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Ishwar tatha Dharm ke Pare

By: Material type: TextTextPublication details: Agra Rakhi Prakashan
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विषय-सूची
प्रस्तावना के रूप में दो शब्द
(v)
अध्याय 1 ईश्वरः समस्याओं का निर्माता नंबर एक
(viii)
प्रस्तावना
1-73
1
2
4
6
11
12
12
12
ईश्वर का स्वरूप
ईश्वर (सगुण, सांकार, व्यक्ति स्वरूप) एवम् (निर्गुण निराकार एवम्
व्यक्तित्व से परे। बहह्यन्
ईश्वर को संकल्पना में आत्मविसंगतियों
ईश्वर के अस्तित्व हेतु प्रस्तुत प्रमाणों का खोखलापन
(अ) अनुभव पर आधारित प्रमाण
(1) आदिकारण मूलंक प्रमाण
(क) आदिचालक के अस्तित्व पर आधारित प्रमाण
(ख) विश्व का आदिकारण मूलक प्रमाण
(ग) विश्व का आधारमूलक प्रमाण
16
18
21
(1) पूर्वनियोजित सामंजस्यमूलक प्रमाण
(क) नैतिकता मूलक प्रमाण
25
(iv) विश्व की सापेक्षता-मूलक प्रमाण
26
(v) उपयोगिता मूलक प्रमाण
30
(vi) चमत्कार मूलक प्रमाण
32
(vii) ईश्वर से साक्षात्कार पर आधारित प्रमाण
(ब) प्रागनुभविक प्रमाण
39
(1) सत्ता मूलक प्रमाण
42
42
44
कठिनाईयों जो ईश्वर को मानकर हम अपने लिये पैदा करते हैं-
(1) विश्व की सत्यता
(1) ईश्वर और विश्व का संबंध
Del
(ii) ईश्वर तथा आत्माएँ
(iv) ईश्वर तथा धर्म
(v) ईश्वर तथा नैतिकता
48
(vi) ईश्वर तथा मानव का भाग्य
(vii) ईश्वर तथा अशुभ
Sa
ईश्वराधिष्ठित स्पष्टीकरण = शून्य स्पष्टीकरण
58
MLIR
ईश्वर का उदय, विकास एवम् भविष्य
59
निष्कर्ष
68
73
अध्याय 2 धर्म समस्याओं का निर्माता नंबर दो
Programmes
74-158
प्रस्तावना
74
धर्म की परिभाषा
75
धर्म के अंग
www.mude.oc.in
77
धर्म का उदय
83
धर्म का स्वरूप
88
धार्मिक श्रद्धा (ओ) का विशिष्ट स्वरूप
97
सच्ची नैतिकता धर्म के बाहर ही संभव है
112
क्या धार्मिक कथन अर्थपूर्ण होते हैं ?
121
ईश्वरविहीन धर्म का स्वरूप
130
आत्मा: समस्याओं की जननी
131
दिव्य स्वर्ग यह है
138
समाज की अमरताः कुछ संभावनाएँ
143
धर्म के कारण होने वाली हानियाँ
146
धर्म का भविष्य
153
अध्याय 3 ईश्वर और धर्म के बिना जीवन : एक झलक
159-164
ईश्वर तथा धर्म के परे का जीवन
159

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