000 | 11567nam a22001937a 4500 | ||
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082 | _a615.538 MAN | ||
100 | _aManohar Ram | ||
245 | _aAyurved Samhita Addhyayan | ||
260 |
_aNew Delhi _bChaukhambha _c2022 |
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300 | _a382p. | ||
500 | _a1. संहिता परिचय विषय-सूची ऋतुचर्या ऋतुसंधि संहिता की परिभाषा एवं भे संहिता (बृहत्त्रयी) के टीका रोगानुत्पादनीय एवं उनके टीकाकार तंत्रयुक्ति, तंत्र दोष एवं तंत्र गुण धारणीय वेग बृहत्त्रयी की रचना एवं भाषा शोधन चिकित्सा शैली अधारणीय वेग एवं चिकित्सा हित आहार-विहार सेवन अनुबन्ध चतुष्ट्य 6. द्रवद्रव्यविज्ञानीय अष्ट प्रश्न जल वर्ग त्रिविध ज्ञानोपाय दुग्ध वर्ग अष्टांग हृदय संहिता-सूत्रस्थान (1-15 अध्याय) इक्षु वर्ग मधु वर्ग आयुष्कामीय 36-45 तेल वर्ग अष्टांग हृदय परिचय 36 मद्य वर्ग अग्नि-कोष्ठ स्वरूप 37 रस, वीर्य, विपाक, प्रभाव, 7. अन्नस्वरूपविज्ञानीय गुण परिचय 39 रोग-आरोग्य स्वरूप 40 शिम्बी - सामान्य गुण रोग-आतुर परीक्षण 40 मूत्र वर्ग शूक धान्य सामान्य गुण कृतान्न वर्ग - सामान्य गुण 91- देश एवं काल परिचय 40 मांस वर्ग - सामान्य गुण चिकित्सा भेद 41 शाक वर्ग - सामान्य गुण पाद चतुष्ट्य स्वरूप फल वर्ग - सामान्य गुण व्याधि साध्यासाध्वत्व औषध - सामान्य गुण 3. दिनचर्या 8. अन्न रक्षा दिनचर्या विहार सविष लक्षण शुद्धि नियम सविष परीक्षा धर्मपालन एवं सवृत्त पालन सविष-लक्षण-औषध 4. ऋतुचर्या षड्ॠतु विरूद्ध आहार सात्मीय करण आयुर्वेद संहिता अध्ययन 9. मात्राशितीय आहार-शयन-अब्रह्मचर्य त्रिविध कारण आहार मात्रा त्रिविध रोग मार्ग हीन-मात्रा, अति-मात्रा आतुर परीक्षा भाव भोजन दोष 14. दोषोपक्रमणीय त्रिदोष उपक्रम अलसक, विसूचिका अपतर्पण चिकित्सा शुद्ध अशुद्ध चिकित्सा लक्षण आत्मा अजीर्ण के भेद दिशा-औषध-काल भोजन-सम्यक् योग 15. द्विविधोपक्रमणीय कुक्षि विभाग लंघन-वृंहण सिद्धान्त अनुपान 10. द्रव्यादि विज्ञानीय 157-163 द्रव्य सर्वश्रेष्ठत्व द्रव्यस्य पंचभौतिककत्वम् पंचभौतिक द्रव्यानाम गुण वीर्य-विपाक-प्रभाव सिद्धान्त 11. रसभेदीय षड्दर्शनम् उत्पत्ति षड्स परिचय षड्रस कर्म, गुण, अतियोग लक्षण 12. दोषादिविज्ञानीय दोष-धातु-मल दोष-धातु-मल प्रकृति विकृति कर्म दोष-धातु-मल आश्रय- आश्रयी भाव अग्ग्रि रोगी की सम्प्राप्ति ओज 13. दोष भेद शोधन-शमन अतिस्थौल्य-अतिकृश 16. शोधनादिगण संग्रह कर्मानुसार द्रव्यों का संग्रह 2 कर्म तथा घटक के अनुसार द्रव्यों का संग्रह चरक संहिता-सूत्रस्थान ( 17. दीर्घञ्जीवितीयाध्याय आयुर्वेदावतरण आरोग्य आतुरवर्ग प्रधान कर्म त्रिसूत्र आयुर्वेद षट्पदार्थ आयुर्वेदस्य लक्षण तत्व प्रयोजन आयु का लक्षण एवं पर्याय सामान्य विशेष लक्षण त्रिदण्ड त्रिविध व्याधि हेतु संग्रह आत्मामन लक्षण शरीर एवं मानस दोष साध्यासाध्य विकार चिकित्सा दोष एवं दोष भेद रस वर्णन द्रव्य भेद प्रयोग प्रयोग 18. अपामार्ग तण्डलीय अध्य शिरोविरेचन द्रव्य एवं उनके प्रयोग वमन द्रव्य एवं उनके प्रयोग औषध नाम-रूप-उपयोगज्ञान गण्डून भिषम् कर्तव्य अभ्यंग युक्त भैषज्य लक्षण परिमार्जन ववगंध माल्यादि धारण शौच विधि क्षौर कर्म पाद धारण छत्र धारण अस्थापन द्रव्य एवं उनके 22. तस्याशितीयध्याय संवत्सर का वर्गीकरण अनुवासन द्रव्य एवं उनके विसर्ग काल आदान काल अठ्ठाइस यवागू-वर्णन षड् ऋतुचर्या पंचकर्म महत्व एवं वैद्य गुण हंसोदक 19. आरग्वधीय सात्म्य बत्तीस सिद्धतम चूर्ण-प्रदेह 23. न वेगान्धारणीयमध्याय अधारणीय-धारणीय वेग 20. षड्विरेचनशताश्रितीयध्याय षड् विरेचन आश्रय लक्षण कषाय योनि व्यायाम पंचविध कषाय कल्पना देह प्रकृति 21. मात्राशितीयमध्या आहार मात्रा मात्रावत आहा आगन्तुज एवं प्ज्ञापराध व्याधि 24. इन्द्रियोपक्रमणीयमध्याय इन्द्रिय, इन्द्रिय द्रव्य, आहार के गुण अधिष्ठान अर्थ, बुद्धि आहार मात्रा फल मानस लक्षण आहार सेवन विधान मन का एकत्व स्वस्थवृत्त इन्द्रिय पंचक अंजन अध्यात्म द्रव्य गुण संग्रह धूम्रपान महाभूत इन्द्रिय संबंध नस्य प्रकृति विकृति हेतु दन्तधावन सदवृत्त अनुष्ठान जिह्वानिर्लेखन 25. खुड्डाकचतुष्पादध्याय चिकित्सा लक्षण चिकित्सा चतुष्पाद रोग-आरोग्य लक्षण आयुर्वेद संहिता अध्ययन 27. तिखैषणीयाध्याय त्रिविध एषणा वैद्य, द्रव्य, परिचारक, परलोक एवणा वैद्य प्रधानत्व आतुर गण चतुर्विध परीक्षा चतुर्विध प्रमाण द्वारा पुनर्जन्म वैद्य कर्तव्य षड् वैद्य लक्षण की सिद्धि त्रय-उपस्तम्भ वैद्य वृत्ति त्रिविध बल अर्थ, कर्म और काल का अतियोग, हीनयोग, मिथ्याय चतुष्पाद भैषजम्लमारोग्याति (आत्रेय-कर्ता) 26. महाचतुष्पाद अध्याय त्रिविध रोग मानस व्याधि की चिकित्सा भेषज-अभेषजो तुल्यत्व त्रिविध वैद्य प्रतिवादन (मैत्रेय-कर्ता) त्रिविध औषध आत्रेय द्वारा इसका उपचार परीक्ष्यकारिणो हि कुशला भवन्ति चिकित्सा सूत्रम् चिकित्सायाम् यशालाभे कारणम साध्य-असाध्य का विभाजन सुख-साध्य लक्षणम् च्छ साध्य लक्षणम् प्य् लक्षणम् प्रत्याख्येय लक्षणम् मिथ्या बुद्धि का बहुमुखी उपयोग अष्टत्रिक 28. वातकलाकलीय अध्याय 373- वात दोष, गुण और कर्म पर विभिन्न आचार्यों का मत वात गुण वायु प्रकोप-प्रशमन कारण अकुपित-कुपित वायु कर्म वात दोष-चिकित्सकीय उपयोग अकुपित-कुपित पित्त कर्म अकुपित-कुपित कफ कर्म त्रिदोष पर आत्रेय का विस्तृतीकरण | ||
650 | _aAyurveda Samhita | ||
942 |
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