TY - BOOK AU - Gautam,Devnath Singh TI - Rastarangini SN - 9789386554697 U1 - 540.112 GAU PY - 2019/// CY - Varanasi PB - Chaukhamba Surbharati Prakashan N1 - सशाला रातराणीकार का उद्देश्य रस्त्तरविणी-परिचम सतरंगिणी का महत्व सवैद्य की प्रशंसा विषयानुक्रमणिका प्रथम तरंग उसशालाविज्ञानीय (सशाला के उपकरण 1 २ परिचारक के लक्षण 2 ससिद्धी का नामनि 6 रसशाखाचार्य स्वरूप सशाला में कार्य-विभाजन 3 शिष्य-स्वरूप 4 मर्ज्य शिष्य द्वितीय तरंग 7 परिभाषाविज्ञान फल परिभाषाविज्ञानीय 9 कज्जलीस्वरूप परिभाषा-लक्षण 9 रसपङ्क-लक्षण लवण-पञ्चक पिष्टिका लवणत्रिक सैन्धव लवण की श्रेष्ठता हिङ्गुलाकृष्ट रस 9 धातुसत्त्व-लक्षण क्षारद्वय एवं क्षारत्रिक 10 वनौषधिसत्त्व-लक्षण क्षारपञ्चक 10 सिक्थतैल का लक्षण क्षाराष्ट्रक द्रावक गण मूत्राष्टक ढालन गोर्वर मित्रपञ्चक अम्ल-वर्ग 11 आवाप-लक्षण अम्लपञ्चक 11 निर्वाप-लक्षण पञ्चतिक्तक 12 शुद्धावर्त-लक्षण पञ्चमृत्तिका 12 पर्पटी का स्वरूप मधुरत्रिक 12 घोषाकृष्ट ताम्र 17 पञ्चामृत 12 वङ्कनाल पञ्चगव्य 12 स्वाङ्गशीत का लक्षण 18 क्षीरत्रय 13 बहिःशीत का लक्षण 18 दुग्धवर्ग 13 भावना-लक्षण 18 तैलवर्ग 13 भावनाद्रव परिमाण All (xxiv) पृष्ठाङ्क विषय h विषय 676 स्नुहीक्षीर 676 भत्लातक का स्वरूप 676 स्नुहींक्षीर के गुण स्नुहींक्षीर का शोधन 683 683 684 ग्राहा भल्लातक का स्वरूप भल्लातक के शोधन का प्रयोजन 676 आमयिक स्नुहीशीर का प्रयोग 684 677 क्षारवर्तिका 684 भल्लातक के गुण 678 क्षारसूत्र 685 भल्लातक की मात्रा भल्लातक का आमयिक प्रयोग 678 कृष्णसर्पविष 685 678 कृष्णसर्पविष की आहरण-विधि 685 भल्लातक रसायन 679 कृष्णसर्पविष 686 करवीर करवीर के पर्याय 679 कृष्णसर्पविष के गुण 686 करवीर का परिचय 679 कृष्णसर्पविष का निषेध 687 करवीर का बाह्य प्रयोग 679 सूचिकाभरण रस 687 करवीराद्य तैल 680 सूचिकाभरण रस के गुण 688 लांगली 680 विसूचीध्वंसन रस 689 लांगली का परिचय 680 मृतसञ्जीवन रस 690 लांगली के आभ्यन्तर प्रयोग में दोष 681 रक्तचित्रक-शोधन 690 लांगली के गुण 681 वृद्धदारक-शोधन 690 लाङ्गली का बाह्य प्रयोग 681 निम्बूकबीज-शोधन 691 अर्कक्षीर 682 हिंगु-शोधन 691 अर्कक्षीर के गुण 682 अर्कक्षीर का बाह्य प्रयोग गुग्गुलु-शोधन 691 683 परिशिष्ट 708 ER -