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Hindi Shikshan

By: Material type: TextTextPublication details: Agra Shri Vinod Pustak Mandir 2016Edition: 24thDescription: 388p.;24cmISBN:
  • 9788174570482
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विषय-सूची
1.भाषा-नीति और भाषा के विविध रूप
स्वतन्त्रता से पूर्व भाषा-नीति, स्वतन्त्र भारत की भाषा नीति, भारत में भाषा के विविध रूप।
2.त्रिभाषा-सूत्र
प्राथमिक शिक्षा में त्रिभाषा-सूत्र, उच्च शिक्षा में त्रिभाषा-सूत्र, माध्यमिक शिक्षा में त्रिभाषा-सूत्र, त्रिभाषा-सूत्र का प्रवर्तन, त्रिभाषा-सूत्र का विश्लेषण, निष्कर्ष।
3. हिन्दी की सम्पन्नता
भाषा वैज्ञानिक परिचय, ऐतिहासिक परिदृश्य, वैज्ञानिक लिपि, समृद्ध शब्दावली, सरल वाक्य-रचना, शुद्ध वर्तनी, स्वाभाविकता, हिन्दी की व्यापकता, राष्ट्रीय एकता, भारतीय संस्कृति, वैज्ञानिक साहित्य, विदेशों में हिन्दी-शिक्षण, हिन्दी का भावी रूप।
4. पाठ्यक्रम में भाषाओं का स्थान
पाठ्यक्रम में विषयों के महत्व का प्रश्न, मातृभाषा, राष्ट्रभाषा, प्राचीन सांस्कृतिक भाषा, विदेशी भाषा, कितनी भाषाएँ पढ़ाई जायें? प्रारम्भिक पाठ्यक्रम में भाषा, माध्यमिक पाठ्यक्रम में भाषा, उच्च पाठ्यक्रम में भाषा।
5. मातृभाषा की महत्ता और पाठ्यक्रम में उसका स्थान
मातृभाषा एवं उसकी महत्ता, मातृभाषा द्वारा राष्ट्रीय एकता का विकास, मातृभाषा के प्रति अरुचि का कारण तथा उसका प्रभाव मातृभाषा का पाठ्यक्रम में स्थान ।
6. अपेक्षित योग्यताएँ
सुनने की योग्यता, सुनने की योग्यताओं का विवरण, बोलने की योग्यताओं का विवरण, पठन सम्बन्धी अपेक्षित योग्यताएँ, लिखने की योग्यताएँ, चिन्तन की योग्यता।
7. हिन्दी-शिक्षण के उद्देश्य
हिन्दी-शिक्षण के सामान्य उद्देश्य, उद्देश्यों का विश्लेषण, ज्ञानात्मक उद्देश्य, कौशलात्मक उद्देश्य, रसात्मक एवं समीक्षात्मक उद्देश्य, सर्जनात्मक उद्देश्य,
अभिवृत्त्यात्मक उद्देश्य।
8. हिन्दी का पाठ्यक्रम
प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा-शिक्षण के उद्देश्य, प्राथमिक स्तर के अन्त तक भाषा अधिकार की सीमा, निम्न माध्यमिक स्तर पर मातृभाषा-शिक्षण के उद्देश्य, उच्चतर माध्यमिक स्तर पर मातृभाषा-शिक्षण के उद्देश्य, उद्देश्य के अनुरूप शिक्षण, पाठ्यक्रम के ज्ञान की आवश्यकता, पाठ्यक्रम का क्षेत्र एवं पाठ्य-वस्तु।
9. भाषा-शिक्षण के सामान्य सिद्धान्त
स्वाभाविकता का सिद्धान्त, प्रयत्न का सिद्धान्त, लेखन-कार्य से पूर्व मौखिक कार्य का सिद्धान्त, बोलने और लिखने में सामंजस्य का सिद्धान्त, स्वतन्त्रता का सिद्धान्त,
10. भौखिक भार प्रकाशन
11. वाचन की शिक्षा
कायद्देश्य सुन्दर वाचन की विशेषताएँ वाचन के आधार, दरसन-क्षिण की विधियाँ सुन्दर वाचन के लिए ध्यान देने योग्द बान को दूर करने की विधियाँ बाचन के प्रकार, सस्वर वाचन, मौन वाकन सस्वर एवं मौन वाचन तथा विभित्र प्रकार के पाठ।
12. ध्वनि विचार
हिन्दी वर्णमाला, स्वरों की मात्राएँ व्यंजन नासिक्य व्यंजन व्यंजन गुच्छ, मध्य एवं अन्य स्थिति अक्षर, बलाघात् बलाघात और संगम् त की उच्चारण प्रक्रिया, सुर तथा सुरहर कुछ सामान्य अशुद्धियों।
13. उच्चारण की शिक्षा
उध्दरण की शुद्धता का अर्थ शुद्ध उच्चारण का महत्व, उच्चारण की सामान्य अशुद्धियाँ, अशुद्ध उच्चारण के कारण सुधार के उपाय उच्चारण के कुछ नियम।
14. लेखन-शिक्षण
लेखन का स्वरूप, लेखन-शिक्षण के उद्देश्य लेखन-शिक्षण प्रारम्भ करने का समय लेखन-शिक्षण-विधि, लिखना सिखाने में ध्यान रखने योग्य बातें, सुलेख, अनुलेख, भुतले, पाठ-योजना।
15. वर्तनी की शिक्षा
वर्तनी सन्ची अशुद्धियों, वर्तनी सम्बन्धी अशुद्धियों के कारण, तकनीकी कारण, व्यावहारिक कारण, वर्तनी सम्बन्धी अशुद्धियों को सुधारने के उपाय, वर्तनी के कुछ नियम, वर्तनी शिक्षण।
16. व्याकरण-शिक्षण
व्याकरण का अर्थ एवं महत्व, भारत में व्याकरण की परम्परा, व्याकरण की शिक्षा व्याकरण के पाठ्यक्रम का साधारण विज्ञापन, वाक्य-संरचना और शब्द वर्ग, शब्द-रचना, संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण क्रिया अव्यय, पद-व्याख्या एवं वाक्य-विश्लेषण, शब्दार्थ विचार, रस, छन्द एवं अलंकार, सन्धि व समास, व्याकरण-शिक्षा-प्रणाली, ध्यान देने योग्य बातें. पाठ-योजना (प्रथम), पाठ-योजना (द्वितीय), पाठ-योजना (तृतीय)।
17. मुहावरों एवं लोकोक्तियों का शिक्षण
भाषा में मुहावरों एवं लोकोक्तियों की महत्ता, मुहावरा, लोकोक्ति, मुहावरों एवं सोलियो का शिक्षम, पाठ-योजना।
1111
18. रचना-शिक्षण
हिन्दी वाक्य-रचना, वाक्यरचना सम्बन्धी सामान्य अशुद्धियर्थी अनुको रचना, अनुछेय रचना में ध्यान देने योग्य बाते रचना के उदेश्य, विनित स्तरों पर रचना-कार्य, प्राथमिक स्तर पर रचना कार्य, वाक्यरचना वाक्यों की पूर्ति करना, वाक्यों को तीक प्रकार से लिखना शब्दप्रयोग पकलेखन उद्देश्य और विधेय छोटना, कंवल कर्ता जोडना, प्रश्न-सूचक वाक्य बनाना निषेधात्मक वाक्य बनाता रिक्त स्थानों की पूर्ति करना, माध्यमिक स्तर पर रचना कार्य रचना शिक्षण की विधियों समाज-सेवा, रचना शिक्षण की सर्वोत्तम विधि, रचना कार्य का संशोधन, पात-योजना।
19. गद्य-शिक्षण
गद्य का महत्त्व, हिन्दी-गद्य का विकार, गद्य-शिक्षण के उद्देश्य गद्य-पाठ और हुत-पात, गद्य-पात के रूप अपठित गद्य-पात, गद्य की पाठ्य-पुस्तक शिक्षण-विधि, पाठ-योजना प्रथम, पाठ-योजना द्वितीय।
20.कहानी तथा उसका शिक्षण
कहानी की परिभाषा, कहानी और उपन्यास में भेद, कहानियों का वर्गीकरण, कहानी के तत्त्व, कथा-साहित्य का विकास, आधुनिक युग में कहानी का विकास, कहानी-शिक्षण के उद्देश्य कहानी-कथन तथा कक्षा, विद्यालय में कहानी की उपयोगिता, कहानी का निर्वाचन, कहानी-रचना, कहानी सुनाने वाले की विशेषताएँ, शिक्षण-विधि, पाठ-योजना।
21. उपन्यास तथा उसका शिक्षण
उपन्यास क्या है ? उपन्यासों का वर्गीकरण, उपन्यासों के तत्त्व, उपन्यास-साहित्य का विकास, उपन्यास-शिक्षण, उपन्यास-शिक्षण के उद्देश्य, उपन्यास-शिक्षण-विधि, शिक्षण-क्रम।
22. नाटक तथा उसका शिक्षण
नाटक की उत्पत्ति, नाटक तत्त्वों के सिद्धान्त, हिन्दी नाटक का विकास, नाटक का प्रयोजन, नाटक-शिक्षण के उद्देश्य, नाटक-शिक्षण की प्रणालियों, नाटक-शिक्षण में कुछ ध्यान देने योग्य बातें, पाठ-योजना।
23 . कविता-शिक्षण
कविता क्या है ? कविता की रसात्मकता, हिन्दी में काव्य-साहित्य का विकास, काव्य-विभाजन, कविता-शिक्षण के उद्देश्य, रसानुभूति, कविता-शिक्षण की विधियों, कविता-शिक्षण की कौन-सी विधि अपनायी जाये ? पाठ-योजना।
24. पद्यांशों की व्याख्या की शिक्षा
भक्तिकालीन पदों की व्याख्या, रीतिकालीन पदों की व्याख्या, आचार्य केशवदास का उदाहरण, बिहारी का उदाहरण, भूषण का उदाहरण, आधुनिक कालीन पदों की व्याख्या, एक उदाहरण, दूसरा उदाहरण, तीसरा उदाहरण।
25. समालोचना और उसकी शिक्षा
समालोचना का महत्त्व, रीति और शैली, समालोचना का स्वरूप, समालोचक के गुण, भारतीय समालोचना-शास्त्र का विकास, समालोचना करने की योग्यता का विकास, पाठ-योजना।
26. सस्वर कविता-पाठ एवं अभिनय का शिक्षण
कविता-पाठ का महत्त्व, काव्य-पाठ के आयोजन, अभिनय, अभिनय-शिक्षा की आवश्यकता, अभिनय का आयोजन, संवाद-रचना।
27. भाषण की शिक्षा
प्रस्तावना मात्र की विशेषताएँ कठिनाइयों भाषण हेतु कुछ उपयोगी बाते भावन की शिका (पूर्व तैयारी, सत्यपरक होऔर को पदमा और उनका अनुकरण करना निजी शैली का विकास) भाषा का प्रारন্দ माषण का मध्य, भाषा का अनर उपसंहार।
28. विद्यालयी पत्र-पत्रिका
प्रस्तावना, समाचार-पत्र की आवश्यकता और व्यवस्था समाचार का सम्पादन, पत्र का प्रकाशन, विद्यालय पत्रिका (साहित्यिक संग्रह अभिलेखात्मक इतिहास, वार्षिकी का स्वरूप, वार्षिकी की रूपरेखा) पत्रिका में रचनाएँ, वर्तमान परिदृश्य।
29. नवीन शिक्षण पद्धतियों और भाषा-शिक्षण
मॉण्टेसरी पद्धति, किण्डरगार्टन पद्धति डाल्टन योजना, विनेटका योजना, कैकाली पद्धति प्रोजेक्ट पद्धति, बेसिक शिक्षा, खेल-विधि अभिक्रमित उद्देश्य, शिक्षण मशीन् भाषा प्रयोगशाला, हिन्दी शिक्षकों का दायित्व।
30. विराम चिन्ह और संशोधन
हिन्दी में विराम चिन्हों का प्रयोग पूर्ण विराम, प्रश्नवाचक चिन्ह सम्बोधन या आश्चर्य चिन्ह निर्देशक चिन्ह, अवतरण चिन्ह, संशोधन, संशोधन विधियों।
31. पाठ्य-पुस्तक
पाठ्य-पुस्तकों की आवश्यकता, पुस्तक पढ़ने की शिक्षा. पाठ्य-पुस्तक क्या है? पाठ्य-पुस्तकों के उद्देश्य, पाठ्य-पुस्तकों के प्रकार, पाठ्य-पुस्तकों के गुण, सहायक पुस्तकों के गुण, पाठ्य-पुस्तकों का चयन, पाठ्य-पुस्तकों के दोष, प्रचलित पाठ्य-पुस्तकें।
32. भाषा-शिक्षण और श्रव्य दृश्य साधन
श्रव्य-दृश्य साधनों का तात्पर्य, भाषा-शिक्षण में प्रमुख साधनों का प्रयोग, श्रव्य-दृश्य साधनों का चुनाव श्रव्य दृश्य साधनों के प्रयोग से लाम, श्रव्य दृश्य साधनों के प्रयोग में सावधानियों।
33. हिन्दी अध्यापक
हिन्दी अध्यापक का महत्त्व, शिक्षक के गुण तथा विशेषताएँ अपने विषय का पूर्ण ज्ञान, व्यवसाय में दक्ष, व्यक्तिगत विभिन्नता का ज्ञान, प्रभावशाली व्यक्तित्व, बालकों के प्रति सहानुभूति, व्यवसाय में रुचि, धैर्य, हिन्दी भाषा पर अधिकार, वेशभूषा, मानसिक स्वास्थ्य, स्वर, सहपाठ्यक्रमीय क्रियाकलाप में रुचि।
34. अन्य भाषा-शिक्षण
मातृभाषा एवं अन्य भाषा-शिक्षण, राजभाषा हिन्दी स्वरूप और कार्य, अन्य भाषा के रूप में हिन्दी-शिक्षण के उद्देश्य, अन्य भाषा-शिक्षण के कतिपय सिद्धान्त, अन्य भाषा-शिक्षण की विधियों, अन्य भाषा-शिक्षण और भाषा-विज्ञान, अन्य भाषा-शिक्षण की समस्याएँ, अहिन्दी भाषी क्षेत्रों में हिन्दी अध्यापकों के लिए कुछ सुझाव, राज-भाषा हिन्दी का प्रचार और प्रसार, स्वैच्छिक हिन्दी प्रचार संस्थाएँ, विदेशों में हिन्दी प्रचार संस्थाएँ।
35. हिन्दी शिक्षण में संरचनात्मक उपागम
तरचनात्मक उपागम का अर्थ, संरचना का अर्थ, संरचनात्मक विधि विशेषताएँ. संरचनाओं का चयन कैसे करें, स्तरीकरण, संरचनात्मक उपागम से शिक्षण, उद्देश्य, प्रस्तुतीकरण।
36. निदानात्मक और उपचारात्मक शिक्षण

निदानात्मक परीक्षाओं का अर्थ और महत्त्व, कठिनाइयों के कारण, निदानात्मक परीक्षाएँ, वाचन की निदानात्मक परीक्षाएँ, वाचन की परीक्षाएँ, वाचन की परीक्षाओं के उद्देश्य, निर्देश परीक्षाएँ, उपचारात्मक शिक्षण, अनुवर्ग शिक्षण।
37. क्रियात्मक अनुसंधान
मौलिक अनुसंधान एवं क्रियात्मक अनुसंधान में अन्तर, क्रियात्मक अनुसंधान का अर्थ एवं विकास, क्रियात्मक अनुसंधान की उपयोगिता, क्रियात्मक अनुसंधानों के उद्देश्य, क्रियात्मक अनुसंधान का महत्त्व, क्रियात्मक अनुसंधान के गुण, क्रियात्मक अनुसंधान की सीमाएँ, क्रियात्मक अनुसंधान की वांछनीय परिस्थितियाँ, सोपान हिन्दी में क्रियात्मक अनुसंधान का उदाहरण, वाचन सामग्री पर क्रियात्मक अनुसंधान वाचन शिक्षण की विधियों पर क्रियात्मक अनुसंधान, सुन्दर वाचन के लिए ध्यान देने योग्य बातें. दोषों को दूर करने की विधियों, वर्तनी शिक्षण पर क्रियात्मक शिक्षण का उदाहरण, लिखने के क्षेत्र में क्रियात्मक अनुसंधान।
38. हिन्दी में मूल्यांकन
वर्तमान परीक्षा-प्रणाली की दुर्बलता, सुधार की आवश्यकता, उद्देश्य-निर्धारण, मूल्यांकन का अर्थ, हिन्दी-शिक्षण में मूल्यांकन की उपयोगिता, अच्छे मूल्यांकन की विशेषताएँ, प्रश्नों के प्रकार।
• विशेष अध्ययन के लिए सन्दर्भ ग्रन्थ
हिन्दी, पत्रिकाएँ, English, Journals |
• परिशिष्ट (अ)
रचना-शिक्षण में उपयोगी सामग्री, पर्यायवाची शब्द, अनेकार्थी शब्द, कुछ समानाभास शब्द, कुछ तद्भव व तत्सम शब्द, कुछ विलोमार्थक शब्द, मिश्रित शब्द, सार्थक के साथ निरर्थक शब्द, कुछ समूह वाचक शब्द, हिन्दी उपसर्ग, प्रत्यय, समास और सन्धि, हिन्दी में प्रयुक्त कुछ विदेशी शब्द, मूल्यांकन में सहायक शब्दावली, प्रश्नों के कुछ नमूने।
• परिशिष्ट (ब)
प्रश्नों के कुछ नमूने, निबन्धात्मक प्रश्न, लघु उत्तरीय प्रश्न, वस्तुनिष्ठ प्रश्न।

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