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Shree Madbhagvad Geeta ke Mano-Samajik evam Shaikshik Aayam

By: Material type: TextTextPublication details: Agra H. P. Bhargava Book HouseDissertation note: विषय सूची विषय पृष्ठ ix अभिमत गीता रलम् xiv xvi 1 4 11 लेखक परिचय मत्युचिता, मन की चंचलता तथा मनो-स्नायु विकृति की असामान्यता दो निष्काम कर्म तया स्थिर बुद्धि व्यक्तित्व तीन राग-द्वेष-क्रोध की अवस्थाएँ चार 17 कर्म, वित्, द्वन्दात्मक स्थिति, प्रहस्थ, दिव्य ज्ञानी तथा स्वरूप सिद्ध व्यक्तित्व पाँच आत्म-साक्षात्कार तथा संवेगात्मक अवस्थाओं पर नियन्त्रण की आवश्यकताएँ 22 24 सात योग व योगी व्यक्तित्व की विशेषताएँ परम सत्य, व्यक्ति तथा आत्म-साक्षात्कार की अवस्थाएँ 29 आठ परमसत्ता तथा मृत्युभय की अवस्थाएँ 35 नौ दस गुरु-शिष्य अंतर्वैयक्तिक सम्बन्ध 40 ग्यारह आत्म शक्ति के विविध गुण तथा 'मैं' की व्याख्या 45 बारह गुरु की विलक्षण प्रतिभा की अवस्था 50 साकार-निराकार तथा साधक की विशेषताएँ 54 (viii) अध्याय विषय पृष्ठ तेरह शरीर, जीवात्मा तथा परमात्मा की व्याख्या 59 चौदह सतोगुण, रजोगुणी तथा तमोगुणी की विशेषताएँ 62 पंद्रह ससार रूपी वृक्ष तथा पुरुषोत्तम की विशेषताएँ 66 सोलह मानव वृत्तियों का द्वैतवाद 70 सत्रह भोजन, यज्ञ, तप तथा दान का महत्व 75 अठारह सन्यास, त्याग, ज्ञाता, ज्ञान ज्ञेय, बुद्धि, सुख, वर्ण व्यवस्था तथा आत्म-साक्षात्कारी की विशेषताएँ 80 उन्नीस उपसंहार 92 सन्दर्भ ग्रन्थ सूची 112
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विषय सूची
विषय
पृष्ठ
ix
अभिमत
गीता रलम्
xiv
xvi
1
4
11
लेखक परिचय
मत्युचिता, मन की चंचलता तथा मनो-स्नायु विकृति की
असामान्यता
दो
निष्काम कर्म तया स्थिर बुद्धि व्यक्तित्व
तीन
राग-द्वेष-क्रोध की अवस्थाएँ
चार
17
कर्म, वित्, द्वन्दात्मक स्थिति, प्रहस्थ, दिव्य ज्ञानी तथा स्वरूप
सिद्ध व्यक्तित्व
पाँच
आत्म-साक्षात्कार तथा संवेगात्मक अवस्थाओं पर नियन्त्रण की आवश्यकताएँ
22
24
सात
योग व योगी व्यक्तित्व की विशेषताएँ
परम सत्य, व्यक्ति तथा आत्म-साक्षात्कार की अवस्थाएँ
29
आठ
परमसत्ता तथा मृत्युभय की अवस्थाएँ
35
नौ
दस
गुरु-शिष्य अंतर्वैयक्तिक सम्बन्ध
40
ग्यारह
आत्म शक्ति के विविध गुण तथा 'मैं' की व्याख्या
45
बारह
गुरु की विलक्षण प्रतिभा की अवस्था
50
साकार-निराकार तथा साधक की विशेषताएँ
54
(viii)
अध्याय
विषय
पृष्ठ
तेरह
शरीर, जीवात्मा तथा परमात्मा की व्याख्या
59
चौदह
सतोगुण, रजोगुणी तथा तमोगुणी की विशेषताएँ
62
पंद्रह
ससार रूपी वृक्ष तथा पुरुषोत्तम की विशेषताएँ
66
सोलह
मानव वृत्तियों का द्वैतवाद
70
सत्रह
भोजन, यज्ञ, तप तथा दान का महत्व
75
अठारह
सन्यास, त्याग, ज्ञाता, ज्ञान ज्ञेय, बुद्धि, सुख, वर्ण व्यवस्था तथा आत्म-साक्षात्कारी की विशेषताएँ
80
उन्नीस
उपसंहार
92
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
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