000 | 04082nam a22001817a 4500 | ||
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999 |
_c18184 _d18184 |
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003 | OSt | ||
005 | 20240430150423.0 | ||
008 | 220824b xxu||||| |||| 00| 0 eng d | ||
020 | _a978817637007X | ||
041 | _aENGLISH | ||
082 | _a613.7046 MAH | ||
100 | _aMahatyagi,Ramanadasa | ||
245 | _aYoga ka Vaijnanika Rahasya evam Yaugika Cikitsa | ||
260 |
_aVaranasi _bChaukhambha Orientalia _c2018 |
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300 | _a152p. | ||
500 | _aपहला अध्याय योग का अर्थ द्वितीय अध्याय विभिन प्रकार के बोत कर्मयोग भक्तियोग हठयोग विषय-सूची ३ नौकायन १३ से काम 13 १४ प्राण के भेद अन्त्रयोग शानयोग रजयोग अष्टांग योग तृतीय अध्याय: षटकर्म कुवल 19 अपानवायु समानवायु १७ १८ व्यानवायु नाग RE नेति कपालभाति नौलि बस्ति त्राटक बाह्यत्राटक आभ्यान्तर त्राटक मध्यत्राटक अग्निसार बाघी शंख प्रक्षालन ताड़ासन पादहस्तासन हस्तउर्ध्वासन हस्तकटिचक्रासन भुजङ्गासन उदर कर्षाषण मयूरासन प्रवनमुक्तासन ३६ कुकल ३७ देवदत ३९ धनञ्जय ४२ नाड़ी ४३ इड़ा नाड़ी ४६ पिंगला नाड़ी ४९ सुपुन्ना ४९ ५० वैयक्तिक और समष्टि प्राण प्राणवायु ५१ श्वास-प्रश्वास और आयु का सम्बन्धा ५३ योग दर्शन के अनुसार प्राणायाम ५३ प्राणायाम की आवश्यकता क्यों प्राणायाम के अंग ५५ ५६ विषयाच्चेपी प्राणायाम ५६ प्राणायाम का महत्व ५६ प्राणायाम के लिए उपयुक्त समय ५६ प्राणायाम की तैयारी। ५६ प्राणायाम में प्रयोग होने वाले बन्ध ५७ मूलबन्ध ५७ जालन्धर बन्ध उड्डीयान (३०) निद्रा, तन्द्रा एवं आलस्य को दूर करने के लिए १४९ सन्द बुद्धि मस्तिष्क (Mental Retardation) को चेतन बनाने के लिए बाल पकना या गिरना १४९ फोड़ा-फुन्सी में शरीर की कृशता दूर करने के लिए १४९ सरदर्द पित्त-विकार १४९ पीठ दर्द में गले में खरास रहता हो या ध्यान काल में गला सूखता हो १४९ तनुकमिजाजी, थकावट, अनिद्रा अन्तःस्त्रावी ग्रन्थियों से सम्बन्धित रोगों को दूर करने के लिए स्वभाव से लज्जालु व्यक्तियों के लज्जा दूर करने के लिए १४९ तीचण बुद्धि बनाने के लिए हाथी पाव या फिलपाँव छात्रोपयोगी कुछ यौगिक क्रियायें | ||
942 |
_2ddc _cBK |