TY - BOOK AU - Verme,Sunil AU - Yadav,Jayram TI - Sarira Kriya Vigyan SN - 9788176371315 U1 - 612 VER PY - 2022/// CY - Varanasi PB - Chaukhambha Orientalia N1 - शरीरक्रिया विज्ञान (विवेवनात्मक किया शारीर) विषय सूची अध्याय- १. शरीर देह प्रकृतियाँ मानस प्रकृतियाँ 'शरीर' शब्द की व्याख्या 'शरीर' शब्द के पर्याय धातु भेद से पुरुष-संख्या ३ वातल पुरुष के लक्षण ४ पित्तल पुरुष के लण ६ श्लेष्मल पुरुष के लक्षण अध्याय- २. शरीर घटकों का पाश्च भौतिकत्व द्विदोषज एवं समधातु प्रकृति दोषों का पाञ्चभौतिक संगठन ९ के लक्षण धातुओं का पाञ्चभौतिक संगठन ९ प्रकृति ज्ञान का प्रयोजन ३८ मलों का पाञ्चभौतिक संगठन १० प्रकृति परीक्षण की विधि लोक और पुरुष की साम्यता १० शरीर रचना सम्बन्धी लक्षण ४० त्रिगुण और त्रिदोष का परस्पर सम्बन्ध ११ शरीर क्रिया सम्बन्धी लक्षण त्रिगुण का महाभूतों से सम्बन्ध १४ मनो विज्ञान सम्बन्धी लक्षण ४० ४० अध्याय- ३. दोष धातु मल परिचय समाज सम्बन्धी लक्षण ४० त्रिदोष का सामान्य परिचय १५ प्रकृति वर्णन की संक्षिप्त दोष-संख्या १७ तुलनात्मक सारिणी ४१ 'धातु' शब्द का अर्थ १८ वातल पुरुष के लक्षणों की धातु-संख्या १९ तुलनात्मक सारिणी ४ उपधातु की परिभाषा उपधातु-संख्या 'मल' शब्द की निरुक्ति एवं परिभाषा मलों की संख्या धातु मलों की तुलनात्मक सारिणी २१ पित्तल पुरुष के लक्षणों की २२ २३ २४ २६ तुलनात्मक सारिणी श्लेष्मल पुरुष के लक्षणों की तुलनात्मक सारिणी अध्याय-५. क्रियाकाल क्रियाकाल परिभाषा क्रिया काल के भेद (संचय, अध्याय- ४. प्रकृति 'प्रकृति' शब्द की निष्पत्ति २७ देह प्रकृति २७ प्रकृति निर्माण प्रकोप, प्रसर, स्थान संश्रय, २८ प्रकृति का स्थिरत्व ३० प्रकृति के प्रकार व्यक्त, भेद) क्रिया काल का संक्षिप्त स्वरूप विषय कियाकाल का महत्व अध्याय-६. दोषः क्षय-वृद्धि दोषों की क्षय-वृद्धि दोषों को क्षय-वृद्धि के कारण वात क्षय के लक्षण (१२) पृष्ठ विषय ५५ उदान वायु के स्थान एवं कर्म समान वायु के स्थान एवं कर्म व्यान वायु के स्थान एवं कर्म ५७ अपान वायु के स्थान पर्व कर्म वात भेदों के स्थान एवं कर्षों की ५७ ५८ तुलनात्मक सारिणी ५९ पित्त क्षय के लक्षण श्लेष्मा क्षय के लक्षण दोष-क्षय के लक्षणों की तुलनात्मक ६१ पित्त का पाञ्चभौतिक स्वरूप ६० अध्याय-८ पित्त दोष निरूपण 'पित्त' शब्द की निरुक्ति एवं व्याख्या सारिणी वात-वृद्धि के लक्षण ६२ ६३ प्राकृत पित्त के कर्म पित्त का स्वरूप एवं गुण पित्त वृद्धि के लक्षण श्लेष्म वृद्धि के लक्षण ६३ पित्त के गुणों की वर्गीकृत सारिणी वात वृद्धि के लक्षणों की तुलनात्मक सारिणी पित्त के गुणों की तुलनात्मक सारिणी १२ ६४ पित्त के स्थान पित्त वृद्धि के लक्षणों की तुलनात्मक सारिणी पित्त स्थानों की तुलनात्मक सारिणी ६५ प्राकृत पित्त के भेद पाचक पित्त का स्थान एवं कर्म ६५ रञ्जक पित्त का स्थान एवं कर्म साधक पित्त का स्थान एवं कर्म कफ वृद्धि के लक्षणों की तुलनात्मक सारिणी अध्याय-७. वातदोष निरूपण वात के पर्याय एवं निरूक्ति वात का स्वरूप वात का पाञ्चभौतिक स्वरूप वात के गुण प्राकृत वात के कर्म प्राकृत वात के स्थान ६६ आलोचक पित्त का स्थान एवं कर्म १ ६७ भ्राजक पित्त का स्थान एवं कर्म ६७ पित्त भेदों के स्थान एवं कर्मों की ६८ ७० ७४ वात के स्थानों की तुलनात्मक सारिणी ७५ बात के गुणों की तुलनात्मक सारिणी वात के कर्मों की तुलनात्मक सारिणी वात के भेद याण वायु के स्थान एवं कर्म तुलनात्मक सारिणी अध्याय-९. कफदोष निरूपण 'कफ' शब्द की निरुक्ति एवं व्याख्या श्लेष्मा का पाञ्च भौतिक संगठन कफ का स्वरूप एवं गुण कफ के कर्म कफ के कर्मों की तुलनात्मक सारिणी श्लेष्मा के स्थान । प्राकृत श्लेष्मा के भेद विषय शोधक कफ के स्थान एवं कर्म तर्पक अफ के स्थान एवं कर्म श्लेषक कफ के स्थान एवं कर्म अफ स्थान की तुलनात्मक सारिणी ११५ कफ के गुणों की तुलनात्यक सारिणी कफ भेदों के स्थान एवं कर्मों की तुलनात्मक सारिणी १९२ वायव्ययों के ११५ ११६ तुलनात्मक सारिणी आकाशीय के भूक पार्थिवादि द्रव्यों के गुणों की पार्थिवादि द्रव्यों के कर्मों की तुलनात्मक सारिणी १४२ १४७ अध्याय- १०. प्राणवात के विशिष्ट कर्म ११७ अध्याय-१४. रस की उत्पत्ति, गुण एवं कर्म प्राणवह स्त्रोतस् का परिचय प्राण वायु के विशिष्ट कर्म ११८ रसों की उत्पत्ति १४४ श्वास-प्रश्वास क्रिया ११९ रसों का पाञ्चभौतिक संगठन १४५ अध्याय - ११. उदानवात के विशिष्ट कर्म ऋतुओं का रसों पर प्रभाव १४५ रसों का शरीर दोषों से सम्बन्ध १४६ ध्वन्यात्मक एवं वर्णात्मक शब्द १२२ रसों का स्वरूप १४ स्वर यन्त्र १२२ स्वर यन्त्र की आन्तरिक रचना १२३ मधुर रस का स्वरूप १४ अम्ल रस का स्वरूप ११ वाक् उत्पत्ति एवं नियंत्रण १२३ लवण रस का स्वरूप १ अध्याय - १ २. व्यानवात के विशिष्ट कर्म व्यान वायु के विशिष्ट कर्म तिक्त रस का स्वरूप 2 १२५ कटु रस का स्वरूप हृदय का वर्णन १२५ कषाय रस का स्वरूप रस-रक्त परिभ्रमण रस परिभ्रमण के भौतिक कारण १२७ मधुर रस के गुण एवं कर्म १२९ अम्ल रस के गुण एवं कर्म Lymph का परिभ्रमण हृदय स्थित दोष भाग-ख अध्याय- १३. आहार शरीर का पोषण 'आहार' शब्द की व्युत्पत्ति एवं पर्याय १३१ लवण रस के गुण एवं कर्म तिक्त रस के गुण एवं कर्म कषाय रस के गुण एवं कर्म कटु रस के गुण एवं कर्म १३४ रसानुसार द्रव्यों का वर्गीकरण उपयोग भेद से आहार द्रव्यों क वर्गीकरण विषय सूत्र वृद्धि के लक्षण स्वेद की उत्पति स्वेद वह स्रोतस् स्वेद का पाकभौतिक संगठन स्वेद के कर्म स्वेद क्षय के लक्षण (१८) पृष्ठ विषय आआ याक्र सहखार चाक ३३९ सुषुम्णा ३३२ पिङ्गला ३३२ अध्याय-३०. मन एवं आत्मा 'मन' शब्द की निरुक्ति मन के पर्याय स्वेद वृद्धि के लक्षण स्वेद के क्षय-वृद्धि के लक्षणों की सारिणी ३३३ मन की उत्पत्ति मन का लक्षण अध्याय- २९. इन्द्रिय एवं षड्चक्र ज्ञानेन्द्रियों का परिचय मन के गुण ३३४ ज्ञानेन्द्रियों के भेद मन के विषय ३३५ मन के कर्म इन्द्रियों की उत्पत्ति ३३५ ज्ञानेन्द्रियों का पोषण मन का स्थान ३३५ ज्ञानेन्द्रियों के द्रव्य सत्व के भेद ज्ञानेन्द्रियों के अधिष्ठान ३३६ सत्वादि भेद के कारण ३३६ ज्ञानेन्द्रियों के अर्थ पञ्च कर्मेन्द्रिय ज्ञानेन्द्रियों की बुद्धियाँ ३३६ 'आत्मा' शब्द की निरुक्ति ३३६ आत्मा के गुण श्रोत्रेन्द्रिय स्पर्शनेन्द्रिय चक्षुरिन्द्रिय रसनेन्द्रिय घ्राणेन्द्रिय षड्चक्र ३३७ आत्मा के भेद (परमात्मा, जीवात्मा ३३८ सूक्ष्म शरीर ३३९ स्थूल शरीर ३४० आत्मा के ज्ञान की प्रवृत्ति ३४१ निद्रा की परिभाषा ३४२ निद्रा की सम्प्राप्ति ३४४ निद्रा के भेद मूलाधार चक्र स्वाधिष्ठान चक्र ३४५ निद्रा से लाभालाभ मणिपुर चक्र निद्रा के सिद्धान्त अनाहत चक्र स्वप्न विशुद्ध चक्र स्वप्न के भेद ER -