TY - BOOK AU - Srivastava,Shailaja TI - Ayurvediya Padartha Vijnana SN - 9788176370998 U1 - 620.11 SRI PY - 2022/// CY - Varanasi PB - Chaukhambha Orientalia N1 - विषयानुक्रमणिका प्रथम अध्याय दार्शनिक पृष्ठभूमि एवं पदार्थ विज्ञान १- दर्शन शब्द की व्याख्या २- दर्शन की उत्पत्ति ३- दर्शन एवं इसका विभाजन ४- आस्तिक नास्तिक दर्शन १. न्याय दर्शन २. वैशेषिक दर्शन ३. सांख्य दर्शन ४. योग दर्शन ५. मीमांसा दर्शन (पूर्व मीमांसा) ६. वेदान्त दर्शन (उत्तर मीमांसा) ५- नास्तिक दर्शन १. चार्वाक दर्शन २. जैन दर्शन ३. बौद्ध दर्शन ६- आयुर्वेद पर अन्य दर्शनों का प्रभाव ७- आयुर्वेद और वैशेषिक दर्शन ८- आयुर्वेद और न्याय दर्शन ९- आयुर्वेद और सांख्य दर्शन १०- आयुर्वेद और योग दर्शन ११- आयुर्वेद और मीमांसा दर्शन १२- आयुर्वेद और वेदान्त दर्शन १३- आयुर्वेद एक स्वतंत्र मौलिक दर्शन द्वितीय अध्याय पदार्थ निरूपण १- पदार्थ शब्द की व्युत्पत्ति १. अस्तित्व २. अभिधेयत्व ३. ज्ञेयत्व २- पदार्थों का विभाजन एवं उसकी संख्या -भाव पदार्थ द्रव्य-गुण-कर्म-सामान्य-विशेष और समवाय - अभाव पदार्थ-संसर्गाभाव (प्राग्भाव, प्रध्वंसाभाव, अत्यन्ताभाव) और अन्योन्याभाव ३- पदार्थों का साधर्म्य वैधार्य -- आयुर्वेदीय पदार्थ विज्ञान की उत्पत्ति - द्रव्य विज्ञान - द्रव्य के लक्षण - द्रव्यों की संख्या - द्रव्य के अन्य भेद (i) कार्य द्रव्य - चेतन द्रव्य - चेतन के भेद १- अन्तश्चेतन द्रव्यों के भेद-वनस्पति, वानस्पत्य, विरुद्, औषध २- बहिरन्तश्चेतन द्रव्य-जरायुज, अण्डज, स्वेदज, उद्भिज, अचेतन-खनिज, कृत्रिम (ii) कारण द्रव्य पंचमहाभूत १. आकाश निरूपण आकाश की सिद्धि शरीर के आकाशात्मक भाव २. वायु निरूपण वायु के भेद लोकगत वायु शरीर गत वायु- प्राण, उदान, समान, व्यान और अपान वायु . तेज निरूपण तेज के भेद विद्युत निरूपण जल निरूपण जल के भेद जल की अवस्थायें-अम्भ, मरीची, मर और अप् शरीर में जल महाभूत ५. पृथ्वी निरूपण पृथ्वी के भेद कारण द्रव्यों का द्रव्यत्व की सिद्धि तम का दशम द्रव्यत्व के रूप में खण्डन पंचमहाभूत के भौतिक गुण पंचमहाभूत के नौसर्गिक गुण - पंचमहाभूत से त्रिदोषोत्पत्ति पंचमहाभूतों के सत्वादि गुण त्रिगुण पंचमहाभूतों की आयुर्वेद में उपयोगिता आत्मा की निरुक्ति आत्मा का स्वरूप आत्मा का लक्षण आत्मा के भेद परमात्मा परमात्मा के लक्षण जीवात्मा लिङ्गशरीर या सूक्ष्मशरीर या अतिवाहिकशरीर स्थूल चेतन शरीर, कर्म, राशि और चिकित्स्य पुरुष चिकित्स्य पुरुष षड्रधात्वात्मक पुरुष एक धातुज (चेतना धातु) पुरुष चतुर्विंशति धात्वात्मक पुरुष आत्मा के ज्ञान की प्रवृत्ति आत्मा की उत्पत्ति देहातिरिक्त आत्मा का अस्तित्व २. मन का निरुपण २. मन की निरुक्ति ३. मन के पर्याय ४. मन का विषय ५. मन का गुण ६. मन के कर्म ७. मन का स्थान ३०- काल-निरुपण १. काल का लक्षण २. काल के भेद ३१- आयुर्वेद में काल का महत्व ३२- दिक्-निरुपण १. दिशा का लक्षण २. दिशा के पर्याय ३. आयुर्वेद में दिक् का महत्त्व तृतीय अध्याय गुण-विज्ञानीय १- गुण-निरुपण - वैशेषिक या इन्द्रिय गुण - गुणों की संख्या - गुर्वादय गुण - आत्म या आध्यात्म गुण - परादि गुण - वैशेषिक दर्शनानुसार गुण - न्याय दर्शनानुसार गुण -चरकोक्त गुणों का न्यायोक्त गुणों में समन्वय - गुण स्वरूप निर्णय - गुणों का वर्गीकरण २- शब्दादि गुण निरुपण - वैशेषिक गुण-शब्द, स्पर्श, रूप, रस, गन्ध ३- शब्दादि गुणों की उपयोगिता ४- गुर्वादि या बीस गुणों का निरुपण ५- बुद्धयादि गुण निरुपण (आध्यात्म गुण) ६- परादि दश गुणों का निरुपण (सामान्य गुण) ७- द्वन्द्व गुण- निरुपण नवम् अध्याय प्रमाण विज्ञान का निरूपण १- प्रमाण की निरुक्ति २- प्रमाण का लक्षण ३- प्रमाण का पर्याय ४- प्रमाण और परीक्षा ५- प्रमा अप्रमा ६- स्मृति ७- प्रमेय ८- प्रमाण दशम् अध्याय आप्तोपदेश प्रमाण का निरूपण - आप्तोपदेश के प्रकार - आप्तोपदेश के पर्याय -आप्त, शिष्ट और विबुद्ध १- ऐतिह्य प्रमाण २- शब्द प्रमाण ३- वाक्य का स्वरूप वाक्य के भेद ४- वाक्यार्थ ज्ञान में हेतु आकांक्षा, योग्यता और सन्निधि (आसत्ति) ५- वाक्यार्थ या शब्दार्थ बोधक वृत्तियां- ६- अभिधा, लक्षणा, व्यंजना और तात्पर्याख्य वृत्तियां ७- अनेकार्थ शब्द से किसी एक ही अर्थ की प्रतीति में कारण ८- पद के लक्षण ९- निघण्टु के लक्षण १०-शास्त्र के लक्षण एकादश अध्याय प्रत्यक्ष प्रमाण-निरुपण १- प्रत्यक्ष प्रमाण के लक्षण २- इन्द्रियों का स्वरूप एवं लक्षण ३- ज्ञानोत्पत्ति के प्रकार -क्षणिक ज्ञानोत्पत्ति या बुद्धि -निश्चयात्मक ज्ञानोत्पत्ति या बुद्धि ४- इन्द्रियों की विशेषतायें ५- इन्द्रियों का श्रेणी विभाजन और संख्या १. ज्ञानेन्द्रियां २. कर्मेन्द्रियां ३. उभयेन्द्रियां ६- इन्द्रियां भौतिक हैं ७- त्रयोदशकरण ८- अन्तःकरण की वृत्तियां और प्राधान्य ९- प्रत्यक्ष प्रमाण के भेद १. सविकल्प २. निर्विकल्प १०- सविकल्प के भेद- लौकिक और अलौकिक - बाह्येन्द्रिय प्रत्यक्ष-पंचज्ञानेन्द्रियाँ - अन्तरीन्द्रिय प्रत्यक्ष ११- सन्निकर्ष का स्वरूप और भेद १. - संयोग २. - संयुक्तसमवाय ३. - संयुक्त समवेत समवाय ४. - समवाय ५. - समवेत समवाय ६. - विशेषण विशेष्यभाव १२- अलौकिक प्रत्यक्ष १. सामान्य लक्षणाप्रत्यासत्ति २. ज्ञान लक्षणाप्रत्यासत्ति ३. योगज लक्षणाप्रत्यासत्ति- (१) युक्त (२) युञ्जान १३- आयुर्वेद में इन्द्रिय-सन्निकर्ष का स्वरूप १४- वेदना का अधिष्ठान १५- वेदनानाश का हेतु १६- इन्द्रियों की प्राप्यकारिता १७- प्रत्यक्ष ज्ञान के बाधक कारण १८- आधुनिक यंत्रों द्वारा प्रत्यक्ष ज्ञान १९- प्रत्यक्ष के अतिरिक्त अन्य प्रमाणों की आवश्यकता २०- आयुर्वेद में प्रत्यक्ष प्रमाण की उपयोगिता २१- इन्द्रियों द्वारा प्रत्यक्ष परीक्ष्य विषय १. श्रोत्रेन्द्रिय द्वारा परीक्ष्य विषय २. स्पर्शेन्द्रिय द्वारा परीक्ष्य विषय ३. चक्षुरीन्द्रिय द्वारा परीक्ष्य विषय ४. रसनेन्द्रिय द्वारा परीक्ष्य विषय ५. घ्राणेन्द्रिय द्वारा परीक्ष्य विषय द्वादश अध्याय अनुमान-प्रमाण का निरूपण १- निरुक्ति, स्वरूप और लक्षण २- परामर्श ३- व्याप्ति ४- व्याप्ति के भेद ५- अनुमान के भेद १. स्वार्थानुमान २. परार्थानुमान ६- पञ्चावयव ७- चरकोक्त अनुमान ८- चरकोक्त अनुमान के भेद १. पूर्ववत् २. शेषवत ३. सामान्यतो दृष्ट अनुमान ९- लिङ्ग परामर्श १. अन्वय व्यतिरेकी २. केवलान्वयिव्यतिरेकी ३. केवलव्यतिरेकी ११- हेत्वाभास १२- हेत्वाभास के भेद १. सव्यभिचार (i) साधारण सव्यभिचार (ii) असाधारण सव्यभिचार (iii) अनुपसंहारी सव्यभिचार २. विरूद्ध हेत्वाभास ३. सत्प्रतिपक्ष हेत्वाभास ४. असिद्ध १. आश्रयासिद्ध २. स्वरूपासिद्ध ३. व्याप्यत्वासिद्ध - बाधित ५. तर्क ६. तर्क का महत्त्व ७. आयुर्वेद में अनुमान प्रमाण की उपादेयता त्रयोदश अध्याय युक्ति प्रमाण का निरूपण १- युक्ति प्रमाण की निरुक्ति तथा लक्षण २- युक्ति प्रमाण का उदाहरण ३- युक्ति प्रमाण को स्वतंत्र प्रमाण मानना ४- युक्ति प्रमाण की विशेषतायें चतुर्दश अध्याय उपमान प्रमाण का निरुपण १- उपमान प्रमाण के लक्षण और भेद १. साधर्म्य उपमान २. वर्धम्य उपमान ३. धर्ममात्र उपमान २- आयुर्वेद में उपमान प्रमाण की उपयोगिता पञ्चदश अध्याय अन्य प्रमाणों का निरुपण १- अर्थापत्ति या अर्थ प्राप्ति प्रमाण २- अनुपलब्धि या प्रभाव प्रमाण ३- सम्भव प्रमाण ४- चेष्टा प्रमाण ५- ऐतिहा (इतिहास) प्रमाण ६- परिशेष प्रमाण ७- प्रमाणों की संख्या ८- त्रिविध प्रमाणों में सभी का समावेश ९- आयुर्वेदोक्त प्रमाणों का त्रिविध प्रमाणों का समावेश षोडश अध्याय कार्य कारणभाव एवं विविधवाद १- कारण का स्वरुप २- कार्य ३- करण ४- कारण के भेद १. समवायिकारण २. असमवायिकारण ३. निमित्तकारण ५- कार्य-कारण सिद्धान्त ६- सत्कार्यवाद १. असङ्करणात् २. उपादानग्रहणात् ३. सर्वसम्भवामावात ४. शक्तस्य-शक्यकरणात् ५. कारणभावात सत्कार्यवाद के दो भेद हैं १. परिणामवाद २. विवर्तवाद ७- असत्कार्यवाद (आरम्भवाद) ८- परमाणुवाद ९- क्षणभंगुरवाद १०- स्वभावोपरमवाद ११- साम्य वैषभ्य सुश्रुतोक्तकारण षट्‌क १२- पीलूपाक व पिठरपाक १३- अनेकान्तवाद सप्तदश अध्याय सृष्टि उत्पत्ति क्रम एवं तत्त्व निरुपण १- चरकोक्त सृष्टिक्रम २- सुश्रुतोक्त सृष्टिक्रम ३- पुरुष निरुपण ४- प्रकृति एवं पुरुष का साधर्म्य ५- प्रकृति एवं पुरुष का वैधर्म्य ६- व्यक्त और अव्यक्त . ७- सांख्यानुसार सृष्टि उत्पत्ति क्रम ८- मूल प्रकृति (अव्यक्त) ९- सप्तप्रकृति की उत्पत्ति १०- महान (बुद्धितत्त्व) की उत्पत्ति ११- अंहकार की उत्पत्ति १२- पञ्चतन्मात्राओं की उत्पत्ति १३- पञ्चमहाभूतों की उत्पत्ति १४- इन्द्रियों की उत्पत्ति १५- तत्त्व विरुपण १६- तत्त्व का लक्षण १७- त्रिगुण निरूपण १८- त्रिगुण का अन्योन्याश्रयत्व अष्टादश अध्याय तंत्रयुक्ति-विज्ञान १- परिभाषा २- तंत्रयुक्ति का उद्देश्य तंत्रयुक्ति का महत्त्व तंत्रयुक्ति की संख्या तंत्र के गुण तंत्र के दोष चतुर्दश तंत्र दोष सात कल्पनायें सप्तदश ताच्छील्य - इक्कीस अर्थाश्रय विवेचन ER -