000 | 03034nam a2200133Ia 4500 | ||
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003 | OSt | ||
005 | 20250526141133.0 | ||
008 | 160930s9999 xx 000 0 und d | ||
100 | _aSharma, S. N. | ||
245 | _aShree Madbhagvad Geeta : Ratnavali ( Part-2) | ||
260 |
_aAgra _bH. P. Bhargava Book House |
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500 | _aविषय-सूची अध्याय शीर्षक श्लोक 1. बुद्धिर्ज्ञानमसम्मोहः क्षमा सत्यं दमः शमः सन्दर्भश्लोक पृष्ठ संख्या 10:4 1-4 2. निर्वैरः सर्वभूतेषु यः स मामेति पाण्डव 11:55 5-9 3. अद्वेष्टा सर्वभूतानां मैत्रः करुण एव च 12:13 10-15 4. अमानित्वमदम्भित्वमहिंसा क्षान्तिरार्जवम् 13:7 16-22 5. तत्र सत्त्वं निर्मलत्वात्-प्रकाशकमनामयम् G 14:6 23-26 उच्यते सर्वारम्भपरित्यागी गुणातीतः स 7. निर्मानमोहा अध्यात्मनित्या विनिवृत्तकामाः जितसङ्गदोषा 6. 8. अभयं सत्त्वसंशुद्धिर्ज्ञानयोग-व्यवस्थितिः 14:25 27-30 15:5 31-38 16:1 39-44 9. त्रिविधं नरकस्येदं द्वारं नाशनमात्मनः 16:21 45-49 (x) अध्याय शीर्षक श्लोक सन्दर्भश्लोक पृष्ठ संख्या 10. जितात्मानः प्रशान्तस्य परमात्मा समाहितः 6:7 45-48 11. समलोहाश्म काञ्चनः 6:8 49-52 12. युक्ताहारविहारस्य युक्तचेष्टस्य कर्मसु 6:17 53-56 13. चंचलं हि मनः प्रमाथिवलवदृढ़म् 6:34 57-61 14. मनुष्याणां सहस्त्रेषु कश्चिद्यतति सिद्धये 7:3 62-66 15. चतुर्विधा भजन्ते मां जनाः सुकृतिनोऽर्जुन 7:16 67-70 16. अंतकाले च मामेव स्मरन्मुक्त्वा कलेवरम् 8:5 71-75 17. शुक्लकृष्णे गती होते जगतः शाश्वते मते 8:26 76-78 18. पत्रं, पुष्प, फलं तोयं यो में भक्त्या प्रयच्छति 9:26 79-84 19. उपसंहार 85-96 | ||
942 |
_cBK _2ddc |
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999 |
_c4699 _d4699 |