Bhartiiya Sanskrati me Bardit Prabhavshali Sampreshan Prakriya avm Sahakarika Vikas
- New Delhi Shivanak Prakashan 2013
- 212p.
विषय वस्तु 1. सम्प्रेषण की आवश्यकता 2. प्रभावशाली सम्प्रेषण की कला सीखी जा सकती है 3. सम्प्रेषण-मानव के सर्वांगीण विकास का सशक्त साघन / माध्यम 4. सम्प्रेषण एक बहु आयामी प्रक्रिया 5. वाणी (जिव्हा) की मानव जीवन में भूमिका एवं महत्व 6. वाणी के विभिन्न अवयव 7. वाणी की विशेषताएं / गुण (1) मौन रहना, (2) सत्य सम्भाषण करना, (3) प्रिय सम्भाषण करना, (4) धर्म सम्मत वाणी का प्रयोग करना, (5) भाषा, उच्चारण एवं वाक्य रचना की शुद्धता, (6) संक्षिप्त (मितकर) तथा उपयोगी (हितकर) वाणी का उपयोग करना, (7) अवसरानुकूल संभाषण करना, (8) मन, वचन, कर्म में एकरूपता का होना, (9) मधुर वचन बोलना, (10) आदरसूचक शब्दों तथा संबोधनों का प्रयोग करना, तथा दूसरो की प्रशंसा करना (11) श्रोतागणों की मनोशारीरिक स्थिति को भांपकर, जब श्रोतागण सुनने को तैयार हों, तभी सम्प्रेषण करना, (12) सम्भाषण का मानसिक पूर्वाभ्यास करना (13) वाणी चार्तुय एवं वाकपटुता (15) चित्रवाणी का प्रयोग करना (14) सोच-विचार कर वाणी का प्रयोग करना (16) प्रभावशाली वाणी का प्रयोग करना (17) वाक/वाणी संयम का पालन करना 8. वाणी के दोष (1) वाणी की कठोरता (रुखापन) (2) झूठ बोलना, (3) पर निंदा करना, (4) अनर्गल एवं असंयमित वार्तालाप करना (5) आत्म प्रशंसा करना अथवा डींग हांकना, (6) सम्प्रेषण दरम्यान बार-बार कसमें (शपथे) खाना (7) बिना पूछे जाने पर अपना सुझाव, राय देना (8) सम्प्रेषण दरम्यान दूसरों का मजाक एवं उपहास करना (9) सम्प्रेषण दरम्यान क्रोध एवं आवेश में आना (10) दीन वचन वोलना (11) सम्प्रेषण दरम्यान अंहकारपूर्ण वाणी का प्रयोग करना (12) वाद-विवाद, वहस अथवा तर्क करना (13) तकिया कलाम का उपयोग करना की भूमिका एवं महत्व 11. प्रभावशाली सम्प्रेषण में त्वचा (स्पर्श) 9. प्रभावशाली सम्प्रेषण में कान की भूमिका एवं महत्व 10. असरकारक सम्प्रेषण में आंखों की भूमिका एवं महत्व 13. असरकारक सम्प्रेषण में मुखाकृति 12. प्रभावशाली सम्प्रेषण में हाथ की भूमिका (चेहरा) की भूमिका एवं महत्व 14. प्रभावशाली सम्प्रेषण में नाक की भूमिका एवं महत्व