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041 _aHINDI
082 _a294.5925 SAI
100 _aSaini,Dhoom Singh
245 _aAmratmaya Shiv Puran : Kalyugi Kasta Vinashak
260 _aNew Delhi
_bShvinak Prakashan
_c2017
300 _a568p.
500 _aविषय-सूची अमृत-मय "शिव-पुराण" (शिव पुराण का माहात्मय) 1. शौनक आदि परम तपस्वियो का सूत जी से शिव पुराण का माहात्मय पूछना 2. शिव पुराण को सुनकर देवराज नामक ब्राह्मण को शिव लोक की प्राप्ति 3. शिव पुराण को सुनकर एक व्याभिचारी स्त्री चंचला को वैराग्य हो गया 4. शिव पुराण की भक्ति पाकर चंचला को मोक्ष की प्राप्ति 5. पार्वती की आज्ञापाकर तुम्बुरू का विधयाचल पर्वत पर जाकर बिन्दुग पिशाच को शिव पुराण की कथा सुनाकर उसका पिशाच योनि से उद्धार करना 6. अमृतमय शिव पुराण को कहने सुनने की विधि 7. शिव भक्ति में शक्ति अमृत-मय "शिव-पुराण" प्रथम-खण्ड (विद्येश्वर संहिता) 1. प्रयागराज में मुनियो का समागम तथा सूत जी से कलियुगी पाप नाशक उपाय पूछना। 2. सूत जी द्वारा ऋषि-मुनियो को कलियुगी पाप निवारण उपाय बतलाना 3. "अमृतमय शिव पुराण की संहिताओ के भेद" 4. "साध्य, साधन आदि पर विचार तथा श्रवण, लीलाओ का गुणगान एवं मनन इन तीनो साधनो का करना श्रेष्ट साधन है" 5. भगवान शिव के लिंगेश्वर स्वरूप का महत्व 6. भगवान शिव का ब्रह्मा और विष्णु जी को महा शिव रात्री का महत्व बतलाना 7. शिव शंकर जी द्वारा ब्रहमा विष्णु को ज्ञानात्मक उपदेश देना 8. सूत जी द्वारा शिवलिंग स्थापना विधि एवं उससे प्राप्त होने वाले फल का वर्णन सुनाना 9. मोक्ष दायक पुण्य क्षेत्रों का वर्णन और उनसे स्नान, दान आदि का महत्व 10. देवो के देव महादेव जी द्वारा ब्रह्मा विष्णु के विवाद को समाप्त करना 11. शिव का महर्षि दधिची और नारद की तपस्या से प्रश्न होकर उन्हें दर्शन एवं वरदान देना 12. सदाचार एवं गायत्री जप, दान आदि की महिमा का वर्णन 13. सूत जी द्वारा अग्नि यज्ञ, देवयज्ञ और ब्रह्मा या आदि का वर्णन 14. देश, काल, पात्र, और दान आदि का ज्ञान कराना 15. मिट्टी आदि से बनायी हुयी देव प्रतिमाओं के पूजन की विचि 16. प्रणव पंचा क्षरो का महात्त्मय एवं महिमा का वर्णन 17. शौनक आदि ऋषियों द्वारा बन्धन और मोक्ष की जानकारी प्राप्त करना 18. पार्थिव लिंग के निर्माण एंव पूजन की विधि 19. पार्थिव शिव लिंग की पूजा की महिमा 20. सूत जी द्वारा नाम की महिमा का वर्णन करना 21. भस्म एवं रूद्राक्ष की महिमा का महात्त्मय अमृत-मय "शिव-पुराण" दूसरा-खण्ड (रुद्र-संहिता) 1. नारद की तपस्या से घबराकर देवराज इन्द्र का कामदेव को उनकी तपस्या भंग करने का आदेश देना। 2. विष्णु जी द्वारा देवर्षि नारद के अभिमान को खण्डित करना 3. देवर्षि नारद का क्रोध वश विष्णु को शाप देना और फिर उसका पश्चाताप करना 4. नारदजी का अनेको तीर्थो मे जाना और शापित हुए शिवगणो को उनकी मुक्ति का उपाय बताकर ब्रह्मा जी से शिव तत्व का प्रश्न पूछना 5. लोक पितामह ब्रह्मा जी द्वारा नारद को अपनी उत्पत्ति की कथा सुनाना 6. विष्णु और ब्रह्मा को भगवान शिव के शब्दमय शरीर के दर्शन होना 7. भगवान शिव का पार्वती सहित प्रकट होना तथा ब्रह्मा, विष्णु को उनके कर्त्तव्यो का ज्ञान कराना। 8. ब्रह्मा जी द्वारा नारद को शिव पूजन की विधि तथा उसका फल बतलाना 9. देवताओं एवं मुनियों को विष्णु के आदेश से विश्कर्मा द्वारा शिवलिंग प्रदान करना 10. बह्मा जी द्वारा शिव पूजन की सर्व श्रेष्ठ विधि का बतलाना 11. नारद जी का ब्रह्मा जी से पुष्पो, अन्नो आदि से की गयी शिव भक्ति का माहात्मय पूछना 12. ब्रह्मा जी द्वारा देवर्षि नारद को सृष्टि का वर्णन सुनाना 13. ब्रह्मा जी द्वारा नारद को सृष्टि उत्पत्ति का वर्णन सुनाना 14. नारद जी का शिव भक्तों को शिव प्रेरणा से जुड़ी एक कथा का सुनाना 15. देवर्षि नारद द्वारा देवराज इन्द्र आदि देवताओं को न्याय और नीति एवं सात्विक व तामसिक प्रवृत्ति का ज्ञान कराना 16. शुक्रचार्य का दैत्यो के उत्थान के लिए भोले नाथ की शरण में जाकर हट करना
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