विषय विषय-सूची पदार्थ विज्ञान एवं आयुर्वेद इतिहास विभाग द्वितीय (प्रश्नपत्र द्वितीय) प्रमाण/परीक्षा विज्ञानीयम् प्रथम अध्याय परीक्षा खण्ड अ-७५ अंक १. परीक्षा की परिभाषा, महत्त्व, आवश्यकता और उपयोग २. प्रमा, प्रमेय, प्रमाता, प्रमाण की परिभाषा ३. प्रमाण का महत्त्व एवं उपयोगिता विभिन्न आचार्यों के अनुसार प्रमाणों की संख्या ४. आयुर्वेद में चार प्रकार की परीक्षण विधि (चतुर्विध-परीक्षा विधि), आयुर्वेद में प्रमाण ५. सभी प्रमाणों का त्रिविध प्रमाणों में अन्तर्भाव (समावेश) ६. परीक्षा विधि का चिकित्सा में प्रायोगिक उपयोग द्वितीय अध्याय - आप्तोपदेश परीक्षा/प्रमाण १ १ १ १. आप्त के लक्षण, आप्तोपदेश के लक्षण २. शब्द के लक्षण और भेद १ २ ३. शब्द वृत्तियाँ:- अभिधा, लक्षणा, व्यंजना, तात्पर्या, शाक्तिग्रह हेतुर ४. वाक्य की विशेषताएँ, वाक्यार्थ ज्ञान हेतु-आकांक्षा, योग्यता, सन्निधि। तृतीय अध्याय-प्रत्यक्ष प्रमाण/परीक्षा १. प्रत्यक्ष के लक्षण, प्रत्यक्ष के भेद-निर्विकल्प और सविकल्प वर्णन के साथ लौकिक-अलौकिक भेद का वर्णन और अन्य भेदों का वर्णन २. इन्द्रिय प्राप्यकारित्वम्, सन्निकर्ष के छः भेद (१२) ३. इन्द्रियों के लक्षण, संख्या, भेद, इन्द्रिय पञ्च-पंचक, इन्द्रियो का पञ्चभौतिकत्व एवं तुल्ययोनित्व ४. त्रयोदश करण, अंतःकरण की प्रधानता ५. प्रत्यक्ष-अनुपलब्धि के कारण एवं बाधक तथा उनको को दूर करने प्रत्यक्ष के अतिरिक्त अन्य प्रमाणों की आवश्यकता ६. प्रत्यक्ष प्रमाण की क्रियात्मक, नैदानिक, चिकित्सकीय एवं अन्वेषण (अनुसंधान) के संदर्भ में महत्त्व चतुर्थ अध्याय-अनुमान परीक्षा/प्रमाण १. अनुमान के लक्षण, अनुमिति, परामर्श, व्याप्ति, हेतु, साध्य, पक्षा दृष्टांत का परिचय चरक और न्यायदर्शन के अनुसार अनुमान के भेद २. व्याप्ति के भेद एवं स्वरुप (वैशिष्ठय) ३. हेतु के लक्षण एवं भेद, अहेतु एवं हेत्वाभास का वर्णन ४. तर्क का महत्त्व एवं वैशिष्ठ्य ५. अनुमान प्रमाण की क्रियात्मक, नैदानिक, चिकित्सकीय एवं अनुसंधान के संदर्भ में महत्त्व पञ्चम अध्याय- युक्ति परीक्षा/प्रमाण १. युक्ति प्रमाण के लक्षण एवं विवेचना २. युक्ति प्रमाण का आयुर्वेद में महत्त्व ३. युक्ति प्रमाण का प्रायोगिक अध्ययन एवं उसका चिकित्सकीय और अनुसंधान के सन्दर्भ में उपयोग षष्ठ अध्याय- उपमान प्रमाण उपमान प्रमाण का लक्षण उपमान प्रमाण का चिकित्सकीय और अनुसंधान में उपयोग श्रम अध्याय-कार्य-कारण सिद्धान्त कार्य-कारण के लक्षण, कारण के भेद २. कार्य-कारण का आयुर्वेद में महत्त्व ३. कारण से कार्य की उत्पत्ति के संदर्भ में विभिन्न सिद्धान्तः- १५०-८ १४५-१ सत्कार्यवाद, असत्कार्यवाद, परिणामवाद, आरम्भवाद, परमाणुवाद विवर्तवाद, क्षणभंगुरवाद, स्वभाववाद, पीलूपाक, पिठरपाक, अनेकांतवाद, स्वभावोपरमवाद परिशिष्ट- अव्यय एवं सर्वनाम परीचय सहायक ग्रन्थ सूची (Bibliography) १६७- १७३ विषय खण्ड ब आयुर्वेद इतिहास- २५ अंक प्रथम अध्याय- इतिहास निरुपण १. इतिहास शब्द की व्युत्पत्ति, निरुक्ति और परिभाषा, २. इतिहास ज्ञान की आवश्यकता, महत्त्व और उपयोगिता, ३. इतिहास के साधन, ऐतिहासिक व्यक्ति, विषय, काल, घटनाऐं और इनका आयुर्वेद के ऊपर प्रभाव द्वितीय अध्याय- मूल शास्त्रीय ग्रन्थों के ग्रन्थकारों का परिचय एवं उनका योगदान- १. आत्रेय, २. धन्वन्तरि, ३. काश्यप, ४. अग्निवेश, ५. सुश्रुत, ६. भेल, ७. हारित, ८. चरक, ९. दढ़बल, १०. वाग्भट, ११. नागार्जुन, १२. जीवक तृतीय अध्याय - टीकाकारों का परिचय [श्रेष्ठ संहिताओं के टीकाकारों (भाष्यकारों) का परिचय (१) भट्टार हरिश्चन्द्र (२) जेज्जट (३) चक्रपाणि, (४) डल्हण, (५) निश्चलकर, (६) विजयरक्षित, (७) गयादास, (८) अरुणदत्त, (९) हेमाद्रि, (१०) गंगाधर, (११) योगीन्द्रनाथ सेन, (१२) हाराणचन्द्र, (१३) इन्दु। चतुर्थ अध्याय - संग्रहकाल के लेखकों का परिचय (१) भावमिश्र, (२) शार्ङ्गधर, (३) वृन्द माधवकर, (४) सोढ़ल, (५) गोविंद दास, (भैषज्य रत्नावली के लेखक) (६) वसाव्रज चतुर्थ पाद- राष्ट्रीय संस्थानों का परिचय १. राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, जयपुर २. आयुर्वेदीय स्नातकोत्तर शिक्षण तथा अनुसन्धान केंद्र, जामनगर ३. आयुर्वेद संकाय, बनारस हिन्दु विश्वविद्यालय, वाराणसी ४. राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ, नई दिल्ली Drug and Cosmetic Act. (औषधि एवं सौन्दर्य प्रसाधन अधिनियम) अष्टम अध्याय - आयुर्वेद पत्रिकाएँ (शोध लेख प्रकाशनार्थ प्रसिद्ध राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय आयुर्वेदीय पत्रिकाएँ) नवम अध्याय - विश्व स्वास्थ्य संगठन, आयुर्वेद की उन्नति के परिपेक्ष्य में विश्व स्वास्थ्य संगठन का क्रिया-कलाप एवं परिचय। परिशिष्टः आवश्यक दिशानिर्देश एवं आदर्श प्रश्नपत्र (Model Question Paper)