Gautam,Devnath Singh

Rastarangini - Varanasi Chaukhamba Surbharati Prakashan 2019 - 728p.

सशाला
रातराणीकार का उद्देश्य
रस्त्तरविणी-परिचम सतरंगिणी का महत्व
सवैद्य की प्रशंसा
विषयानुक्रमणिका
प्रथम तरंग
उसशालाविज्ञानीय
(सशाला के उपकरण
1
२ परिचारक के लक्षण
2
ससिद्धी का नामनि
6
रसशाखाचार्य स्वरूप
सशाला में कार्य-विभाजन
3 शिष्य-स्वरूप
4 मर्ज्य शिष्य
द्वितीय तरंग
7
परिभाषाविज्ञान फल
परिभाषाविज्ञानीय
9 कज्जलीस्वरूप
परिभाषा-लक्षण
9 रसपङ्क-लक्षण
लवण-पञ्चक
पिष्टिका
लवणत्रिक
सैन्धव लवण की श्रेष्ठता
हिङ्गुलाकृष्ट रस
9 धातुसत्त्व-लक्षण
क्षारद्वय एवं क्षारत्रिक
10 वनौषधिसत्त्व-लक्षण
क्षारपञ्चक
10 सिक्थतैल का लक्षण
क्षाराष्ट्रक
द्रावक गण
मूत्राष्टक
ढालन
गोर्वर
मित्रपञ्चक
अम्ल-वर्ग
11 आवाप-लक्षण
अम्लपञ्चक
11 निर्वाप-लक्षण
पञ्चतिक्तक
12 शुद्धावर्त-लक्षण
पञ्चमृत्तिका
12 पर्पटी का स्वरूप
मधुरत्रिक
12
घोषाकृष्ट ताम्र
17
पञ्चामृत
12 वङ्कनाल
पञ्चगव्य
12
स्वाङ्गशीत का लक्षण
18
क्षीरत्रय
13
बहिःशीत का लक्षण
18
दुग्धवर्ग
13
भावना-लक्षण
18
तैलवर्ग
13
भावनाद्रव परिमाण
All
(xxiv)
पृष्ठाङ्क
विषय
h
विषय
676
स्नुहीक्षीर
676
भत्लातक का स्वरूप
676
स्नुहींक्षीर के गुण
स्नुहींक्षीर का शोधन
683
683
684
ग्राहा भल्लातक का स्वरूप
भल्लातक के शोधन का प्रयोजन
676
आमयिक स्नुहीशीर का प्रयोग
684
677
क्षारवर्तिका
684
भल्लातक के गुण
678
क्षारसूत्र
685
भल्लातक की मात्रा
भल्लातक का आमयिक प्रयोग
678
कृष्णसर्पविष
685
678
कृष्णसर्पविष की आहरण-विधि
685
भल्लातक रसायन
679
कृष्णसर्पविष
686
करवीर
करवीर के पर्याय
679
कृष्णसर्पविष के गुण
686
करवीर का परिचय
679
कृष्णसर्पविष का निषेध
687
करवीर का बाह्य प्रयोग
679
सूचिकाभरण रस
687
करवीराद्य तैल
680
सूचिकाभरण रस के गुण
688
लांगली
680
विसूचीध्वंसन रस
689
लांगली का परिचय
680
मृतसञ्जीवन रस
690
लांगली के आभ्यन्तर प्रयोग में दोष
681
रक्तचित्रक-शोधन
690
लांगली के गुण
681
वृद्धदारक-शोधन
690
लाङ्गली का बाह्य प्रयोग
681
निम्बूकबीज-शोधन
691
अर्कक्षीर
682
हिंगु-शोधन
691
अर्कक्षीर के गुण
682
अर्कक्षीर का बाह्य प्रयोग
गुग्गुलु-शोधन
691
683
परिशिष्ट
708

9789386554697

540.112 GAU