Astanga Hrdayam
Material type:
- 9789386660824
- 615.538 KUS
Item type | Current library | Collection | Call number | Vol info | Status | Notes | Date due | Barcode | |
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MAMCRC LIBRARY | MAMCRC | 615.538 KUS (Browse shelf(Opens below)) | Vol. I | Not For Loan | Reference Books | A2770 | ||
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MAMCRC LIBRARY | MAMCRC | 615.538 KUS (Browse shelf(Opens below)) | Vol. I | Checked out to DEEPA J. G. F0662 (MU01800) | 21/05/2025 | A2771 | ||
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MAMCRC LIBRARY | MAMCRC | 615.538 KUS (Browse shelf(Opens below)) | Vol. I | Available | A2772 |
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615.538 KUS Caraka Samhita | 615.538 KUS Astanga Hrdayam | 615.538 KUS Astanga Hrdayam | 615.538 KUS Astanga Hrdayam | 615.538 KUS Caraka Samhita | 615.538 KUS Caraka Samhita | 615.538 KUS Caraka Samhita |
अष्टाङ्गहृदय विषयानुक्रमणिका सूत्रस्थानम्
विषय
९. प्रथमोऽध्यायः आयुष्कामीय
मङ्गलाचरण
पृष्ठ |
विषय
आयुर्वेद का अवतरण अष्टाङ्गहृदय का वैशिष्ट्य
आयुर्वेद के उपदेशों का आदर करें
१०६४
रोग एवं आरोग्य का कारण
रोग एवं आरोग्य की परिनाक
आयुर्वेद के आठ अङ्ग
द्विविध रोग
१०
व्याधि का अधिष्ठान
दोषों के नियत काल
वातादि दोषों के विशेष स्थान
विकृत एवं अविकृत दोषों के कार्य
२२
मानसिक दोष
१४
रोगी परीक्षा अथवा आतुर परीक्षा
२८
रोग परीक्षा
१८
देश के भेद
अग्नि का स्वरूप।
१९
भूमि (भू) देश के प्रकार
कोष्ठ के भेद
२००
औषधि उपयोग काल
प्रकृति-स्वरूप विवेचन
२२
औषधि के भेद
वायु के गुण
२३
शारीरिक दोषों की परम् औषधि
पित्त के गुण
२६
शोधन एवं शमन रूप औषधि
कफ के गुण
२६
मानस दोषों की परम् औषधि
संसर्ग एवं सन्निपात
२७
चिकित्सा के चतुष्पाद
दृष्य विवेचन
२७
भिषक् (चिकित्सक) के गुण
मल विवेचन
२८
औषध के गुण
दोषादि की वृद्धि एवं क्षय का कारण
२८
परिचारक के गुण
कायिक कर्म
२९
आतुर के गुण साध्यताऽसाध्यता के आधार पर व्याधि के
२९
वाचिक कर्म
२९
मानसिक कर्म
सुख साध्य व्याधि के लक्षण
२९
कृच्छ्रसाध्य के लक्षण
षड् रस
३०
याप्य व्याधि के लक्षण
दोषानुसार रसों के कर्म
३१
अनुपक्रम (असाध्य) के लक्षण
द्रव्य के तीन भेद
३२
साध्य रोगी की चिकित्सा का निषेध
वीर्य विवेचन
३३
अष्टाङ्गहृदय के अध्यायों की संक्षिप्त यो
विपाक विवेचन
३४
सूत्रस्थान के अध्याय
गुण विवेचन
शारीरस्थान के अध्याय
(税込)
पृष्ट
विषय
१२
कत्पमिडिस्थान के अध्याय
६२
समभाव में रहने का निर्देश
लोगों के अभिवाय के अनुसार कार्य करें विवर्गशून्य (रहित) कार्य का निषेध
मध्यम मार्ग का अनुकरण करें
२. द्वितीयोऽध्यायः दिनचर्या
उत्तररथान के अध्याय
रत्नादि का धारण
६५-१०५
64
छत्र एवं पादत्र (जूता) धारण का निर्देश विशेष परिस्थिति में रात्रि में निकलने का विन
प्रातः जागरण
६६
दातौन कब करें
दन्तपवन के अयोग्य रोगी
६८
चैत्यादि के लङ्घन का निषेध
६९
निषिद्ध कर्मों का विवेचन
अञ्जन का विधान
७०
रसाजन का प्रयोग
सवृत्त के लक्षण
७१
अध्यायोक्त विषयों का उपसंहार
अजनोत्तर कर्म
७२
आचमन एवं मुख प्रक्षालन का विधान
ताम्बूल का निषेध
अभ्यङ्ग सेवन से लाभ
७२
जिह्वा निर्लेखन विधि
अभ्यङ्ग के विशेष स्थान
७३
एक सौ आठ माङ्गलिक द्रव्य
अभ्यङ्ग का निषेध
७४
आजीविका के साधन
व्यायाम से लाभ
७४ ३
. तृतीयोऽध्यायः ऋतुचर्या
१
व्यायाम का निषेध
७५
विषयारम्भ
व्यायाम के योग्य काल एवं मात्रा
७५
ऋतुओं के नाम
मर्दन का विधान
७६
आदानकाल का स्वरूप
अति व्यायाम के दोष
७७
विसर्गकाल का स्वरूप
निषेध्य अन्य कर्म
७७
ऋतुओं के अनुसार बल का विचार
उद्वर्तन के गुण
७७
हेमन्त ऋतुचर्या
स्नान के गुण
७८
मूर्ध तैल
उष्णोदक के स्नान की विधि एवं निषेध
७९
हेमन्त ऋतु में निवास
स्नान के लिए अयोग्य पुरुष
७९
शिशिर ऋतुचर्या
भोजन करने का विधान एवं अन्य व्यवस्था
८०
वसन्त ऋतुचर्या विवेचन
धर्मपरायण बनने का निर्देश
८१
मित्र एवं शत्रु के प्रति कर्तव्य
८२
दस प्रकार के पाप कर्म
८२
अन्य कर्तव्य
८३
जीव मात्र के प्रति अपनापन का भाव रखें
८३
इनके प्रति आदर भाव रखें
८४
शत्रु के प्रति भी अच्छा वर्ताव करें
८४
वसन्त ऋतु में मध्याह्न कहाँ व्यतीब
वसन्त ऋतु में वर्जनीय आहार-विन
ग्रीष्म ऋतुचर्या विवेचन
सेवनीय आहार-विहार
ग्रीष्म ऋतु में विशेष आहार-विहा
मद्यसेवन की विधि
मद्यपान विधान के विरुद्ध पान के
(税込)
पृष्ट
विषय
१२
कत्पमिडिस्थान के अध्याय
६२
समभाव में रहने का निर्देश
लोगों के अभिवाय के अनुसार कार्य करें विवर्गशून्य (रहित) कार्य का निषेध
मध्यम मार्ग का अनुकरण करें
२. द्वितीयोऽध्यायः दिनचर्या
उत्तररथान के अध्याय
रत्नादि का धारण
६५-१०५
64
छत्र एवं पादत्र (जूता) धारण का निर्देश विशेष परिस्थिति में रात्रि में निकलने का विन
प्रातः जागरण
६६
दातौन कब करें
दन्तपवन के अयोग्य रोगी
६८
चैत्यादि के लङ्घन का निषेध
६९
निषिद्ध कर्मों का विवेचन
अञ्जन का विधान
७०
रसाजन का प्रयोग
सवृत्त के लक्षण
७१
अध्यायोक्त विषयों का उपसंहार
अजनोत्तर कर्म
७२
आचमन एवं मुख प्रक्षालन का विधान
ताम्बूल का निषेध
अभ्यङ्ग सेवन से लाभ
७२
जिह्वा निर्लेखन विधि
अभ्यङ्ग के विशेष स्थान
७३
एक सौ आठ माङ्गलिक द्रव्य
अभ्यङ्ग का निषेध
७४
आजीविका के साधन
व्यायाम से लाभ
७४ ३
. तृतीयोऽध्यायः ऋतुचर्या
१
व्यायाम का निषेध
७५
विषयारम्भ
व्यायाम के योग्य काल एवं मात्रा
७५
ऋतुओं के नाम
मर्दन का विधान
७६
आदानकाल का स्वरूप
अति व्यायाम के दोष
७७
विसर्गकाल का स्वरूप
निषेध्य अन्य कर्म
७७
ऋतुओं के अनुसार बल का विचार
उद्वर्तन के गुण
७७
हेमन्त ऋतुचर्या
स्नान के गुण
७८
मूर्ध तैल
उष्णोदक के स्नान की विधि एवं निषेध
७९
हेमन्त ऋतु में निवास
स्नान के लिए अयोग्य पुरुष
७९
शिशिर ऋतुचर्या
भोजन करने का विधान एवं अन्य व्यवस्था
८०
वसन्त ऋतुचर्या विवेचन
धर्मपरायण बनने का निर्देश
८१
मित्र एवं शत्रु के प्रति कर्तव्य
८२
दस प्रकार के पाप कर्म
८२
अन्य कर्तव्य
८३
जीव मात्र के प्रति अपनापन का भाव रखें
८३
इनके प्रति आदर भाव रखें
८४
शत्रु के प्रति भी अच्छा वर्ताव करें
८४
वसन्त ऋतु में मध्याह्न कहाँ व्यतीब
वसन्त ऋतु में वर्जनीय आहार-विन
ग्रीष्म ऋतुचर्या विवेचन
सेवनीय आहार-विहार
ग्रीष्म ऋतु में विशेष आहार-विहा
मद्यसेवन की विधि
मद्यपान विधान के विरुद्ध पान के
বিষয়।
१७८
वारी दुप के गुला
का गुण
८२
सारस जात (सरोग का वात)
१८३
१८٧
एक हाफ (थोड़ी आदि) का दुरव
चौण्डेय जल
आम दुग्ध के गुण
औद्भिद जल
शरवण या झरने का कल
दधि (दही) के गुण
१८४
विधिपूर्वक सेवितं मद्य के गुण
१८४
वापी का जल
अजा दधि के गुण
१८४
नदी का जल
माहिष दधि के गुण
१८४
जलसेवन के अयोग्य पुरुष
ऊँटनी का दही
१८५
उष्ण जल के गुण
शीतल जल के गुण
भोजन के समय जलपान की विधि
१८५
परिसुत दधि के गुण
१८६
उबाले हुए दूध की दही के गुण
१८७
दुग्ध से मक्खन निकालकर बनायी हुई दधि
अवश्याय जल
क्वथित शीतल जल के गुण
१८७
तक्र के गुण
१८९
मन्दक दधि
पद्मिनी जल
१८९
मस्तु (दही का पानी)
हिम का पानी
१८९
नवनीत के गुण
तुषार का जल
१८९
धृत के गुण
केदार का जल
बालू आदि से निकाला गया जल
१८९
पुराण घृत के गुण
१८९
गोदुग्ध एवं घृत की श्रेष्ठता
आनूप जल
१८९
इक्षु वर्ग
जाङ्गल क्षेत्र का जल
१८९
गन्ने के रस के गुण
साधारण जल
१८९
नारिकेल जल के गुण
कोल्हू से पेरा गया इक्षुरस
१९०
दिव्य व नादेय जल में श्रेष्ठ कौन?
पौण्ड्रक इक्षु
१९०
विकृत जल
फाणित के गुण
१९१
जल का पूर्ण निषेध नहीं है
१९१
धौत गुड़ के गुण
अवस्था विशेष के अनुसार जल विशेष
पुराण एवं नवीन गुड़ के गुण
का हिताहितत्व
१९१
अथ क्षीरवर्ग
मत्स्यण्डिका, खण्ड तथा सिता के गुण
यासशर्करा के गुण
गयों के १६ विच भेद
٢٢٧٩
चर्म (दस)
११४९
अस्थि गर्म (८)
११४९
स्नायु धर्म (२३)
११४९
धमनी मर्म (०९)
११५०
सिराभर्म (১৬)
११५०
सन्धि मर्म
शारीर
विषय प्रवेश
रिश के लक्षण एवं प्रगीजन
रिश एवं अरिट ज्ञान का महत्व
रिश को अरिष्ट समझने में कारण
रिश के दो भेद
अस्थायी रिष्ट एवं स्थायी रिए
रिट के लक्षण
केश एवं रोम विषयक रिष्ट
नेत्र विषयक रािष्ट
अन्य आचार्यों के विचार
नासिका विषयक रिष्ट
मांसमर्म के विद्ध होने पर उत्पन्न होने
ओष्ठ विषयक रिष्ट
वाले लक्षण
दन्त विषयक रिष्ट
अस्थि मर्म के विद्ध होने के लक्षण
११५२
जिह्वा विषयक रिष्ट
स्नायु मर्म के विद्ध होने के लक्षण
११५२
श्रीवादिगत सिंह के लक्षण
धमनी मर्म के विद्ध होने के लक्षण
११५२
अङ्ग सम्बन्धी शिष्ठ
सिरा मर्म विद्ध होने के लक्षण
११५२
स्रोतस् सम्बन्धी रिष्ट
शिश्न एवं अण्डकोश सम्बन्धी रिष्ट
सन्धि गर्म के विद्ध होने के लक्षण
११५२
षड् मास का रिष्ट
सद्यः प्राणहर मर्म एवं उनके विद्ध
शरीर सम्बन्धी रिष्ट
होने के लक्षण
११५३
सिरा व रोमकूप विषयक रिष्ट
कालान्तर प्राणहर मर्म
११५३
एक मास का रिष्ट
विशल्यघ्न मर्म
११५४
तीन से छः दिन का रिष्ट
वैकल्यहर मर्म
११५४
जिहा आदि से सम्बन्धी रिष्ट
रुजाकर मर्म
११५५
पन्दह दिन का रिष्ट
मों के प्रमाण
११५५
शरीर में एक साथ प्राकृत व विकृत
मर्माभिधात से मृत्यु का प्रकार
११५६
भावों का उत्पन्न होना
मर्म विद्ध की चिकित्सा
११५६
अङ्गुली विषयक रिष्ट
मर्म प्रदेश की रक्षा विशेष रूप से
छींक व कास विषयक रिष्ट
करनी चाहिए
११५७
उच्छ्वास विषयक रिष्ट
मर्माभिधात की चिकित्सा में सावधानी
गन्ध विषयक रिष्ट
रस विषयक रिष्ट
विषय
OWNE
शीतपिटिका आदि से सम्बि
११६८
हृदयादि विषयक रिश
सूत्र पुरीषादि विषयक रिए
आकाश आदि से सम्बन्धी रिए
१९८७
१९८८
इन्द्रिय की विकृति से रिप्स ज्ञान
अरुन्धती, ध्रुवतारा आदि विषयक रिप्ट
१९७१
तीन पक्ष (४५ दिन) का रिए
स्वर विषयक रिष्ट
११८८
नाभि आदि गत वायु की रिए
११८९
छायालयी रिष्ट
१९७२
मसूरिका सम्बन्धी रिह
छाया एवं प्रतिच्छाया
११७३
विस्फोट सम्बन्धी रिए
२१२०
प्रतिच्छाया का विकृत होना
११७४
क्षण सम्बन्धी स्टि
प्रभा के भेद
महाभूतों की पृथक् पृथक् छाया का रूप
११७४
भगन्दर सम्बन्धी रिष्ट
११९२
११७५
अन्य रिए
११२
छाया एवं प्रभा की व्यापकता
११७६
औषधि विषयक रिष्ट
रिष्ट के अन्य लक्षण
११७७
अदृष्ट रिष्ट
षड् मास का रिष्ट
११७७
मुमूर्ष की चिकित्सा का निषेध
एक मास का रिष्ट
११७९
रिष्ट ज्ञान की महत्ता
छः दिन का रिष्ट
११७९ ६.
षष्ठोऽध्यायः दूतादिविज्ञानीय शारीर १९९६-१८
११८०
विषयारम्भ
ज्वर विषयक रिष्ट
रक्तपित्त सम्बन्धी रिष्ट
दूतों के शुभाशुभ लक्षण
कास-श्वास के रिष्ट
११८२
अशुभ दूत के लक्षण
११८२
चिकित्सक की अवस्था विशेष से
यक्ष्मा सम्बन्धी रिष्ट
११८३
अशुभ का ज्ञान
छर्दि विषयक रिष्ट
११८३
देश व काल के अनुसार दूतागमन विचार
तृष्णा विषयक रिष्ट
११८३
दूत की अशुभ चेष्टाएं
मदात्यय विषयक रिष्ट
११८३
दूतागमन के अशुभ काल
अतीसार विषयक रिष्ट
११८४
अशुभ निमित्त
अश्मरी सम्बन्धी रिष्ट
११८५
अन्य दूसरे अशुभ लक्षण
प्रमेह सम्बन्धी रिष्ट
११८५
नर व मादा पक्षियों से शुभ व अशुभ का
पिटिका सम्बन्धी रिष्ट
११८५
शुभ भाव
गुल्म सम्बन्धी रिष्ट
११८५
अशुभ भाव
उदररोग सम्बन्धी रिष्ट
११८६
बोली (आवाज) का शुभाशुभत्व
पाण्डु रोग सम्बन्धी रिष्ट
११८६
वैद्य को निर्देश
शोफ सम्बन्धी रिष्ट
आतुर के आरोग्य होने के लक्षण
(४६)
पृष्ठ |
विषय
१२०५
दूत विषयक शकुन का उपसंहार
१२०५
अत्यन्त रिष्ट रूप स्वी
स्वप्न विषयक रिष्ट का प्रारम्भ
१२०५
ज्वर सम्बन्धी स्वप्न रिष्ट
१२०६
रक्तपित्त सम्बन्धी स्वप्न रिष्ट
१२०६
यक्ष्मा सम्बन्धी स्वप्न रिष्ट
१२०६
गुल्म सम्बन्धी स्वप्न रिष्ठ
१२०६
कुष्ठ सम्बन्धी स्वप्न रिष्ट
१२०६
प्रमेह सम्बन्धी स्वप्न रिष्ट
१२०७
उन्माद सम्बन्धी स्वप्न रिष्ट्र
१२०७
अपस्मार सम्बन्धी स्वप्न रिष्ट
१२०७
अन्य रिष्ट सूचक स्वप्न
१२०८
विषय
विविध प्रकार के अशुभ स्वप्न
शारीरस्थान की निरुक्ति
आरोग्य के लक्षण
दारुण स्वप्न दर्शन के हेतु
स्वप्न के भेद
स्वप्नों के फलाफल
रात्रि के प्रथम प्रहर में देखे गये स्वप्न का फल
महाफलदायी स्वप्न
अशुभ स्वप्न दर्शन में दानादि का फल
अशुभ स्वप्न के पश्चात् शुभ स्वप्न देखने का फल
शुभ सूचक सौम्य स्वप्न
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