000 11906nam a22001937a 4500
999 _c19971
_d19971
003 OSt
005 20240605113432.0
008 231111b xxu||||| |||| 00| 0 eng d
020 _a9788192808840
041 _aHINDI
082 _a620.11 DIX
100 _aDixit,Mahesh
245 _aPadartha Vigyan evam Ayurveda Etihas
260 _aJaipur
_bSakshi Publishing House
300 _a424p.
500 _a3 द्रव्य विज्ञानीयम् 1. आयुर्वेद निरुपण अनुक्रमणिका 1.1 आयु का लक्षण, स्वरूप, पर्याय, मान व प्रकार 1.2 आयुर्वेद का लक्षण, परिभाषा, प्रयोजन, अनादित्व व वेदत्व 1.3 सिद्धान्त के लक्षण व प्रकार 1.4 आयुर्वेद के मौलिक सिद्धान्तों का परिचय व महत्व 2. आयुर्वेद दर्शन निरुपण 2.1 आयुर्वेद की दार्शनिक पृष्ठभूमि 2.2 दर्शन निरुपण-दर्शन शब्द की निरुक्ति, परिभाषा एवं प्रकार 2.3 प्रमुख भारतीय दर्शनों का सामान्य परिचय व महत्व 2.4 आयुर्वेद एक स्वतंत्र मौलिक दर्शन 2.5 पदार्थ निरूपण पदार्थ शब्द की निरुक्ति, पद का लक्षण व भेद, पदार्थ की परिभाषा, भेद, आचार्य चरकमतानुसार पदार्थ विवेचन, आयुर्वेद के षटपदार्थों का महत्व एवं उपयोगिता, चिकित्सा में पदार्थ विज्ञान का प्रयोग 3.1 द्रव्य निरुपण निरुक्ति, लक्षण व भेद 3.2 पंचमहाभूत निरुपण विभिन्न दर्शन व आचार्यों (वैशेषिक, सांख्य, वेदान्त, मीमांसा, चार्वाक, न्याय, उपनिषद, सुश्रुत, चरक) के अनुसार सृष्टि विकास क्रम, पंच महाभूतों के लक्षण, गुण व भेद का विवेचन 3.3 काल निरुपण-निरुक्ति, व्युत्पत्ति, लक्षण व भेद (प्रविभाग), काल की द्रव्यत्व सिद्धि आयुर्वेद में काल का महत्व 3.4 दिक् निरुपण-लक्षण, दिक् की द्रव्यत्व सिद्धि, भेद व दिक्, ज्ञान का आयुर्वेद में महत्व 3.5 आत्मा निरुपण लक्षण, द्रव्यत्व, भेद, चरकानुसार आत्मा के लक्षणों की सिद्धि, ज्ञानोत्पत्ति प्रक्रिया 3.6 पुरुष निरुपण आयुर्वेद में वर्णित पुरुप विवेचन 3.7 मनो निरुपण-निरुक्ति, पर्याय, लक्षण, उत्पत्ति, गुण, विषय, कर्म, मन का त्रिदोषों के साथ सम्बन्ध, मन के दोष, भेद, व स्थान, व्याधि अधिष्ठान एवं मन का उभयेन्द्रियात्मकत्वम् व पंचभूतात्वकम् 3.8 देह प्रकृति व मानस प्रकृति के निर्माण में पंच महाभूत, त्रिदोष एवं त्रिगुणों की भूमिका 3.9 तम निरूपण-तम के द्रव्यत्व की सिद्धि तथा उसके दशम द्रव्यत्व का खण्डन/मण्डन 3.10 द्रव्य विज्ञानीयम् की चिकित्सा में प्रायोगिक उपयोगिता गुण विज्ञानीयम् 4.1 गुण की निरुक्ति, लक्षण, संख्या, परिगणन व वर्गीकरण 4.2 शब्दादि पर गुणों का यथाक्रम निरुपण 4.3 गुण विज्ञानीयम् की चिकित्सा में प्रायोगिक उपयोगिता . कर्म विज्ञानीयम् 5.1 कर्म का लक्षण एव न्यायदर्शनानुसार प्रभेद 5.2 आयुर्वेदानुसार कर्म का विवेचन 5.3 कर्म विज्ञानीयम् की चिकित्सा में प्रायोगिक उपयोगिता 6. सामान्य विज्ञानीयम् 6.1 सामान्य के लक्षण व भेद 6.2 सामान्य विज्ञानीयम् की चिकित्सा में प्रायोगिक उपयोगिता विशेष विज्ञानीयम 7.1 विशेष के लक्षण व भेद 7.2 विशेष विज्ञानीयम् की चिकित्सा में प्रायोगिक उपयोगिता 7.3 'प्रवृत्तिरूभयस्य तु' विवेचन समवाय विज्ञानीयम् 8.1 सम्बन्ध के प्रकार व समवाय लक्षण 8.2 समवाय विज्ञानीयम् की चिकित्सा में प्रायोगिक उपयोगिता अभाव विज्ञानीयम् 9.1 अभाव का लक्षण, पदार्थत्व व भेद 9.2 अभाव व आयुर्वेद तथा आयुर्वेद में अभाव विज्ञानीयम् का चिकित्सीय महत् प्रमाण विज्ञानीयम् (परीक्षा विज्ञानीयम् ) 179-19 10.1 परीक्षा की परिभाषा, महत्व, आवश्यकता एवं उपयोगिता 10.2 प्रमा, प्रमेय, प्रमाता व प्रमाण निरूपण 10.3 प्रमाण का प्राधान्य, महत्व व प्रकार 10.4 आयुर्वेद में प्रमाण निरुपण एवं चतुर्विध परीक्षा विधि 10.5 अन्यान्य प्रमाणों का तीन प्रमाणों में अन्तर्भाव 10.6 चिकित्सा में परीक्षा विधि की प्रायोगिक उपयोगिता आप्तोपदेश प्रमाण (आप्तोपदेश परीक्षा) 11.1 आप्त व आप्तोपदेश लक्षण 11.2 शब्द विवेचन शब्द लक्षण व प्रकार 11.3 वाक्यार्थ या शब्दार्थ बोधक वृत्तियां (अभिधा, लक्षणा, व्यंजना एवं तात्पर्याख्या) तथा शक्तिगृह हेतु 11.4 वाक्य विवेचन-वाक्य स्वरूप, वाक्यार्थ ज्ञान हेतु-आकांक्षा, योग्यता एवं सन्निधि 11.5 आयुर्वेद एवं दर्शान्तरों में आप्तोपदेश प्रमाण का महत्व प्रत्यक्ष प्रमाण (प्रत्यक्ष परीक्षा) 12.1 प्रत्यक्ष के लक्षण, भेद व प्रभेद 12.2 इन्द्रिय प्राप्य कारित्वम् एवं सन्निकर्ष विवेचन 12.3 इन्द्रिय निरुपण इन्द्रिय व्युत्पत्ति, उत्पत्ति, प्रकार, इन्द्रिया पंचपंचक, पंचकर्मेन्द्रिय, इन्द्रियों की पांच भौतिकता एक तुल्ययोनित्वता 12.4 त्रयोदशकरण, अन्तःकरण का प्राधान्य 12.5 प्रत्यक्षानुपलब्धि कारण (प्रत्यक्ष ज्ञान में बाधक भाव), विविध यन्त्रों से प्रत्यक्ष का विस्तार एवं प्रत्यक्ष प्रमाण के अतिरिक्त अन्य प्रमाणों की आवश्यकता 12.6 शरीर क्रिया, रोगनिदान, चिकित्सा व अनुसंधान के क्षेत्र में प्रत्यक्ष प्रमाण की उपयोगिता 13. अनुमान प्रमाण (अनुमान परीक्षा) 13.1 अनुमान व्याख्या-निरुक्ति, लक्षण तथा अनुमिति परामर्श, व्याप्ति, पक्षर्धमता, पक्ष-सपक्ष-विपक्ष, व्याप्य, व्यापक, अविनाभाव सम्बन्ध अयुत् सिद्ध 13.2 आचार्य चरक व न्याय दर्शनानुसार अनुमान प्रकार 13.3 पंचावयव-प्रतिज्ञा, हेतु उदाहरण (दृष्टान्त) उपनयन, निगमन 13.4 तर्क निरुपण 13.5 शरीर क्रिया, रोगनिदान, चिकित्सा व अनुसंधान के क्षेत्र में अनुमान प्रमाण की उपयोगिता 14. युक्ति प्रमाण (युक्ति परीक्षा) 14.1 युक्ति लक्षण व विमर्श 14.2 युक्ति प्रमाण का आयुर्वेद में महत्व 14.3 युक्ति प्रमाण की चिकित्सा में प्रायोगिक उपयोगिता 15. उपमान प्रमाण (उपमान परीक्षा) 15.1 उपमान विवेचन-निरुक्ति, लक्षण व भेद 15.2 चिकित्सा में उपमान प्रमाण की उपयोगिता 16. कार्य कारण सिद्धान्त 16.1 कार्य व कारण-लक्षण व प्रकार 16.2 कार्यकारण भाव (सिद्धान्त) का आयुर्वेद में महत्व
700 _aDixit,Jyoti
942 _2ddc
_cBK