000 | 18656nam a22001817a 4500 | ||
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999 |
_c15904 _d15904 |
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003 | OSt | ||
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008 | 201029b xxu||||| |||| 00| 0 eng d | ||
020 | _a97893865544000 | ||
041 | _aHINDI | ||
082 | _a330.01 TIW | ||
100 | _aTiwari,Shyamlesh Kumar | ||
245 | _aKautiliya Arthashastram | ||
260 |
_aVaranasi _bChaukhamba Surbharati Prakashan _c2020 |
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300 | _a616p. | ||
500 | _aविषयानुक्रमणिका विनयाधिकारिकं प्रथमधिकरणम् 1. प्रथमोऽध्यायः 2. पहला प्रकरण विद्यासमुद्देशः विद्या-समुद्देश 3. त्रयीस्थापनाः त्रयीस्थापना 4. वार्ता तथा दण्डनीति स्थापना वार्ता और दण्डनीति की स्थापना 5. दूसरा प्रकरण वृद्धसंयोगः वृद्धसंयोग 6. तीसरा प्रकरण इन्द्रियजयः अरिषड्वर्गत्यागः इन्द्रियजय (काम, क्रोध, लोभ, मान, मद एवं हर्ष इन छः शत्रुओं का त्याग) 7. राजर्षिवृत्तम् राजर्षि का व्यवहार चौथा प्रकरण अमात्यनियुक्तिः अमात्यों की नियुक्ति पाँचवाँ प्रकरण मन्त्रिपुरोहितयोर्नियुक्तिः मन्त्री और पुरोहित की नियुक्ति छठा प्रकरण उपधाभिः शौचाशौचज्ञानम् अमात्यानाम् गुप्त उपायों के द्वारा अमात्यों के आचरण की परीक्षा 11. सातवाँ प्रकरण गूढपुरुषोत्पत्तिः गुप्तचरों की स्थापना 12. आठवाँ प्रकरण गुणपुरुषप्रणिधिः गुप्तचरों की नियुक्ति 13. नौवाँ प्रकरण स्वविषये कृत्याकृत्यपक्षरक्षणम् अपने देश के कृत्य (शत्रु के वश में आने वाले) और अकृत्य शत्रु के बहकाने में नहीं आने वालों की रक्षा 14. दसवाँ प्रकरण परविषये कृत्याकृत्यपक्षोपग्रहः शत्रु के देश में कृत्य तथा अकृत्य पक्ष के पुरुषों का मिलाना 15. ग्यारहवाँ प्रकरण मन्त्राधिकारः मन्त्राधिकार 16. बारहवाँ प्रकरण दूतप्रणिधिः दूतप्रणिधि 17. तेरहवाँ प्रकरण राजपुत्ररक्षणम् राजा की राजपुत्रों से रक्षा 18. 14-15 वाँ प्रकरण अवरुद्धवृत्तमवरुद्धे च वृत्तिः अवरुद्ध (निगरानी में रखे हुए) राजकुमार के कर्त्तव्य और उसके साथ राजा का व्यवहार 19. सोलहवाँ प्रकरण राजप्रणिधिः राजप्रणिधि 20. सत्तरहवाँ प्रकरण निशान्तप्रणिधिः निशान्तप्रणिधि-राजभवन का निर्माण एवं राजा के कर्तव्य 52 21. अट्ठाहरवाँ प्रकरण आत्मरक्षितकम् आत्मरक्षा की व्यवस्था अध्यक्षप्रचार-द्वितीयमधिकरणम् 59-180 1. उन्नीसवाँ प्रकरण जनपदनिवेशः 13. इकतीसवाँ प्रकरण अक्षशालायां सुवर्णाध्यक्षः अक्षशाला में सुवर्णाध्यक्ष का कार्य जनपदनिवेश 59 2. बीसवाँ प्रकरण भूमिच्छिद्रविधानम् भूमिच्छिद्र विधान 3. इक्कीसवाँ प्रकरण दुर्गविधानम् दुर्गविधान 10. अट्ठाईसवाँ प्रकरण शासनाधिकारः शासनाधिकार 11. उनतीसवाँ प्रकरण कोषप्रवेशरलपरीक्षा कोश में संग्रह योग्य रत्नों की परीक्षा 12. तीसवाँ प्रकरण आकरकर्म संचालनम् खान के कार्यों का संचालन 14. बत्तीसवाँ प्रकरण विशिखायाम् सौवर्णिकप्रचारः विशिखा में सौवर्णिक का व्यापार 63 15. तैतीसवाँ प्रकरण कोष्ठागाराध्यक्षः कोष्ठागाराध्यक्ष 65 4. बाईसवाँ प्रकरण दुर्गनिवेशः दुर्गनिवेश 70 5. तेईसवाँ प्रकरण सन्निधातृनिचय कर्म सन्निधाता का निचयकर्म 73 6. चौबीसवाँ प्रकरण समाहर्तृसमुदयप्रस्थानम् समाहर्तृ-समुदय-प्रस्थापन 76 7. पचीसवाँ प्रकरण अक्षपटलेगाणनिक्याधिकारः अक्षपटल में गाणनिक्याधिकार 79 8. छब्बीसवाँ प्रकरण समुदयस्ययुक्तापहृतस्य प्रत्यानयनम् अध्यक्षों के द्वारा अपहृत धन को पुनः प्राप्त करना 9. सत्ताईसवाँ प्रकरण उपयुक्तपरीक्षा उपयुक्त परीक्षा 83 87 16. चौतीसवाँ प्रकरण पण्याध्यक्षः पण्याध्यक्ष 17. पैंतीसवाँ प्रकरण कुप्याध्यक्षः कुप्याध्यक्ष 18. छत्तीसवाँ प्रकरण आयुधागाराध्यक्षः आयुधागाराध्यक्ष 19. सैंतीसवाँ प्रकरण हलामानपौतवम् तोल माप का संशोधन 20. अड़तीसवाँ प्रकरण देशकालमानम् देश तथा काल का मान 21. उनतालीसवाँ प्रकरण शुल्काध्यक्षः शुल्काध्यक्ष 91 s 3 22. चालीसवाँ प्रकरण शुल्कव्यवहारः शुल्कव्यवहार 23. इकतालीसवाँ प्रकरण सूत्राध्यक्षः सूत्राध्यक्ष 24. बयालीसवाँ प्रकरण सीताध्यक्षः सीताध्यक्ष 25. तिरालिसवाँ प्रकरण सुराध्यक्षः सुराध्यक्ष 26. चवालीसवाँ प्रकरण सूनाध्यक्षः सूनाध्यक्ष 27. पैंतालीसवाँ प्रकरण गणिकाध्यक्षः गणिकाध्यक्ष 28. छियालीसवाँ प्रकरण नावध्यक्षः रथाध्यक्ष, पत्त्यध्यक्ष तथा सेनापति- प्रचार 171 138 34. 52-53 वाँ प्रकरण मुद्राध्यक्षः विविताध्यक्षः मुद्राध्यक्ष और विवताध्यक्ष 17 140 35. 54-55 वाँ प्रकरण समाहर्तृप्रचारः गृहपतिवैदेहकता- पसव्यञ्जनाः प्रणिधयः 141 समाहर्त्ता का कार्य, गृहपति वैदेहक तथा तापस के वेश में गुप्तचर 17 146 36. छप्पनवाँ प्रकरण नागरिकप्रणिधिः नागरिक का कार्य 17 149 धर्मस्थीय-तृतीयमधिकरणम् 181-23 1. 57-58 वाँ प्रकरण व्यवहारस्थापनाविवादपदनिबन्धाश्च व्यवहार की स्थापना और विवाद का लेखन 151 2. उनसठवाँ प्रकरण विवाहसंयुक्तम् विवाहधर्मः स्त्रीधनकल्पम् आधिवेदनिकम् नावाध्यक्ष 154 29. सैंतालीसवाँ प्रकरण गोऽध्यक्षः विवाह धर्म, स्त्रीधन और आधि- वेदनिक गोअध्यक्ष 157 11 30. अड़तालीसवाँ प्रकरण 3. उनसठवाँ प्रकरण अश्वाध्यक्षः विवाहसंयुक्ते शुश्रुषामर्भपारुष्य- अश्वाध्यक्ष 161 द्वेषातिचारोपकारव्यवहारप्रतिषेधाः स्त्री का पालन पोषण, निष्ठर स्त्री के प्रति व्यवहार, आपस में द्वेष, अतिचार 31. उनचासवाँ प्रकरण हस्त्यक्षः हस्त्यध्यक्ष 32. पचासवाँ प्रकरण हस्तिप्रचारः हस्तिप्रचार 33. 50-51 वाँ प्रकरण रथाध्यक्षः पत्यध्यक्षः सेनापतिप्रचारः 4. 59 वाँ प्रकरण विवाहसंयुक्ते निष्पातनम् पथ्यनुसरणम् ह्रस्वप्रवासोदीर्घप्रवासः विवाह सम्बन्धी निष्पातन पथ्य का अनुसरण, अल्प एवं दीर्घ प्रवास 5. साठवाँ प्रकरण दायविभागे दायक्रमः दाय विभाग 6. साठयों प्रकरण दायविभागे अंशविभागः अंश विभाग 7. सातवाँ प्रकरण दावविभागे पुत्रविभागः पुत्र विभाग 8. इकसठवाँ प्रकरण वास्तुके गृहवास्तुकम् गृहवास्तुक 9. इकसठवाँ प्रकरण वास्तुविक्रयः वास्तु विक्रय 10. 61-62 वाँ प्रकरण वास्तुके विवीतक्षेत्रपथहिंसा समयस्थानपाकर्म च मार्ग अवरुद्ध करना, चरागाहों का प्रबन्ध 11. तिरेसठवाँ प्रकरण ऋणादानम् ऋण लेना 12. चौसठवाँ प्रकरण औपनिधिकम् औपनिधिक धरोहर 13. पैसठवाँ प्रकरण दासकर्मकरकल्पम् दास कर्मकरकल्प 14. छियासठवाँ प्रकरण कर्मकल्पः सम्भूयसमुत्थानम् कर्मकर कल्प, सम्भूय समुत्थान 15. सड़सठवाँ प्रकरण विक्रीतक्रीतानुशयः विक्रीतक्रीतानुशय 225 16. 68-69 वा प्रकरण दत्तस्यानकर्म अस्वामिविक्रय; स्वस्वामिसम्बन्धश्च प्रतिज्ञात धन को न देन अस्वामिविक्रय, स्वस्वामिसम्बन्ध 17. इकहत्तरवाँ प्रकरण साहसम् साहस 18. बहत्तरवाँ प्रकरण वाक्पारुष्यम् वाक्पारुष्य 19. तिहत्तरवाँ प्रकरण दण्डपारुष्यम् दण्डपारुष्य 20. 74-75 वाँ प्रकरण द्यूतसमाह्वयं प्रकीर्णकानि च द्यूतसमाहृय एवं प्रकीर्णक कण्टकशोधन-चतुर्थमधिकरणम् 2- 1. तिहत्तरवाँ प्रकरण कारुकरक्षणम् कारुकरक्षण 2. सतहत्तरवाँ प्रकरण वैदेहकरक्षणम् वैदेहकरक्षण 3. अठहत्तरवाँ प्रकरण उपनिपातप्रतीकारः उपनिपात प्रतिकार 4. तिहत्तरवाँ प्रकरण गूढाजीविनां रक्षा गूढ़ प्रजापीड़कों से रक्षा 5. अस्सीवाँ प्रकरण सिद्धव्यञ्जनैर्माणवप्रकाशनम् सिद्धव्यञ्जन से दुष्टों का प्रकाशन 6. इक्यासीवाँ प्रकरण शंकारूपकर्माभिग्रहः शङ्कारूप कर्माभिग्रह बयासीवाँ प्रकरण आशुमृतकपरीक्षा आशुमृतक परीक्षा तिरासीर्वा प्रकरण वाक्यकर्मानुयोगः वाक्य कर्मानुयोग चौरासीाँ प्रकरण सर्वाधिकरणरक्षणम् सर्वाधिकरण रक्षण पिचासीवों प्रकरण एकाङ्गवधनिष्क्रयः एकाङ्गवध और उसका निष्क्रय छियासीवों प्रकरण शुद्धश्चित्रश्चदण्डकल्पः शुद्ध और चित्रदण्ड सतासीवाँ प्रकरण कन्याप्रकर्म कन्या प्रकर्म अड्डासीवाँ प्रकरण अतिचारदण्डः अतिचार दण्ड 5. तिरानबेवाँ प्रकरण समयाचारिकम् समयाचारिक 6. 94-95 वाँ प्रकरण राज्यप्रतिसन्धानमैकेश्वर्य च राज्य का प्रतिसन्धान एवं एक ऐश्वर्य मण्डलयोनिः-पष्ठमधिकरणम् 302- 1. छियानबेवाँ प्रकरण प्रकृतिसम्पदः प्रकृतिसम्पदा 2. सत्तानेबवाँ प्रकरण शमव्यायामिकम् शान्ति और उद्योग विधि षाड्गुण्य-सप्तममधिकरणम् 1. 98-99 वा प्रकरण षाड्गुण्यसमुद्देशः क्षयस्थान् वृद्धिनिश्चयः षड्गुणों का उद्देश्य, क्षय, स्थान एवं वृद्धि का निश्चय 2. एकसौवाँ प्रकरण संश्रयवृत्तिः संश्रयवृत्ति योगवृत्त-पञ्चममधिकरणम् 279-301 नवासीवाँ प्रकरण दाण्डकर्मिकम् 3. 101-102 वाँ प्रकरण समहीनज्यायसां गुणाभिनिवेशः हीनसंधयश्च सम, हीन तथा अधिक के गुणों की स्थापना करना एवं हीन से सन्धि दण्ड का प्रयोग नब्बेवा प्रकरण कोशाभिसंहरणम् कोश की वृद्धि इक्यानबेवाँ प्रकरण भृत्यभरणीयम् भृत्यों का भरण-पोषण बानवेवाँ प्रकरण अनुजीविवृत्तम् अनुजीवि वृत्त 4. 103-107 वाँ प्रकरण विगृह्यासनं सन्धायासनम् विगृह्ययानम् सन्धाययानम् सम्भूयप्रयाणम् च विग्रह, आसन एवं यान का अवलम्बन 5. 108-110 वाँ प्रकरण यातव्यामित्रयोरभिग्रहचिन्ता | ||
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