैत्रेय मुनि का भू र्भुवः आदि सात उर्ध्व लोको का वृत्तान्त पराशर जी से पूछाना
8. पराशर जी का लोक कल्याण के निमित्त सूर्य आदि ग्रहो की स्थिति एवं गंगा जी के प्रकट होने की कथा सुनाना
9. भगवान विष्णु के ज्योतिषचक्र एवं शिशुमार चक्र का वर्णन
10. सूर्य देव के बारह गणो के नाम जो सूर्य मण्डल में रहकर उनके रथ का संथालन कर ऋतुऐ आदि के कारण बनकर विष्णु की पराशक्ति द्वारा संसार का पोषण करते है।
11. पराशर जी द्वारा चन्द्रमा आदि नौ ग्रह नक्षत्रो का वृत्तान्त सुनाना
12. भगवान विष्णु के परम भक्त राजार्षि शिरोमाणि भरत के चरित्र का वर्णन
13. राजर्षि भरत एवं राजा सौवीर की कथा का वृत्तान्त
14. जड भरत एवं राजा सौविर के ज्ञानात्मक उपदेश की चर्चा का वर्णन
15. ऋषि ऋभु द्वारा महर्षि पुलस्त्य के पुत्र निदाध को तत्व ज्ञान का उपदेश देना
16. जड़ भरत द्वारा मुनि ऋभु एवं निदाघ की कथा को सुनकर राजा सौवीर को मोक्ष की प्राप्ति
अमृत-मयः विष्णु-पुराण
तीसरा-भाग
1. मैत्रेय जी द्वारा पहले सात मन्वन्तरो के मनु, देवता, सप्तर्षि और मनु पुत्रो का वर्णन पूछना
2. सावर्णि मनु की उत्पत्ति और चौदह मन्वत्तरों के मनु, मनु पुत्र, देवता, इन्द्र और सप्तर्षियो का वृत्तान्त
3. चारो युगो के अनुसार भिन्न-भिन्न व्यासो का विवरण और ब्रह्मज्ञान के माहात्मय का वर्णन
4. पराशर जी के मुखारविन्द से ऋगवेद की शाखाओं का वर्णन
5. यजुः वेद की शाखाओं का वर्णन
6. मुनि पराशर जी द्वारा मैत्रेय जी को अठारह पुराणों और चौदह विद्याओं सहित सामवेद की शाखाओं का वर्णन सुनाना
7. लोक पतिामह भीष्म का अपने मित्र कालिंग ब्राह्ममण की कथा को सुनाकर नकुल को यमलोक में भी विष्णु की महिमा का
महात्मय बतलाना
. भगवान विष्णु की अराधना एवं चारो वर्षों एवं आश्रमो का विवरण
9. और्व ऋषि द्वारा नाम करण संस्कार आदि की विधि तथा गृहस्थ सम्बन्धी सदाचार का वर्णन सुनाना
10. देवताओं का दैत्यो से पराजित होकर अपनी सहायता के लिए भगवान विष्णु की शरण में जाना
11. भगवान विष्णु द्वारा प्रकट माया मोह का दैत्यो को उनके धर्म से विमुख करना तथा राजा शतधनु की कथा का वर्णन सुनाना
अमृत-मयः विष्णु-पुराण
चौथा-भाग
1. वैवस्वत् मनु के वंश का वृत्तान्त तथा ब्रह्मा जी के उपदेशानुसार रैवती का विवाह बलराम के साथ करना
2. इक्ष्वाकु कुल का वर्णन तथा मान्धाता की कन्याओं का ऋषि सौरभि के साथ विवाह की कथा एवं उनकी कथा से मिलने वाली प्रेरणा का वर्णन
3. राजा मान्धाता की सन्तानोकी वंशावली एवं राजा सगर की उत्पत्ति की कथा का वृत्तान्त
4. मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की वंशावली तथा उनके चरित्र का वर्णन
5. जनक वंश में राजा निमि के चरित्र का वर्णन एवं उनके कुल का वर्णन
रिचय
6. पराशर जी द्वारा चन्द्रवंशीय राजाओं का वृत्तान्त तथा इन्ही के कुल के राजा पुरूरवा के चरित्र का वर्णन
7. जहनु का क्रोधित होकर गंगा का पान करना तथा जमदग्नि और विश्वामित्र की उत्पत्ति की कथा
8. पराशर मुनि का काश्याप वंश का वर्णन सुनाना
9. पराशर जी द्वारा राजा रजि एवं उनके महापराक्रमी पुत्रो का वर्णन सुनाना
10. राजा नहुश एवं उनके पुत्र ययाति के चरित्र का वर्णन
11. ययाति के पुत्र यदु से यदुवंश की उत्पत्ति तथा कृतवीर्य के पुत्र सहस्त्रार्जुन के चरित्र का वर्णन
12. यदु पुत्र राजा कोष्टु का चरित्र
13. राजा सत्वक के वंश का वर्णन तथा स्यमन्तक मणि की कथा
14. स्यमन्तक मणि के कारण सत्राजित का मारा जाना और फिर श्री कृष्ण द्वारा मानव कल्याण के लिए वह स्यमन्तक मणि पुनः अक्रूर जी को प्रदान करना
15. अनमित्रा और अन्धक के कुल का वर्णन
16. शीशुपाल के पूर्व जन्म की कथा एवं वसुदेव के वंश का वर्णन
17. पुरूवंश का वर्णन
18. राजा कुरू के वंश का वर्णन
19. पराशर जी द्वारा भविष्य में होने वाले अन्य राजाओं का वर्णन
20. भविष्य में होने वाले इक्ष्वाकु कुल के राजाओं का वृत्तान्त
21. मगध वंश के राजाओं का वर्णन
22. पराशर मुनि द्वारा मैत्रेय जी को कलियुग में होने वाले राजाओं का वृत्तान्त सुनाना
23. पराशर जी द्वारा मैत्रेय मुनि को कलियुग के लक्षण बतलाना
24. मैत्रेय जी का पराशर मुनि से कलियुग के दोषों से बचने का उपाय पूछना
अमृत-मयः विष्णु-पुराण
पाँचवा-भाग
1. वसुदेव एवं देवकी विवाह तथा पृथ्वी का दुखी होकर ब्रह्मा एवं देवताओं सहित क्षीर सागर पर जाना और भगवान का प्रकट होकर पृथ्वी का धैर्य बंधाना तथा कृष्ण अवतार के प्रकट होने कथा सुनाना
2 विष्णु भगवान का देवकी के गर्भ में प्रविष्ट होने पर देवताओं द्वारा देवकी की स्तुति करना
5 भगवान विष्णु का प्रकट होना तथा योगमाया द्वारा कंस को चेतावनी
4 वसुदेव व देवकी का कारागार से मुक्त होना
5 पूतना उद्धार
6 बालक कृष्ण का करवट बदलने का अभिषेक उत्सव और शकटासुर उद्धार
7 नाम करण संस्कार तथा यमलार्जुन (अर्जुन के वृक्षो) को नारद के शाप से मुक्त कराना तथा गोकुल वासियों का वृन्दावन प्रस्थान करना
8 कालिया नाग को जीवन दान देना
9 धेनुकासुर को मौत के घाट उतारना
10 बलराम के हाथो प्रलम्बासुर का वद्य
11 कृष्ण द्वारा इन्द्र की पूजा न कर गोवर्धन की पूजा करने का निर्णय लेना
12 इन्द्र के क्रोध एवं अभिमान की दूर कर श्री कृष्ण का गोवर्धन धारण करना
13 देवराज इन्द्र का भगवान श्री कृष्ण की स्तुति करना
14 ग्वालबालो द्वारा भगवान श्री कृष्ण के प्रभाव का वर्णन तथा गोपियो को उनके धर्म के प्रति आत्म ज्ञान की शिक्षा देना
15 कृष्ण द्वारा केशो नामक दैत्य के प्राण हरना
16 श्री कृष्ण को बुलाने के लिए कंस का अक्रूर को भेजना तथा गोपियो का विरह और अक्रूर जी का सन्देह दूर करने को अपने चतुर्भु जी रूप के दर्शन देना
17 कृष्ण व बलराम का मथुरा में प्रवेश करना तथा माली पर कृपा करना
18 कृष्ण का एक कुबड़ा स्त्री का कल्याण करना तथा कृष्ण द्वारा धनुष टूटने और हॉथी के अभिनन्दन से कंस का भयभीत होना
19 कंस वद्य
20 श्री कृष्ण का वसुदेव व देवकी को मुक्त कर महाराज उग्रसेन को राज्य सौपना और फिर सान्दीपनी से शिक्षा ग्रहण कर उनके मृतक पुत्र को लाकर उन्हे सौपना
21 श्री कृष्ण द्वारा जरासंघ की पराज्य
22 द्वारिकापुरी का निर्माण
23 कालयवन का भस्म होना
24 राजा मुचुकन्द द्वारा भगवान की स्तुति करना
25 राजा मुचुकन्द की तपस्या तथा दाऊ की ब्रज यात्रा और यमुनाकर्षण का वर्णन
26 श्री कृष्ण रूकमणी विवाह की कथा का वर्णन
27 प्रधुम्न हरण और दैत्य शम्बरासुर का वद्य
28 अनिरूद्ध, रूकमावती विवाह तथा रूकमऊ उर्फ रूकमा का वध
29 नरकासुर उर्फ भौमासुर द्वारा अपहरण की गयी सौलह हजार एक सौ कन्याओ को श्री कृष्ण द्वारा मुक्त कराना
30 मारिजात (कल्प वृक्ष) के न देने पर श्री कृष्ण व देवराज इन्द्र में महासंग्राम
31 उषा चरित्र
32 श्री कृष्ण और दैत्यराज बाणासुर का महासंग्राम तथा उषा अनिरूद्ध विवाह
33 पौण्डक वद्य तथा काशी-दहन
34 बलराम का हस्तिनापुर में जाकर साम्ब एवं लल्क्ष्मणा का विवाह करवाना
35 बलराम जी द्वारा द्विविद्ध वानर को मौत के घाट उतारना
36 ऋषियो का यदुवंशियों को शाप देना
37 यदुवंशियो का नाश तथा भगवान श्री कृष्ण का अपने धाम सिधारना
38 यादवो का अन्तेष्टि संस्कार, परीक्षित का राज्यभिषेक तथा पाँडवो का स्वर्गारोहण
अमृत-मयः विष्णु-पुराण
छठा-भाग
1 मैत्रेय जी का कल्पान्त में होने वाले महाप्रल्य के विषय में पूछना
2 व्यास मुनि द्वारा कलियुग में शूर्द्र (अज्ञानियो) और स्त्रियो का महत्व बतलाना
3 पराशर जी द्वारा प्रलय का वर्णन सुनना
4 प्राकृत प्रलय का वर्णन
5 विविध तापो का वर्णन तथा भगवान वासुदेव के पारसार्थिक स्वरूप का ज्ञान
6 राजा केशिध्वज और महामति खाणिडक्य की कथा का वर्णन
7 ब्रह्मा योग का ज्ञान प्रदान करना
8.शिष्य परम्परा के अनुसार अमृतमय विष्णु का ज्ञान कराना तथा भगवान का माहात्मय और उपसंहार का वर्णन
आरती ओउम जय जगदीश हरे
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