000 | 02192nam a22001817a 4500 | ||
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999 |
_c17035 _d17035 |
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003 | OSt | ||
005 | 20240402115559.0 | ||
008 | 201210b xxu||||| |||| 00| 0 eng d | ||
020 | _a9789380801292 | ||
041 | _aHINDI | ||
082 | _a334.07 SIN | ||
100 | _aSingh,Gulab Aajad | ||
245 | _aPrakrati se Sahakari Prabandh avm Netratva Vikas shiksha | ||
260 |
_aNew Delhi _bShivanak _c2013 |
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300 | _a158p. | ||
500 | _aविषय वस्तु 1 प्रबन्ध विज्ञान की अनिवार्यता एवं भारतीय संस्कृति में वर्णित प्रबंधकीय ज्ञान की उपेक्षा 2 ज्ञानार्जन हेतु सतत् शिक्षण एवं प्रशिक्षण की आवश्यकता 3 ज्ञानार्जन हेतु प्रकृति रुपी विश्वविद्यालय- मनुष्य को प्रभु की अनुपम देन 4 प्रकृति रुपी विश्वविद्यालय से शिक्षा ग्रहण करने हेतु किए गये कुछ प्रयास 5 महर्षि दत्तात्रेय के 24 गुरू 6 राजर्षि चाणक्य द्वारा प्रदत्त प्रबन्धकीय ज्ञान 7 महारानी मदालिसा की राजधर्म शिक्षा 8 महर्षि भारद्वाज कणिक द्वारा प्रदत्त राजधर्म ज्ञान 9 अथर्ववेद में वर्णित मानवीय व्यवहार के कुछ त्यागने योग्य अवगुण 10 लेखक द्वारा सम्पादित, संकलित विभिन्न 108 चेतन एवं अचेतन प्राणियों द्वारा प्रदत्त प्रबन्धकीय एवं व्यावहारिक ज्ञान उपसंहार | ||
942 |
_2ddc _cBK |