चरक संहिता (द्वितीय भाग) विषयानुक्रमणिका चिकित्सास्थानम् पृष्ठ विषय विषय १. प्रथमोऽध्यायः रसायनाध्याये प्रथमः पादः भेषज के पर्याय भेषज के भेद अभेषज के भेद ०१-४६ आमलक चूर्ण विडङ्गावलेह अपर आमलकावलेह नागवला रसायन १ उन्नीस बलादि रसायन भल्लातक क्षीर भेषज का विवेचन २ भल्लातक क्षौद्र रसायन के कार्य २ भल्लातक तैल वाजीकरण के कार्य ३ भल्लातक के विविध योग परिभाषा ३ भल्लातक रसायन प्रकरण का उपसीहार अभेषज की परिभाषा अध्यायोक्त विषयों का उपसंहार रसायन विधि-प्रकरण रसायनाध्याये तृतीयः पादः रसायन के प्रकार (करप्रचितीय रसायनपाद) कुटी प्रावेशिक विधि आमलकायस ब्राह्मरसायन प्रवेश प्रक्रिया रसायनोक्त संशोधन की विधि आमलकायस ब्राह्मारसायन के गुण केवलामलक रसायन हरीतकी के गुण-कर्म E लौहादि रसायन हरीतको सेवन के अयोग्य पुरुष ६ ऐन्द्र रसायन आमलकी के गुण-कर्म ६ चार मेध्य रसायन औषधियों के सञ्चय की विधि ७ पिप्पली रसायन प्रथम ब्राह्य रसायन पिप्पली वर्धमान रसायन द्वितीय ब्राह्म रसायन १० त्रिफला रसायन (प्रथम) ब्राह्म रसायन (द्वितीय) के गुण १० त्रिफला रसायन (द्वितीय) च्यवनप्राश ११ त्रिफला रसायन (तृतीय) च्यवनप्राश रसायन के लाभ १२ त्रिफला रसायन (चतुर्थ) आमलक रसायन १२ शिलाजतु के गुण पञ्चम हरीतकी योग १३ भावना देने की विधि हरीतक्यादि योग १३ शिलाजीत रसायन के लाभ रसायन का वैशिष्ट्य १४ प्रयोग काल एवं मात्रा उपसंहार १४ शिलाजीत की उत्पत्ति एवं उनकी प्रयोग विधि रसायनाध्याये द्वितीयः पादः १५-२४ स्वर्ण शिलाजीत के गुण-कर्म (प्राणकामीय रसायनपाद) रौप्य शिलाजीत के गुण-कर्म रसायन का फल १५ ताम्र शिलाजीत के गुण-कर्म आमलक घृत १६ लौह शिलाजीत के गुण-कर्म आमलक घृत के लाभ १७ शिलाजीत सेवन में पथ्यापथ्य आमलकावलेह १७ शिलाजीत का वैशिष्ट्य क्षारोदक निर्माण विधि उपसंहार (१६) पृष्ठ विषय ३८-४१ पृष्य दधिसर प्रयोग विषय रसायनाध्याये चतुर्थः पादः (आयुर्वेदसमुत्थानीय रसायनपाद) वृष्य षष्टिकौदन प्रयोग इन्द द्वारा दिया गया उपदेश बाम्यवास जन्य दोष ३८ ३८ ३९ इन्द्रोक्त रसायन ४० रसायनोपयोगी दिव्य ओषधियाँ दिव्य ओषधियों के सेवन योग्य पुरुष ४१ ४२ इन्द्रोक्त रसायन (द्वितीय) ४२ इन्द्रोक्त रसायन से लाभ ४३ वृष्य पूपालिका वाजीकरण योगों का वैशिष्ट्य वाजीकर-विहार पादोक्त विषयों का उपसंहार वाजीकरणाध्याये तृतीयः पादः (माषपर्णभृतीय वाजीकरणपाद) तीन प्रकार के वृष्य गोदुग्ध क्षीर के पाँच प्रयोग रसायन के योग्य पुरुष ४३ अपत्यकर क्षीर योग आचार-रसायन ४४ वृष्य पिप्पली योग प्राणाचार्य (वैद्य) का महत्त्व अश्विनीकुमारों के महत्वपूर्ण कार्य ४४ वृष्य पायस योग ४५ वृष्य पूपलिका योग्य प्राणाचार्य जीवन दान सर्वश्रेष्ठ दान है ४६ अध्यायोक्त विषयों का उपसंहार ४६ २. द्वितीयोऽध्यायः ४७-६९ वाजीकरणाध्याये प्रथमः पादः (संयोगशरमूलीय वाजीकरणपाद) ४७-५२ वाजीकरण चिकित्सा का उद्देश्य ४७ उत्तम वाजीकरण ४८ सन्तान रहित पुरुष की उपमा ४९ पुत्रवान् की उपमा ४९ बृंहणी गुटिका ५० वाजीकरण घृत ५० वृष्य शतावरी घृत वृष्य मधुक योग अन्य वाजीकरण आहार-विहार कामोद्दीपक प्रकृति (वातावरण) उपसंहार वाजीकरणाध्याये चतुर्थः पादः (पुमाञ्जातबलादिक वाजीकरणपाद) विषय का प्रारम्भ शारीरिक बल एवं सन्तोनोत्पत्ति संशोधन-प्रक्रिया वृष्य मांस गुटिका वाजीकरण पिण्ड रस ५१ वृष्य माहिष रस वृष्य माहिष रस ५१ वृष्य भुने हुए मछली के मांस अन्यवृष्य रस ५२ वृष्य मांस वृष्य पूपलिका ५२ वृष्य माष योग अपत्यकर घृत वृष्य कुक्कुट मांस-प्रयोग ५२ वृष्य गुटिका ५२ वृष्य अण्ड रस वृष्य उत्कारिका अध्यायोक्त विषयो का उपसंहार शोधनोत्तर वाजीकरण द्रव्यों का प्रयोग करें ५२ वृष्य की परिभाषा ५२ वाजीकरणाध्याये द्वितीयः पादः मैथुन कब करें ? ५२ वृष्य पृपलिकादि योग अपत्यकरी अष्टिकादि गुटिका (आसितक्षीरिक वाजीकरणपाद) ५३-५५ मैथुन के पश्चात् कर्तव्य शुक्रोत्पत्ति की उपमा ५३ अपत्यकर स्वरस वृष्य क्षीर वृष्य घृत ५४ शुक्र क्षय में हेतु मैथुन के लिए उचित काल ५४ शुक्र का स्थान मैथुन शक्ति की अल्पता में हेतु शुक्र प्रवृत्ति के हेतु प्रशस्त शुक्र के गुण (१७) विषय यात्रीकरण शब्द को निरुति पृष्ठ विषय अध्यायोत विषयों का उपसंहार इन्द्रज-दर ३. तृतीयोऽध्यायः (वर चिकित्सा) अग्निवेश द्वारा पूछे गये ज्वर विषयक प्रश्न ज्वर के पर्याय उपर की प्रकृति WE स्वभाव रूप प्रकृति ज्वर की प्रवृत्ति (आदि उत्पत्ति) ७१ ज्वरोत्पत्ति की कथा ७२ ज्वर का प्रभाव कफ-मित ज्वर के लक्षण सत्रिपात जार प्रकरण संवियात जर की साध्यायाता आगन्तुज ज्वर के प्रकार अभिधातन ज्वर अभिषङ्गज जार अभिचार एवं अभिशाप जन्य ज्वर के लक्षण कामादि ज्वर के लक्षण ज्वर के कारण कामादि ज्वर में संताप का स्वरूप ज्वर के पूर्वरूप ७४ आगन्तुक ज्वर का वैशिष्ट्व ज्वर के अधिष्ठान ७४ ज्वर की सामान्य संप्राप्ति ज्वर के प्रत्यात्म लक्षण ७४ तरुण ज्वर में स्वेद न निकलने में हेतु ज्वर के भेद तथा लक्षण ७५ आम ज्वर के लक्षण शारीरिक एवं मानसिक ज्वर ७६ पच्यमान ज्वर के लक्षण मानस संताप के लक्षण ७६ निराम ज्वर के लक्षण इन्द्रिय ताप के लक्षण ७६ नव ज्वर में निषिद्ध वस्तु सौम्य एवं आग्नेय ज्वर ७६ ज्वर में सर्वप्रथम लंघन का प्रयोग वायु का योगवाही गुण ৩৩ लंघन के परिणाम ज्वर के अन्तवेंग के लक्षण ७७ लंघन का प्रयोग कब करे ? ज्वर के बहिर्वेग के लक्षण ७७ नव ज्वर (तरुण ज्वर) में आम दोष के पाचनार्थ साधन कफ एवं पित्त ज्वर की सुखसाध्यता ७८ ज्वर में जल की उपयोगिता आकृत पित्तज्वर ७८ षडंगपानीय का प्रयोग प्राकृत कफज्वर 20 ज्वर में वमन का प्रयोग प्राकृत एवं वैकृत ज्वर की चिकित्सा ७९ वमन के उपद्रव साध्य ज्वर के लक्षण ८० ज्वर में यवागू का प्रयोग प्राणनाशक ज्वर ८० यवागू प्रयोग के अयोग्य रोग एवं रोगी संतत ज्वर की संप्राप्ति ८१ तर्पण का प्रयोगे संतत ज्वर के आश्रय ८१ तर्पण के पश्चात् कर्तव्य सततक ज्वर के लक्षण ८३ दातौन के प्रयोग एवं गुण अन्येद्युष्क ज्वर के लक्षण ८३ दातौन के पश्चात् कर्तव्य तृतीयक एवं चतुर्थक ज्वर ८३ ज्वर में कषाय पान ज्वर के वेगों के आगमन में दृष्टान्त ८४ नव ज्वर में कषाय पान का निषेध दोषोद्रेक विशेष से तृतीयक एवं चतुर्थक यवागू पान के बाद कर्तव्य ज्वर के प्रभाव ८४ ज्वर में धृतपान चतुर्थक विपर्यय ८५ घृतपान के अपवाद ज्वर की उत्पत्ति में कारण ८६ ज्वर में दुग्ध का प्रयोग धातुगत ज्वर विवेचन ८६ ज्वर में संशोधन चिकित्सा का प्रयोग धातुगत ज्वरो की साध्यताऽसाध्यता ज्वर में निरुह बस्ति का प्रयोग (41) विषय नावन नस्य के प्रयोग से होने वाले उपद्रव एवं पृष्ठ विषम उनकी चिकित्सा १०१० रूक्ष नस्य का निषेध तिमिर रोग एवं उसकी चिकित्सा १०९० १०१० प्रतिमर्श नस्य अध्यायोक्त विषयों का उपसंहार १०९१ १०९२ १०. दशमोऽध्यायः १०९३-१९०३ (बस्तिसिद्धि) विषयारम्भ १०९३ बस्ति चिकित्सा का महत्व १०९३ बस्ति चिकित्सा को श्रेष्ठता में हेतु १०९३ विरेचन की तुलना में बस्ति की श्रेष्ठता १०९४ बस्ति के भेद १०९५ बृंहण बस्ति के अयोग्य पुरुष १०९५ शोधन बस्ति के अयोग्य पुरुष १०९५ बस्ति में प्रयुक्त होने वाले द्रव आदि पदार्थ १०९६ बस्ति में उपयोगी प्रक्षेप द्रव्य १०९६ तीक्ष्ण व मृदु बस्ति के योग्य पुरुष १०९७ विभिन्न प्रकार की बस्तियों का विवेचन १०९७ वरित सम्बन्धी अन्य प्रश्न पुनर्वसु आहेय द्वारा दिया गया उतर पशुओं में बस्ति का प्रयोग पशुओं में प्रयुक्त बस्तिपुटक के निर्माण में उपयोगी द्रव्य पशुओं में प्रयुक्त होने वाले बरितनेत्र का प्रमाण विभित्र पशुओं में प्रयुक्त होने वाले वरित द्रव्य सामान्य रूप से उपयोगी बस्ति द्रव्य हाथियों में प्रयुक्त होने वाले बस्ति द्रव्य गायों में प्रयुक्त होने वाले बस्ति द्रव्य घोड़ों में प्रयुक्त होने वाले बस्ति द्रव्य गधे व अँट में प्रयुक्त होने वाले बस्ति द्रव्य बकरी तथा भेड़ आदि छोटे पशुओं में प्रयुक्त होने वाले बस्ति द्रव्य हमेशा रोगी रहने वाले व्यक्ति सदा रोगी रहने का कारण सदा रोगी रहने वाले व्यक्तियों की चिकित्सा फलवर्ति का प्रयोग निरूह बस्ति का प्रयोग वातनाशक बस्तियाँ (कुल संख्या तीन) १०९७ बलादि निरूह बस्ति पित्तनाशक बस्तियाँ (कुल संख्या तीन) १०९७ शिशुओं तथा वृद्ध पुरुषों में बस्ति का प्रयोग कफनाशक बस्तियाँ (कुल संख्या तीन) १०९८ अध्यायोक्त विषयों का उपसंहार पक्वाशय शोधक बस्तियाँ (कुल संख्या चार) १०९८ १२. द्वादशोऽध्यायः १११२- शुक्र व मांसवर्धक बस्तियाँ (कुल संख्या चार) १०९९ (उत्तरवस्तिसिद्धि) सांग्राहिक बस्तियों १०९९ संशोधित व्यक्ति की रक्षा की विधि परिस्त्राव नाशक वस्तियाँ १०९९ दाहनाशक बस्तियाँ १०९९ अग्नि की रक्षा हेतु संसर्जनक्रम की प्रयोग संशोधन के पश्चात् रसों के प्रयोग का क्रम परिकर्तिका नाशक बस्तियों ११०० आतुर को प्राकृत अवस्था में लाना प्रवाहिका नाशक बस्तियाँ १५०० प्रकृति प्राप्त पुरुष के लक्षण विरेचन के अतियोग को दूर करने वाली बस्तियाँ ११०० महादोषकर भावों के त्याग का निर्देश रक्तस्त्राव रोधक (जीवादान नाशक) बस्तियाँ वर्ज्य आठ भावों के सेवन से होने वाली हानियों रक्तपित्तनाशक बस्तियाँ ११०२ महादोषकर भावों से उत्पन्न होने वाले रोग एवं प्रमेह नाशक बस्ति ११०२ उनकी चिकित्सा अन्य रोगों में बस्तियों की कल्पना ११०२ उच्च आवाज में अथवा अधिक बोलने से होने अध्यायोक्त विषयों का उपसंहार ११०२ वाली व्याधियों ११. एकादशोऽध्यायः रथ आदि के क्षोभ में होने वाली व्याधियों (फलमात्रासिद्धि) अतिचङ्कमण से होने वाली व्याधियाँ फलादि विषयक सम्भाषापरिषद् ११०४ विभिन्न आचार्यों के विचार ११०४ एक ही स्थिति में अधिक देर तक बैठने के क रथ क्षोभ से होने वाले रोग भगवान पुनर्वसु आत्रेय का समाधान ११०५ पुनर्वसु आत्रेय के विचारों का स्वागत अजीर्ण भोजन एवं अध्यशन से होने वाले र विषम तथा अहित भोजन से हो वाले रोग (५२) विषय पृष्ठ विषय दिवा शयन से होने वाले रोग द्विपञ्चमूलादि यापना बस्ति स्वी-प्रसङ्ग से होने वाली व्याधियाँ वृष्यतम स्नेह बस्तियों चतुः स्नेह अनुवासन बस्ति महादोषकर भावों के सेवन से उत्पन्न विकारों को चिकित्सा १९१९ बलादि यमक अनुवासन बस्ति यापना बस्तियों का उपयोग सहचरादि अनुवासन बस्ति मुस्तादि यापना बस्ति स्नेह का शत या सहस्र बार पाक करना एरण्डमूलादि यापना बरित सहचरादि यापना बस्ति ११२२ बृहत्यादि यापना बस्ति ११२२ प्रथम बलादि यापना बस्ति ११२२ द्वितीय बलादि यापना बस्ति ११२२ हपुषादि यापना बस्ति ११२३ हस्वपञ्चमूलादि यापना बस्ति ११२३ तृतीय बलादि यापना बस्ति ११२३ चतुर्थ बलादि यापना बस्ति ११२३ शालपण्र्ष्यादि यापना बस्ति ११२३ स्थिरादियापना बस्ति ११२४ तीन अन्य यापना बस्तियाँ ११२४ बलवर्धक बस्तियाँ (तित्तिरादि यापना बस्ति) ११२५ द्विपञ्चमूलादि यापना बस्ति ११२६ मयूरादि यापना बस्ति ११२६ विष्किरादि प्राणियों के मांस से निर्मित यापना यापना संज्ञक स्नेह बस्तियों के गुण बस्ति प्रयोग काल में अपथ्य यापना बस्तियों का संक्षेप में वर्णन बस्ति के वापस न लौटने पर कर्तव्य यापना बस्ति के अत्याधिक सेवन के दोष यापना बस्ति के अति प्रयोग से उत्पन्न उपद्रव की चिकित्सा महादोषकर प्रकरण का उपसंहार सिद्धिस्थान की निरुक्ति अग्निवेशतन्त्र में अध्यायों की संख्या संहिता के अध्ययन का फल प्रतिसंस्कर्ता के कार्य संपूरितकर्ता दृढ़बल अपूर्ण विषयों को पूर्ण करने की प्रक्रिया छत्तीस तन्त्र युक्तियाँ तन्त्रयुक्तियों की गणना बस्तियाँ ११२६ वृष्य बस्तियाँ शास्त्र में तन्त्र युक्तियों का विवेचन ११२६ कूर्मादि यापना बस्ति तन्त्रयुक्तियों का महत्त्व कर्कटकादि यापना बस्ति ११२६ एक शास्त्र के ज्ञान से अन्य शास्त्रों का ज्ञान गोवृषादि यापना बस्ति ११२६ शास्त्रज्ञान का महत्त्व दशमूलादि यापना बस्ति ११२७ अग्निवेशतन्त्र के अध्ययन का फल यापना बस्तियों के अन्य योग ११२७ चरकसंहिता का महत्त्व मधुतैलादि यापना बस्ति अध्यायोक्त विषयों का उपसंहार