PADARTHA VIGYAN EVUM AYURVED ITIHAS
Material type:
- 9788176373555
- 620.11 JAI
Item type | Current library | Collection | Call number | Vol info | Status | Notes | Date due | Barcode | |
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MAMCRC LIBRARY | MAMCRC | 620.11 JAI (Browse shelf(Opens below)) | VOL-1 | Not For Loan | Reference Books | A2746 | ||
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MAMCRC LIBRARY | MAMCRC | 620.11 JAI (Browse shelf(Opens below)) | VOL-1 | Available | A2747 | |||
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620.11 HEG Textbook of Dravyaguna Vijnana | 620.11 HEG Textbook of Dravyaguna Vijnana | 620.11 JAI PADARTHA VIGYAN EVUM AYURVED ITIHAS | 620.11 JAI PADARTHA VIGYAN EVUM AYURVED ITIHAS | 620.11 JAI PADARTHA VIGYAN EVUM AYURVED ITIHAS | 620.11 JAI PADARTHA VIGYAN EVUM AYURVED ITIHAS | 620.11 JAI PADARTHA VIGYAN EVUM AYURVED ITIHAS |
विषय-सूची
पदार्थ विज्ञान एवं आयुर्वेद इतिहास आयुर्वेद, पदार्थ और दर्शन (प्रश्नपत्र प्रथम)
खण्ड अ ५० अंक
प्रथम-अध्याय- आयुर्वेद निरुपण
१. लक्षण, सूत्र, महत्त्व, आवश्यकता, उपादेयता, निरुक्ति, व्युत्पत्ति
२. आयु के लक्षण एवं उसके संघटक, आयुर्वेद के लक्षण
३. सिद्धान्त के लक्षण एवं उसके भेद
४. आयुर्वेद के मूलभूत (मौलिक) सिद्धान्तों का परिचय एवं उनकी आयुर्वेद में उपादेयता और महत्त्व
द्वितीय अध्याय - आयुर्वेद दर्शन निरुपण
१. आयुर्वेद के मौलिक सिद्धान्तों की दार्शनिक पृष्ठभूमि
२. दर्शन शब्द की व्युत्पत्ति, दर्शन के प्रकार तथा भारतीय दर्शनों की संक्षिप्त जानकारी के साथ न्याय, वैशेषिक, सांख्य, योग दर्शन का वर्णन
३. आयुर्वेद एक श्रेष्ठ एवं स्वतंत्र दर्शन
४. पदार्थ लक्षण, संख्या, भेद, भाव और अभाव पदार्थ, चरक के अनुसार कारण पदार्थ
तृतीय अध्याय - द्रव्य विज्ञानीयम्
१. द्रव्य लक्षण, संख्या, भेद
२. पञ्चमहाभूत-सृष्टि उत्पत्ति के विभिन्न सिद्धांत (तैत्तिरीयोपनिषद्, न्याय, वैशेषिक, सांख्य, योग, शंकराचार्य, चरक और सुश्रुत) प्रत्येक भूत के लक्षण और गुण
३. काल-व्युत्पत्ति, लक्षण, भेद तथा काल का आयुर्वेद में महत्त्व
४. दिक् लक्षण, भेद, आयुर्वेद में दिक् का महत्त्व
५. आत्मा का लक्षण, भेद, अधिष्ठान, गुण, चरक के अनुसार आत्मा के लिंग, ज्ञान उत्पत्ति की प्रक्रिया (आत्मनः ज्ञानस्य प्रवृतिः)
६. आयुर्वेद के अनुसार पुरुष-अतिवाहिक पुरुष/सूक्ष्मपुरुष/राशिपुरुष/ चिकित्सा पुरुष/कर्मपुरुष/षड्ङ्घात्वात्मक पुरुष
७. मन का लक्षण, पर्याय, गुण, अर्थ, कार्य, उभयात्मकं मनः, व्याधियों का अधिष्ठान मन, मन का पञ्चभूतात्मकत्वम्
८. देह प्रकृति और मानस प्रकृति में पञ्चमहाभूत एवं त्रिगुण की
९. दशम् द्रव्य के रुप में तम
१०. उपरोक्त द्रव्य विज्ञानीयम् (द्रव्य, पञ्चमहाभूत, काल, दिशा आत्मा, मन आदि) का आयुर्वेद में प्रायोगिक महत्त्व
विषय
(खण्ड-ब ५० अंक
चतुर्थ अध्याय-गुण विज्ञानीयम्
१. गुण की व्युत्पत्ति तथा लक्षण, न्याय, वैशेषिक और चरक के अनुसार गुणों के प्रकार एवं संख्या अर्था, गुर्वादि गुण, परादि गुण, अध्यात्यम गुण का वर्णन
२. ४१ गुणों के प्रकार (या ४१ गुणों के लक्षण)
३. गुण का प्रायोगिक और चिकित्सकीय महत्त्व
पञ्चम अध्याय-कर्म विज्ञानीयम्
१. कर्म का लक्षण, न्याय के अनुसार प्रकार
२. कर्म का आयुर्वेद के अनुसार वर्णन
३. कर्म का आयुर्वेद में प्रायोगिक उपयोग
पष्ठ अध्याय- सामान्य विज्ञानीयम्
१. सामान्य के लक्षण एवं भेद
२२०,
२. द्रव्य, गुण, कर्म के संदर्भ में सामान्य का प्रायोगिक उपयोग
सप्तम अध्याय - विशेष विज्ञानीयम्
१. विशेष का लक्षण एवं भेद
२. द्रव्य, गुण, कर्म के संदर्भ में विशेष का प्रायोगिक उपयोग
३. 'प्रवृत्तिरुभयस्य तु' का महत्त्व
अष्टम अध्याय-समवाय विज्ञानीयम्
१. समवाय का लक्षण
२. समवाय का आयुर्वेद में प्रायोगिक और चिकित्सकीय उपयोग
नवम अध्याय - अभाव विज्ञानीयम्
१. अभाव का लक्षण एवं भेद
२. अभाव का आयुर्वेद में चिकित्सकीय महत्त्व
परिशिष्ट (Appendices)
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