Susruta Samhita : Shaarira, Chikitsa avam Kalpasthan
Material type:
- 9788176373227
- 615.538 THA
Item type | Current library | Collection | Call number | Vol info | Status | Notes | Date due | Barcode | |
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MAMCRC LIBRARY | MAMCRC | 615.538 THA (Browse shelf(Opens below)) | Vol.II | Not For Loan | Reference Books | A2848 | ||
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MAMCRC LIBRARY | MAMCRC | 615.538 THA (Browse shelf(Opens below)) | Vol.II | Checked out to SAVITHA VISWAN M F0677 (mu01811) | 09/06/2025 | A2849 | ||
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615.538 THA Susruta Samhita : Sutra avam Nidan Sthan | 615.538 THA Susruta Samhita : Shaarira, Chikitsa avam Kalpasthan | 615.538 THA Susruta Samhita : Shaarira, Chikitsa avam Kalpasthan | 615.538 THA Susruta Samhita : Shaarira, Chikitsa avam Kalpasthan | 615.538 THA Susruta Samhita : Uttaratantram | 615.538 THA Susruta Samhita : Uttaratantram | 615.538 THA Susruta Samhita : Uttaratantram |
विषयानुक्रमणिका (शारीरस्थान)
प्रथमोऽध्यायः (प्रथम अध्याय)
सर्वभूतचिन्तानामक शरीर की व्याख्या
नष्टार्तव का कारण एवं चिकित्सा
२
१ प्रजोत्पादन के लिए समर्थ शुद्ध शुक्र
२
अव्यक्त का निरुपण
महत्तत्व की उत्पत्ति
इन्द्रियों की उत्पत्ति
पञ्चतन्मात्राओं की उत्पत्ति
१
एवं शुद्ध आर्तव
३
ऋतुकाल में स्वी का आहार-विहार
२
३
अऋतुकाल में मैथुन करने से दोष
२
२४ तत्वों की व्याख्या
ज्ञान एवं कर्मेन्द्रियों के विषय
३
गर्भ स्थित होने पर पुत्र अथवा कन्या की कामना ३
यम की उत्पत्ति
३
४
आठ प्रकृतियां एवं १६ विकार
नपुंसक सन्तान की उत्पत्ति
३
चौबीस तत्वों का वर्ग अचेतन
५
सन्तान की चेष्टाएँ
३
६
प्रकृति तथा पुरुष के साधर्म्य तथा वैधर्म्य की व्याख्या ७
पाप जन्य गर्भ आदि का वर्णन
3
पुरुष भी सत्व, रज, तमोमय कई आचार्यों का मत
पूर्वजन्म के कर्मों का प्रभाव
८
वैद्य जगत का कारण स्वभाव मानते हैं
तृतीयोऽध्यायः (तृतीय अध्याय)
९
अव्यक्त का चिकित्सा में उपयोग नहीं
१२
इन्द्रियां अपने-अपने निश्चित विषय को ही ग्रहण
करती है
१४
आत्मा सर्वगत नहीं, नित्य होती है
१४
पञ्चभूत तथा आत्मा का समवाय र्कमपुरुष
१४
कर्मपुरुष के गुणों का निर्देश
१५
सात्विक, राजसिक मन के गुण
१६
आकाशादि महाभूतों के गुण
१७
पञ्चमहाभूतों के गुण एक दूसरे में प्रविष्ट कर
जाते है
१८
द्वितीयोऽध्यायः (द्वितीय अध्याय)
शुक्र शोणित शुद्धि शारीर अध्याय की व्याख्या
गर्भावक्रान्ति शारीरं नामक अध्याय
शुक्र तथा आर्तव का स्वरुप
गर्भावतरण प्रक्रिया
पुत्र, पुत्री, नपुंसक की उत्पत्ति के हेतु
ऋतुकाल मर्यादा
ऋतुकाल के पश्चात योनि की स्थिति
युग्मदिन, अन्य दिनों में सम्भोग का फल
सद्योगृहीतगर्भा के लक्षण
गर्भिणी के लक्षण
गर्भिणी क्या न करें
गर्भ की मासानुमासिक वृद्धि
गर्भिणी की इच्छापूर्ति से सन्तान पर प्रभाव
२०
दूषित शुक्र
गर्भ पर पूर्व जन्म के कर्मों का प्रभाव
२०
पांचवें से आठवें माह के गर्भ का स्वरुप
दोषों से दूषित शुक्र
२०
आठवें माह में उत्पन्न बालक जीता नहीं
साध्य एवं असाध्य
२०
दूषित आर्तव
गर्भ का पोषण
२२
गर्भोत्पत्ति क्रम के विभिन्न मत
चिकित्सा
२२
शुद्ध शुक्र के लक्षण
२४
आर्तव शुद्धि की चिकित्सा
२४
शुद्ध आर्तव के लक्षण
२५
असृग्दर के लक्षण
२५
माता, पिता, रस, आत्मा, सत्व एवं सात्म्य से
उत्पन्न होने वाले शरीर के भाग
पुत्र, पुत्री अथवा नपुंसक के जन्म होने
की पूर्व जानकारी
(4x)
अलस चूहे, कषाय दन्त, कुतिम अजित अपल फणिन कोकिल के काटने के राक्षण अरुण आदि पांच चूहों के काटने के लक्षण एवं
मक्षिका के काटने पर लक्षण
६९६
मा के काटने पर ताण असाध्य माने जाने वाले कीट
६९७
सभी कार के चूहों के काटने पर विधि
६९८
६९८
शिरीविरेचन एवं अम्रन
६९९
सिद्ध घृत पान
६९९ ६९९
विचरण की चिकित्वम
विवयुत शव, पूत्रपुरीष केप
क साध्य देश के लहाण
उम्र विष वाले कीटों की विकिरणा
वृतिक के काटने पर
एक जाति वाले कीटों के लिए अगद
गल गोलिका के विष की नष्ट करने वाली अगद
पागल कुत्ता अथवा खूगारत आदि के काटने के लक्षण काटने वाले प्राणि के समान वेष्टाएँ करने वाला
७००
शतपदी के विष की चिकित्सा
मण्डूक विषों की अगद
मर जाता है।
७०१
विश्वम्भरा कीटों की चिकित्सा
अरिष्ट लक्षण
७०१
अहिण्डुका जाति विषों की चिकित्सा
जल त्रास असाध्य है
७०१
पशुओं के काटने पर रक्त विस्रावण
७०२
शरपुला आदि से बनी कचौड़ी खिलाएं
७०३
पागल कुत्ते के काटने पर औषधि
७०.३
हिंसक पशुओं के नाखून अथवा दान्त से बने क्षत
का विर्मदन करे
७०४
अष्टमोऽध्यायः (आठवां अध्याय)
कोट कल्प का व्याख्यान
७०४
सांपों के शुक्र, मल, मूत्र, शव के पूतिभाव से
उत्पन्न चार प्रकार के कीट
७०५
अठारह प्रकार के वायव्य कीट
७०५
चौबीस प्रकार के आग्नेय कीट
७०६
तेरह प्रकार के सौम्य कोट
७०६
बारह प्रकार के सान्निपातिक कीट
७०६
तीक्ष्ण विष कीटों के काटने पर होने वाले लक्षण
७०७
मन्द विष कीट के काटने पर होने वाले लक्षण
७०७
गर विष के लक्षण
७०८
कण्भ जाति के कीट काटने पर लक्षण
७०९
गोघेरक के काटने पर लक्षण
७०९
गोधेरक के काटने पर लक्षण
७०९
कण्डूमका, शुकवृन्स, पिपीलिका के विषों की विकिन्त्या
प्रतिसूर्यक की चिकित्मा
बिच्छू तीन प्रकार के
मन्द विष वाले बिच्छुओं के नाम, लक्षण तथा कर्म
मध्य विष वाले बिच्छुओं के नाम, लक्षण तथा कर्म तीक्ष्ण विष वाले बिच्छुओं के नाम, लक्षण तथा कर्म
उम्र विष दष्ट एवं मध्य विष दष्ट की चिकित्सा
मकड़ी का विष अति भयानक
व्यक्ति विषजुष्ट है अथवा निर्विष में औषधि प्रयोग
मकड़ी का विष थोड़ी मात्रा में फैला हो दो
जानना मुशकिल
मकड़ी के विष के दिन अनुसार लक्षण
उग्र विष वाली मकड़ियां सात दिन में रोगी को
मार देती है
लूताओं का पुरातन काल का इतिहास एवं उत्पत्ति। दो
प्रकार की लूताऐं एवं उन के नाम
लूताओं के विशेष लक्षण
सभी लूताओं के विष में श्लेष्मातक का लेप
असाध्य विष वाली लूताओं के दंश के लक्षण
असाध्य लूताओं की चिकित्सा का प्रत्याख्यान निर्देश
गल गोलिका के काटने पर लक्षण
७०९
साध्य लूताओं की चिकित्सा
शतपदी के काटने पर लक्षण
७०९
विश्वम्भरा के काटने पर लक्षण
७१०
अहिण्डका कण्डुमका, शुकवृन्ता के काटने पर लक्षण पिपीलिका के काटने पर लक्षण
७१०
नस्य अञ्जन आदि दस विधियों से लूता विष चिकित्स
कीटों के काटने से उत्पन्न व्रणों की चिकित्सा
शोफ के निवृत्त हो जाने पर कर्णिका को निकाले
चिकित्सा से बढ़कर और कोई पुण्यशाली वस्तु नहीं
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