के आठ अह आयुर्वेद विषय सूत्री Mi ANA कोस के र दोषी के गुण सप्त धातु वर्णन दूच्यो का वर्णन शरीर की व्युत्पति रसों का वर्णन ९ . उद्वर्तन प्रयोग के लाभ १० द्रव्यों के प्रकार १० वीर्य के प्रकार विपाक के प्रकार ११ तृतीय अध्याय ११ गुण का वर्णन रोग एवं आरोग्य का कारण ११ रोग के प्रकार व्यायाम का महत्व व्यायाम की विधि एवं निषेच स्नान महत्व, विधि एवं निषेध दशविध पापकर्म ११ सदवृत ऋतुविभाजन अपान-भेद से ऋतुएँ एवं बलाबल हेमन्त ऋतुचर्या मन के दोष शिशिर ऋतुचर्या १२ रोगी एवं रोग परीक्षा वसन्त ऋतुचर्या देश एवं काल के प्रकार १२ ग्रीष्म ऋतुचर्या १२ औषध के प्रकार वर्षा ऋतुचर्या १३ दोषों की चिकित्सा शरद् ऋतुचर्या १३ नित्य सर्वरसाभ्यास चिकित्सा के चार पाद एवं उनके गुण सुखसाध्य रोग के लक्षण १३ ऋतुसंधि १३ चतुर्थ अध्याय कृच्छ्रसाध्य रोग के लक्षण १४ त्रयोदश वेगावरोध याप्य एवं असाध्य रोग के लक्षण १५ अधोवात वेगावरोध लक्षण सूत्रस्थान अध्याय-नाम १५ मल एवं मूत्रवेगावरोध लक्षण शारीरस्थान अध्याय-नाम १६ वात, मल एवं मूत्रवेगावरोध-चिकित्सा निदानस्थान अध्याय-नाम चिकित्सास्थान अध्याय-नाम उद्गार, क्षवथु एवं तृष्णा-वेगावरोध लक्षण एवं चिकित्सा (153 अध्याय एकशफ का दूस विजेवण एवं विकासा अमजण्यास वेगावरोध लक्षण एवं विकित्सा ४८ आम दूध ४८ धारोष्ण दूध अमृत ४८ दही के गुण जुम्भा नेगावरोध लक्षण एवं वातनाशक चिकित्सा ४८ तक्र के गुण ष्म वेगावरोध लक्षण एवं चिकित्सा श्रमन वेगावरोध लक्षण एवं चिकित्सा ४८ ४८ मस्तु के गुण मक्खन के गुण शुक्र वेगावरोध लक्षण एवं चिकित्सा ४९ घृत के गुण बैग का उदीरण एवं धारण रोगों का मूल ४९ पुरातन धूत के गुण धारणीय वेग ५० किलाट, पीयूष, कूर्चिका आदि के ग इक्षुवर्ग मलो का शोधन ५० शोधन का महत्त्व ५१ गन्ने का रस शोधनोपरान्त रसायन-वाजीकरण प्रयोग ५१ यांत्रिक रस आगन्तुज रोग ५२ पौण्ड्र गुण मलों का शोधनकाल ५३ बाँस-गन्ने का गुण नीरोगी मनुष्य ५४ फाणित गुण पञ्चम अध्याय ५५-७८ पुराण गुड़ जलवर्ग ५५ यास-शर्करा वर्षा जल ५६ मधु के गुण अन्तरिक्ष जल ५६ तैलवर्ग अपेय जल ५६ एरण्ड तैल गुण नदियों के जल के गुण ५७ लाल एरण्ड तैल गुण रोगानुसार जलपान ५८ सरसों का तैल शीतल जल गुण ५९ विभीतक का तैल उष्णोदक गुण ५९ नीम का तैल भृतशीत जल गुण ५९ अलसी व कुसुम्भ तैल नारिकेलोदक गुण ६१ वसा व मज्जा क्षीरवर्ग ६१ मद्यवर्ग गाय का दूध ६२ नूतन एवं पुराण मद्य भैंस का दूध ६२ सुरा बकरी का दूध ६२ वारुणी ऊँटनी का दूध स्त्री का दूध ६२ विभीतक की सुरा भेड़ का दूध ६२ यव की सुरा हथिनी का दूध ६२ अरिष्ट मार्दीक मद्य (94) अध्याय अध्याय अस्गिगत शल्य के सभ कसे जत कर ि लाख आदि का निल ४२३ طريقة في كلتة عمير मांसगूढ शल्य का निर्हरण मिडी जादि शरण का स्वयं निर्धारण ४२४ विशेष निर्देश काय भी चीत्राकारक ४२४ एकोनत्रिंश अध्याय त्वचा में नहा शल्य का ज्ञान ४२४ भांस में वह शल्य कर ज्ञान पेशी आदि में नह शल्य का ज्ञान ४२४ आम शोफ के लक्षण अस्थिगत प्रनष्ट शल्य का ज्ञान ४२४ पच्यमान शोफ के लक्षण सन्धियों में नह शल्य का ज्ञान ४२५ पक्व शोफ के लक्षण स्नायु सिरा आदि में नष्ट शल्य का ज्ञान ४२५ पाक में दोषों का हेतुत्व मर्मनष्ट शल्य ४२५ अतिपाक में शोथ स्वरूप नष्ट शल्य का सामान्य ज्ञान ४२५ रक्तपाक शल्य की आकृति का ज्ञान ४२५ दारण पाटन विधान शल्य के निकालने के उपाय ४२५ आम शोफ में छेदन से हानि अनिर्घातनीय शल्य ४२६ पक्व शोफ में छेदन न करने से हानि अनिर्हरणीय शल्य ४२६ निन्द्य वैद्य हाथ से शल्य निकालना ४२७ शखच्छेदन से पूर्व करणीय अदृश्य शल्य को निकालने के उपाय ४२७ अपवाद यन्त्र प्रयोग में निर्देश ४२७ शस्त्रकर्म विधि छेदन क्रिया ४२७ पाटन प्रमाण सिरास्नायुस्थ शल्य का निर्हरण ४२८ वैद्य की दक्षता हृदयस्थ शल्य का निर्हरण ४२८ स्थानानुरूप छेदन अस्थिगत शल्य का निर्हरण ४२८ अन्यत्र तिर्यक् छेदन नहीं अन्य विधि ४२९ छेदन के बाद करणीय उत्तुण्डित शल्य का निर्हरण ४२९ पट्ट निर्देश अन्य विधि ४२९ व्रण रक्षा अन्य प्रकार ४२९ औषधि धारण कण्ठगत शल्य का निर्हरण ४३० शस्त्र कर्म के बाद त्याज्य अन्य विधि ४३० पथ्य आहार अन्य निर्देश ४३० पथ्य से लाभ अजीर्ण से हानि ग्रास शल्य का निवारण ४३० नेत्रादि से शल्य निष्कासन अपथ्य (त्याज्य आहार) ४३१ उदरगत जल का निष्कासन व्रण संरक्षण अन्य कर्म we जल में जीवन क कन्चन के भेट अतिदता के त YYY रणान-निशेष के अति ४४५ अतिदन्य का उपचार बन्धन न करने से हानि ४४६ मिथ्या प्रयुक्त क्षारादिकर्म ४४६ अग्नि की श्रेष्ठता द्वष्ण-बन्धन से लाभ त्वचा आदि में अग्निकर्म पत्राच्चमदन ४४८ त्वग्दाह बन्धन के अयोग्य व्रण ४४८ मांसदाह कृमियुक्त व्रणों का उपचार ४४८ सिरादि में दाह शीघ्र रोहण का निषेध ४४९ अग्निदाह का निषेध पथ्यापथ्य का परिपालन ४४९ सम्यग्दग्ध में प्रयोज्य विवेकानुरूप चिकित्सा ४४९ सम्यकदग्ध के लक्षण त्रिंश अध्याय ४५१-४६१ दुर्दग्ध अतिदग्ध के लक्षण एवं मेद क्षारकर्म की श्रेष्ठता ४५१ तुच्छ दग्ध की चिकित्सा क्षार का पेयरूप में आभ्यन्तर प्रयोग ४५१ दुर्दग्ध की चिकित्सा क्षार का बाह्य प्रयोग ४५२ सम्यग्दग्ध की चिकित्सा क्षार-प्रयोग का निषेध ४५२ अतिदग्ध की चिकित्सा क्षार-निर्माण क्रिया (क्षार कल्पना) स्नेहदग्ध की चिकित्सा मृदु एवं तीक्ष्ण क्षार उपसंहार