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041 _aHINDI
082 _a615.85 TRI
100 _aTripathi,Indradeva
245 _aVaidyaka Paribhasa Pradipa
260 _aVaranasi
_bChaukhambha Orientalia
_c2020
300 _a142p.
500 _aमङ्गलाचरणम् मान निरुपण की आवश्यकता विषय-सूची मान के सम्बन्ध में शार्कधर का मंत ३ मान के सम्बन्ध में अन्य मत दो प्रकार का साम सागध सान की परिभाषा शुष्क तथा आई दष्यों का मान कुरुवपात्र १ दूसरा सामान्य वचन २ अन्य सामान्य वचन ३ योगों के नाम निर्देश करने की विधि ७ कालिङ्ग सान की परिभाषा इव एवं आई जब्यों को दुगुना और भी शाङ्गधर के मत से द्रव्य ग्रहण करने का नियम स्नेह (घृत) आदि से सिद्ध द्रव्यों के गुण की अवधि ऋतुओं के अनुसार द्रब्यों के अंग ग्रहण करने का निर्देश सामान्यतः वस्तु निर्देश में दब्य ग्रहण का नियम विशेष लियस के अभाव में द्रव्य ग्रहण का निर्देश निर्दिष्ट औषच न प्राप्त होने पर प्रतिनिधिद्रव्य का निर्देश ८ पाँच प्रकार के कषाय का निल्याण स्वरस का निरूपण अन्य प्रकार सूखे द्रव्य का स्वरस निकालने की विधि अन्य प्रकार स्वरस की मात्रा का परिमाण स्वरस भेद से पुटपाकविधि पुट पाक का अन्य प्रकार कश्क बनाने की विधि लेने का निर्देश १० कुछ द्रव्यों को दुगुना ग्रहण का निषेध ११ ११ ११ १२ और भी १२ योग्य द्रव्य तथा अयोग्य द्रव्य का नियम शार्ङ्गधर का औषों के सम्वन्ध में कथन प्रशस्त देश में उत्पन्न द्रव्य १३ दूसरे आचार्यों के मत १४ निषिद्धदेश में उत्पन्न द्रव्य १४ भूत-आदि को दूर करने के मन्त्र १५ ओषधि उखाड़ने का मन्त्र १५ की विधि औषध द्रव्यों के अङ्ग ग्रहण का नियम १५ दूसरे का मत शाङ्गधर का मत १६ फाष्ट बनाने की विधि १२ कक्षक से थोड़े भिन्न चूर्ण का निरुपण और भी १३ शार्गधर के मत में काथ का निरूपण शीतकषाय बनाने की विधि दूसरे प्रकार से तण्डुलोदक (चावल का धोवन) बनाने विश्वामित्र के मातानुसार शीत तथा फाण्ड का लक्षण प्रकरण वश उष्णोदक का निरूपण (१०) जल का परिमाण स्नेह सिद्ध करने के लिये काष्ण ३३ दूसरा नियम कृथादि के अवान्तर भेद से छेह तीसरा नियम आदि का कथन ३३ चौथा नियम द्रष्यों की मात्रा विधि ३५ इव्य ग्रहण का पांचवा नियम दूसरों का मन अन्यत्र भी कह। है और भी कहा गया है कलिङ्ग तथा मागध मान के प्रयोग का विचार ३७ जल परिमाण के सम्बन्ध में पकाने वाले द्रव्य का परिमाण कहते हैं ३८ यवागू-आदि बनाने के लिये जल तथा ओषधि का परिमाण कल्क से पेया बनाने की विधि यवागू सिद्ध करने के लिये चावल का स्वरूप अन्न आदि (भात-आदि) सिद्ध करने के लिये जल की मात्रा मण्ड-आदि का लक्षण ३५ अन्य-आचायों का मत ३५ स्नेहनिर्माण में शार्ङ्गधर का मत ३५ स्नेहपाक का लक्षण दूसरों का मत सिद्धपाक के अन्य लक्षण घृत-तेल-गुड-आदि सिद्ध होने की अवधि गुड़ पाक का लक्षण लौहप्रदीप में त्रिविक्रमपाद के अनुसार लौह शोधन परिभाष ३८ पातञ्जलि के मत में लौहपाक- ३९ ४० का लक्षण लौहपाक का दूसरा लक्षण लौहपाक का तीसरा मत भावनाविधि का निरूपण दूसरे अन्य के अनुसार भावना देने की विधि यवागू बनाने की दूसरी विधि पासरस सिद्ध करने की विधि लाक्षारस बनाने की विधि प्रक्षेपविधि चूर्ण, करक आदि खाने का नियम व्यविशेष की मात्रा में दूसरों का मत रों के अनुसार मधु तथा शक्कर के प्रक्षेप का परिमाण चीरपकाने की विधि क्षारोदक बनाने की विधि अनुपानविधि का कथन अनुपान के सम्बन्ध में अन्यमत अनुपान के सम्बन्ध में अन्यमत अनुपान के सम्बन्ध में तीसरा मत अनुपान की मात्रा का कथन लौहसेवन के बाद अनुपान का निरूपण विशेष अनुपान का कथन बच्चों के औषधि की मात्रा बालकों की औषधि मात्रा के सम्बन्ध में अन्य आचार्यों का सत वेशवा अडलमूलक औषध खाने का समय कटवरादिक अन्य आचार्य के मत में औषध सेवन काल दधिकुचिका तया तक्रकूचिका अन्य मत से औषधसेवन का काल शीधु, आसव तथा मैरय आरनाल औषध सेवन का प्रथम काल अभ्लवदक औषध सेवन का द्वितीय काल कृशरा या त्रिशरा औषध सेवन का उनीय काल ७१ स्वल्पचुक्र औषध सेवन का चतुर्थ काल आसव तथा अरिष्ट का लक्षण औषध सेवन का पाचां समय शीधु क्रियाकाल की अवस्था का निरूपण सुरा के प्रकार भेद से नाम वारुणी निर्माण विधि चरक में चिणिस्या का निरूपण औषधियांकर्य की भी उपादेयता तुषाम्बु तथा सौवीर चातुरम्ल एवं पञ्चाम्ल की परिभाषा चरक के अनुसार तुषोदक पकाने पलवण की विधि चारस्नेह ७५ काञ्जीनिर्माण विधि आठ प्रकार का दूध शिण्डाको निर्माण प्रकार सर्वगन्ध मधुशुक्त निर्माण प्रकार दोनों प्रकार की त्रिफला ७६ खडयूष तथा काम्बलिक का लक्षण ज्युषण तथा श्रिमद ७६ तर्पण निर्माण प्रकार पञ्चचीरिवत ७६ मन्य का निर्माण पञ्चपलव उष्णोदक निर्माण प्रकार पत्रकोल तथा बडूचण औषधों का नाम लघु पञ्चमूल, बृहत्पञ्चमूल तथा पञ्चकर्म का निरुपण तथा संशो- दशमूल धन का उपयोग सृणपञ्चमूल पाँच प्रकार का शोधन कर्म पञ्चकर्म कराने की अवस्था कण्टकपञ्चमूल अष्टवर्ग पहले वमन विधि का निरूपण जीवनीयगण ७८ वमन के सम्वन्ध में चरक का मत श्वेतमरिच वमन के सम्बन्ध में अन्य म ज्येष्ठाम्बु तथा सुखोदक वमन विरेचनादि के लिये उपयुक्त ऋतु गुढान्यु दूसरी वस्ति की संशा अनुवासमवस्ति खियों को बस्ति देने की विधि वाह होने पर कर्तव्य विधि अनुवासन के योग्य पुरुष अनुवासन के अयोग्य व्यक्ति उत्तर बस्ति ग्रहण करने का फल फलवर्ति वस्ति के गुण स्नेहवस्ति देने का समय आनन्दसेम का कचित बस्ति मात्रा धूम्रपान का गुण वस्ति के हीन योग एवं अतियोग असमय तथा अधिक धूम्रपान के होने का दोष दोष अनुवासन की मात्रा धूम्रपान के भेद निरुहवस्ति की मात्रा धूम्रपान करने की विधि अनुवासन की मात्रा आदि धूम्रपान का निषेच अनेक बार स्नेहनवस्ति के दोष कवलरान्डूष धारण अनुवासन के अयोग्य सनुष्य गण्डूष और कवल में भेद बस्थापन के अयोग्य मनुष्य गण्डूष तथा कवल की मात्रा बस्ति के लिये विशेष निर्देश गण्डूष तथा कबल का समय निरूह बस्ति तथा निरूह का समय गण्डूष तथा कवलहीन आदि योग वाग्भट का वचन और भी साङ्गघर के मत में निरूहण वस्ति कब तक ग्रहण तथा गण्डूष की मात्रा का निरूपण चिकित्सामृत के अनुसार निरूह हुव्य का लक्षण रक्त मोक्षण में अधिक रक्त निकलने के दोष निरूह बस्ति के सम्बन्ध में कहा गया है सुनिरूद बस्ति का लक्षण ठीक-ठीक निहहण बस्ति न होने के लक्षण विशुद्ध रक्त वाले पुरुष का लक्षण रक्त मोक्षण का प्रयोग घृत मूच्छित करने की विधि सरसों के तेल की मूच्छेन विधि चार्मधर के मतानुसार उत्तर वस्ति पुरण्ड तल की मूर्च्छन विधि का निरूपण तिल तेल का मूर्जुन विधि उत्तर बस्ति की आत्रा तैल मूच्र्छन उत्तर बस्ति लगाने की विधि गन्धद्रव्य क्षियों के लिये बस्तिविधि दूसरे गन्ध द्रव्य बालकों की बस्तिविधि दूसरे ग्रन्थ के अनुसार तैल पाक जियों के बस्ति देने का समय का नियम अन्य आचार्य के मत में गन्ध द्रव्य की परिगणना मान-परिभाषा प्राचीन परिभाषिक मानों की तालिका प्राचीन तथा अर्वाचिन मानों का समन्वयात्मक तालिका कालिंग मान भारतीय तौल वर्तमान समय के प्रचलित मान तरल पदार्थ तौलने का प्रचलित मान द्रव्यग्रह-प्रकार द्रव्यग्रहण-नियम स्नेहपाक-परिभाषा स्नेहपाकविवेचन स्नेहपाक विज्ञान
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