Amazon cover image
Image from Amazon.com
Image from Google Jackets

Caraka Samhita

By: Material type: TextTextLanguage: Hindi Publication details: Varanasi Chaukhambha Orientalia 2022Edition: 2022Description: 940p. 18 c mISBN:
  • 9788176371490
DDC classification:
  • 615.538 KUS
Tags from this library: No tags from this library for this title. Log in to add tags.
Star ratings
    Average rating: 0.0 (0 votes)
Holdings
Item type Current library Collection Call number Vol info Status Date due Barcode
BOOKS BOOKS MAMCRC LIBRARY MAMCRC 615.538 KUS (Browse shelf(Opens below)) Vol. I Not For Loan A3106
BOOKS BOOKS MAMCRC LIBRARY MAMCRC 615.538 KUS (Browse shelf(Opens below)) Vol. I Checked out to Dr. Rekha Rani S0569 (MU00436) 21/10/2024 A3107
BOOKS BOOKS MAMCRC LIBRARY MAMCRC 615.538 KUS (Browse shelf(Opens below)) Vol. I Available A3108
BOOKS BOOKS MAMCRC LIBRARY MAMCRC 615.538 KUS (Browse shelf(Opens below)) Vol. I Available A3112
BOOKS BOOKS MAMCRC LIBRARY MAMCRC 615.538 KUS (Browse shelf(Opens below)) Vol. I Available A3113
BOOKS BOOKS MAMCRC LIBRARY MAMCRC 615.538 KUS (Browse shelf(Opens below)) Vol. I Available A3114

विषय
९. दीर्घक्षीवितीय अध्याय
चरक संहिता
विषयानुक्रमणिका
सूत्रस्थानम्
१-४२
पित्त के गुण एवं मन हेतु
कफ के गुण एशन के हे
रसों के भेद
इमों के उपयोगी कार्य
प्रभात भेद से इस्यों के मेद
इल्यों के प्रकारान्तर घंट
शिष्य-सूत्र
एकीयसूत्र
आयुर्वेदाबतरण
आयुर्वेद अध्ययन की परम्परा
हिमवत् पावं संभाषापरिषद् में उपस्थित महर्षि
पार्थिव द्रव्य
औद्भिद इण
इन्द्र द्वारा भरद्वार को आयुर्वेद का उपदेश
वनस्पति
त्रिसूत्र आयुर्वेद
१०
भरदाज द्वारा आत्रेयादि ऋषियों को उपदेश
१०
आत्रेय द्वारा अग्निवेशादि शिष्यों को उपदेश
वानस्थत्य
१२
अग्निवेशादि शिष्यों द्वारा अपने-अपने तन्व की रचना १२
ओषधि
आयुर्वेद अवतरण का उपसंहार
औद्भिद गण (चिकित्सार्थ प्रयोज्य अङ्ग)
१३
आयुर्वेद शब्द की व्युत्पत्ति
प्रशस्त द्रव्यों की गणना
१३
आयु के पर्याय
१४
मूलिनी द्रव्यों के नाम एवं कर्म
अन्य शास्त्री से आयुर्वेद की उत्कृष्टता
फलिनी द्रव्य
१४
सामान्य विशेष निरूपण
उपयोग
१५
सामान्य-विशेष के लक्षण
स्नेहों के भेद
१६
आयुर्वेद का अधिकरण
पड लवण
१८
अष्टविध मूत्र
कारण द्रव्य
१९
गुणों की संख्या
मूत्रों के गुण-कर्म तथा उपयोग
२०
कर्म की परिभाषा
भेड़ी का मूत्र
२०
समवाय-विवेचन
बकरी (अजा) का मूत्र
२०
द्रव्य के लक्षण
गोमूत्र
२१
भैंस का मूत्र
गुण के लक्षण
हाथी का मूत्र
कर्म के लक्षण
२२
आयुर्वेद का प्रयोजन
ऊँट का मूत्र
२३
अश्व का मूत्र
व्याधियों के हेतु
खर (गधी) का मूत्र
व्याधि के आश्रय
२४
अष्टविध दुग्ध
पर-आत्मा स्वरूप
२५
शोधनोपयोगी अन्य तीन वृक्ष
शारीरिक एवं मानसिक दोष
२६
शारीरिक एवं मानसिक व्याधियों की चिकित्सा
तत्त्वविद् की प्रशंसा
२७
दोषों के गुण एवं उनके प्रशमन के हेतु
योगवित् ही उत्तम चिकित्सक
वात के गुण एवं उनके प्रशमन के हेतु
योगवित् चिकित्सक की प्रशंसा
(30)
२. अपामार्गतण्डुलीच अध्याय
लेखनीय हषाব
४३-५०
भेदनीय महाकषाय संथानीय महाकवाग
V
दीपनीम महाकवाय
द्वितीय- चतुष्क कषायवर्ग
बल्यं महाकपाय
विरेचनोपयोगी दण्य
वर्थ महाकषाय
निरुपा बस्ति के प्रत्य
कण्ठन महाकषाय
एक्कर्म को कार्मुकता
४६
हृद्य महाकषाय
मावा एवं काल के विचार का फल
२८ प्रकार के सिद्ध यनागुओं का वर्णन
तृतीय षट्क कषायवर्ग
४८
यवागू-विवेचन
तृप्तिष्न महाकषाय
४९
अशोध्न महाकषाय
उपसंहार
योग्य चिकित्सक की प्रशंसा
५०
कुष्ठघ्न महाकषाय कण्डूष्न महाकषाय
३ . आरग्वधीय अध्याय
५१-५५
सिद्धतम् कुष्ठहर योगों का विवेचन
५१
क्रिमिष्न महाकषाय
मनःशिलादि लेप
५२
विषघ्न महाकषाय
पलाश निर्वाह रस
५३
चतुर्थ - चतुष्क कषायवर्ग
कोलादि लेप
स्तन्यजनन महाकषाय
बातरक्तनाशक लेप
५४
स्तन्यशोधन महाकषाय
गोधूमादि लेप-वातरक्तनाशक
रास्नादि प्रलेप-पार्श्वशूलनाशक
शुक्रजनन महाकषाय
शुक्रशोधन महाकषाय
शैवालादि प्रलेप-दाहनाशक
पञ्चम- सप्तक कषायवर्ग
सितादि प्रलेप-दाहनाशक
स्नेहोपग महाकषाय
शैलेयादि प्रलेप-शीतनाशक
५५
स्वेदोपग महाकषाय
शिरीषादि प्रलेप
वमनोपग महाकषाय
पत्रादि प्रलेप
विरेचनोपग महाकषाय
उपसंहार
४. षड्विरेचनशताश्रितीय अध्याय
विषयारम्भ
आस्थापनोपग महाकषाय
५६-७०
अनुवासनोपग महाकषाय
५६
छः सौ विरेचन योगों का वर्णन
विरेचन के छः आश्रय
पञ्चकषाय योनियाँ
कषाय कल्पनाओ के भेद
स्वरस
कल्क
मृत या क्वाथ
शौत
पचास महाकषायों की गणना
मूत्रविरजनीय महाकषाय
५९
मूत्रविरेचनीय महाकषाय
शिरोविरेचनोपग महाकषाय
५७
षष्ठ-त्रिक् कषायवर्ग
छर्दि निग्रहण महाकषाय
तृष्णा निग्रहण महाकषाय
५८
हिक्का निग्रहण महाकषाय
सप्तम्-पञ्चम कषायवर्ग
पुरीष सङ्ग्रहणीय महाकषाय
पुरीषविरजनीय महाकषाय
मूत्रसङ्ग्रहणीय महाकषाय
विषय
नवम्-पश्चक कषायका
शीतप्रायन महाकषाय
अङ्गमार्दप्रशमन महाकধার্য
शूलप्रशमन महाकषाम
दशम् पञ्चक कषायवर्ग
शोणिवस्यापन महाकषाय बेदनास्वापन महाकषाय
संज्ञास्थापन महाकषाय
१७
"
६८
प्रजास्थापन महाकषाय
व्यः स्थापन महाकषाय
आत्रेय का उत्तर
५०० कषायों से सम्बन्धित अग्निवेश की शङ्का
६९
अणु तेल में०
निर्माण विधि
पक्षात् कर्म
दातीन-विवेचन
दातीन से लाप
प्रशस्त दातौन
जीभी (जिह्वा निर्लेखनी)
सुगन्धित द्रव्यों का मुख में धारण
तैल गण्डूष धारण से लाभ
सिर पर स्नेह धारण के लाभ
उपसंहार
५. मात्राशितीय अध्याय
७०
कर्णपूरण से लाभ
मात्रावत् आहार की परिभाषा
७१-९०
अभ्यङ्गादि से लाभ
पादाभ्यङ्ग के गुण
स्वभावतः गुरु एवं लघु द्रव्य
७२
परिमार्जन के लाभ
मात्रा निर्धारण में गुरुता एवं लघुता की उपयोगिता
स्वच्छ वस्त्रधारण से लाभ
आहार-मात्रा
गन्धद्रव्य एवं मालाधारण के लाभ
७४
मात्रावत् आहार का फल
रत्नधारण से लाभ
गुरु द्रव्यों के सेवन का विधान
पैर एवं मल मार्गों की शुद्धि से लाभ
गुरु द्रव्यों के अभ्यास का निषेध
७५
क्षौर-कर्म के लाभ
अभ्यास योग्य द्रव्य
पादत्र धारण के लाभ
स्वस्थवृत्त-विवेचन
छत्र धारण से लाभ
७६
अञ्जन
दण्ड धारण से लाभ
७७
अञ्जन के गुण
स्वस्थवृत्त सम्बन्धी विषयों का उपसंहार
धूमपान-विधि
अध्यायोक्त विषयों का उपसंहार
७८
औषधि द्रव्य
६. तस्याशितीय अध्याय
स्नैहिकी धूमवर्ति
विषयोपक्रम
वैरेचनिक धूमवर्ति
संवत्सरविभाग
७९
धूमपान के गुण
विसर्ग काल
धूमपान का काल
८०
आदानकाल का विवेचन
धूमपान की कालमर्यादा
विसर्गकाल का विवेचन
सम्यक् धूमपान के लक्षण
आदान व विसर्गकाल का उपसंहार
अतिधूमपान के लक्षण
हेमन्त ऋतुचर्या
44
चरीय स्थिति
व्याण्ड आहार-विहार सेवनीय आहार-विहार
शरद ऋतुचर्या
वय स्थिति
सेभ्य आहार-विहार
निषिद्ध आहार-विहार
हसोदक उपसंहार
सात्म्य-विवेचन
अध्यायोक्त विषयों का उपसंहार
६. नवेगान्धारणीय अध्याय
अधारणीय वेग
अधारणीय वेगों के धारण से उत्पन्न
रोग एवं उनकी चिकित्सा
१०२
१०३
१०४
१०५
१०६-१२१
१०६
१०७
मूत्रवेग विधारण से उत्पत्र रोग एवं चिकित्सा
पुरीषवेग विधारण से उत्पन्न रोग एवं चिकित्सा
शुक्रवेग विधारण से उत्पन्न रोग एवं चिकित्सा
वातवेगावरोध जन्य व्याधिर्या एवं चिकित्सा
छर्दि वेग विधारण से उत्पन्न रोग एवं चिकित्सा
क्षक्यु वेग विधारण से उत्पन्न रोग एवं चिकित्सा
उद्‌गार वेग विधारण से उत्पन्न रोग एवं चिकित्सा जुम्भा वेग विधारण से उत्पन्न रोग एवं चिकित्सा
क्षुधावेग विधारण से उत्पन्न रोग एवं चिकित्सा
पिपासावेग विधारण से उत्पन्न रोग एवं चिकित्सा वाष्प वेग (अश्रु) विधारण से उत्पन्न रोग एवं चिकित्सा
१०८
निद्रा वेग विधारण से उत्पन्न रोग एवं चिकित्सा
पावंशिक हम के पालन से
देह-प्रकृति विवेचन
मलायन-शरीर के ৎ তিয়
स्वस्यवृत के नियमों के पालन का निर्देश
संशोधन काल
संशोधन विधि
रसायन-वाजीकरण चिकित्सा से लाभ
आगन्तुज एवं मानस व्याधियों के हेतु
आगन्तुज एवं मानस रोगों की निवृत्ति में हेतु
पुरुष के लिए हितकर
दभि का निषेध
उपसंहार
८. इन्द्रियोपक्रमणीय अध्याय
विषयोपक्रम
इन्द्रिय पञ्च पञ्चक विवेचन
मन का वैशिष्ट्य
मन का एकत्व
सत्त्वादि भेद से मन के भेद
ज्ञानोत्पत्ति की प्रक्रिया
पञ्छ ज्ञानेन्द्रियाँ
पञ्चेन्द्रिय द्रव्य
पञ्चेन्द्रिय अधिष्ठान
पञ्चेन्द्रिय अर्थ (विषय)
पञ्चेन्द्रिय बुद्धि
अध्यात्म द्रव्य-गुण-संग्रह
इन्द्रियों में महाभूतों का स्वरूप एवं
विषय ग्रहण में कारणता
इन्द्रियों के सम्यक् एवं असम्यक् योग के परिणाम
स्वास्थ्य संरक्षण के उपाय
विषय
(11)
सङ्क्तचर्चा-विवेचन अन्य सद्‌वृत्त विवेचन
भोजन विधि
अन्य सद्युत
पृष्ठ विषय
मानम आवृत
यज्ञादि विषयक सद्‌वृत्त
सद्वृत विषयक उपसंहार
अध्यायोक्त विषयों का उपसंहार
अनुक्त सद्वृत्त के पालन करने का निर्देश
१३७
माता-पिता को जन्म का कारण
ताले गत का खपढন
स्वभाववादी विना का खन्दन
पानिर्माणवादी पक्ष का खण्डन
यदुब्बावादी मत का खण्डम
बुद्धिमान पुरुष के कर्तव्य
परीक्षा के भेद
९. खुट्टाकचतुष्पाद अध्याय
विषयोपक्रम
१३८-१४५
आप्त के लक्षण
चिकित्सा के चतुष्पाद
१३८
आरोग्य की परिभाषा
१३९
चिकित्सा की परिभाषा
१४०
वैद्य के गुण
भेषज के गुण
परिचारक के गुण
१४१
आतुर के गुण
चिकित्सा में भिषक् की प्रधानता
१४२
अज्ञ वैद्य से चिकित्सा का निषेध
१४३
प्राणाभिसर वैद्य के लक्षण
राजवैद्य कौन
१४४
वैद्य की चार वृत्तियाँ
१४५
उपसंहार
१०. महाचतुष्पाद अध्याय
१४६-१५३
चतुष्पाद-विषयक पुनर्वसु आत्रेय के विचार
१४६
प्रत्यक्ष के लक्षण
अनुमान का स्वरूप
युक्ति प्रमाण के उदाहरण
युक्ति के लक्षण
उपसंहार
आप्तोपदेश प्रमाण द्वारा पुनर्भव की सिनि
पुनर्भवः सम्बन्धी अन्य आचार्यों के विचा
प्रत्यक्ष प्रमाण द्वारा पुनर्भव की सिद्धि
अनुमान प्रमाण द्वारा पुनर्भव की सिद्धि
युक्ति प्रमाण द्वारा पुनर्भव की सिद्धि
तीन-तीन संख्या वाले सात सूत्र
तीन उपस्तम्भ
त्रिविध बल
त्रिविध आयतन
स्पर्शनेन्द्रिय का व्यापकत्व
कर्म के अतियोगादि
चतुष्पाद-विषयक आचार्य मैत्रेय की शङ्का
शारीर के मिथ्यायोग
मैत्रेय की शङ्का का निवारण
१४८
वाणी के मिथ्यायोग
उपर्युक्त विषय में प्रत्यक्ष प्रमाण
१५०
मन के मिथ्यायोग
साध्यता असाध्यता सम्बन्धी विचार
कर्म के मिथ्यायोग
साध्यासाध्य के अनुसार व्याधियों के भेद
१५१
प्रज्ञापराध
सुख साध्य व्याधियों के लक्षण
कृच्छ्रसाध्य व्याधि के लक्षण
१५२
याप्य व्याधि के लक्षण
प्रत्याख्येय व्याधि के लक्षण
चिकित्सक को निर्देश
13
१५३
उपसंहार
-. तित्रैषणीय अध्याय
विषयानुक्रम
त्रिविध एषणाएं
० सं०-1
१५४-१८६
१५४
काल के लक्षण
त्रिविध रोगायतन विषय का उपसंह
युक्ति की महत्ता
त्रिविध रोग
मानस व्याधियों की चिकित्सा
मानस रोग चिकित्सा का उपसंहा
त्रिविध रोगमार्ग
शाखाश्रित रोग
मध्यम मार्गानुसारी रोग
१२. काकलाकालीम अध्याय
पाकक विषयक संभाषापरिषद्
१८५
१८७-१९६
१८७
बायु के क्या गुण है? का उत्तर
द्वितीय प्रश्न 'किमस्य प्रकोपणम्' का उत्तर 'उपशमनानि चास्य कानि तृतीय प्रश्न का उत्तर
चतुर्थ बहन असंधातवान एवं अनवस्थित होने से बायु को प्राप्त किये बिना प्रकोपण एवं प्रशमन करने वाने दव्या इसे किस प्रकार प्रकृपित एवं शान्त करते हैं।"
पक्रम प्रश्न शरीर एवं अशरीर में विचरण करने वाली
वायु के प्रकोप एवं प्रशमन के क्या लक्षण है?
शरीर में विचरण करने वाली कुपित वायु शरीर में कौन-कौन से कर्म करती है, का उत्तर। सप्तम प्रश्न-लोक में विचरण करने वाली प्राकृत वायु बाड़ा लोक में कौन-कौन से कार्यों को करती है।
अष्टम प्रश्न-बाड़ा लोक में विचरण करती हुई कुपित बायु के लोक में कौन-कौन से कर्म है?
१९०
वायु की विशेषतायें
१९१
राजर्षि वायोंविंद का पक्ष
१९४
मरीचि ने कहा
आचार्य काप्य के विचार
१९५
त्रिदोष सम्बन्धी विचारों पर पुनर्वसु आत्रेय के निष्कर्ष
पुनर्वसु आत्रेय के वचनों का परिषद् द्वारा अनुमोदन
अध्यायोक्त विषयों का उपसंहार
१९६
१३. स्नेहाध्याय
१९७-२१९
विषयोपक्रम
१९७
आचार्य अग्निवेश द्वारा स्नेह से सम्बन्धित पूछे गये प्रश्न"
इनहीं के पान का कमल काल विशेष एवं दोष विशेष के अनुसार
स्नेहपान के नियम
असमय में प्रयुक्त स्नेहपान के उपद्रव, स्नेही के अनुपान२०
स्नेह की २४ प्रविचारणाये प्रश्न
(कति काळ प्रविचारणा) का उत्तर
अच्छ पेय की श्रेष्ठता
स्नेह की अन्य प्रविचारणायें
प्रश्न संख्या ७-८ (स्नेह की मात्रा कितनी
होती है तथा उनके मान क्या है? का उत्तर प्रश्न संख्या ९ (कौन सी मात्रा किन रोगियों में प्रयुक्त
की जाती है?) का उत्तर
स्नेह की उत्तम मात्रा के योग्य रोग एवं रोगी
स्नेह की उत्तम मात्रा के गुण
स्नेह की मध्यम मात्रा के योग्य रोग एवं रोगी
स्नेह की मध्यम मात्रा के गुण
स्नेह की हस्व मात्रा के योग्य रोग एवं रोगी
स्नेह की ह्रस्व मात्रा के गुण
प्रश्न नं० १० (कौन सा स्नेह किसके लिए हितकर
है?) का उत्तर
घृतपान के योग्य पुरुष
तैल के योग्य पुरुष
वसापान के योग्य रोग एवं रोगी
मज्जापान के योग्य रोग एवं रोगी
प्रश्न नं० ११ (स्नेह का प्रकर्षकाल कितना?) का उत्त
प्रश्न नं० १२ (स्नेहन के योग्य कौन?) का उत्तर
प्रश्न नं० १३ (स्नेहन के अयोग्य कौन?) का उत्तर
अस्निग्ध पुरुष के लक्षण (प्रश्न नं० १४ का उत्तर)
सम्यक् स्नेहन के लक्षण
अतिस्निग्ध पुरुष के लक्षण (प्रश्न संख्या १६ का उ स्नेहपान के पूर्व पथ्यापथ्य
(५६)
विषय
पृष्ठ
विषय
ज्वर एवं कास
९१०
ज्वर, अतिस्गर एवं शोथ विषयक अरिष्ट
अन्य अशि
९११
७. पन्नरूपीय इन्द्रिय
९१३-९१७
विषयोपक्रम
९१३
प्रतिच्छाया विषयक अरिष्ट
डाया विकृति
विकृत छाया के भेद
छायाश्रितः अरिष्ट
छाया एवं प्रतिच्छाया
छाया के प्रकार
नाभसी छाया
वायवीय छाया
आग्नेय छाया
आम्भसी छाया
पार्थिव छाया
९१५
प्रभा के भेद
छाया एवं प्रभा में भेद
आहार विषयक अरिष्ट
९१६
श्वासोच्छ्‌वास विषयक अरिष्ट
नेत्र विषयक अरिष्ट
लिङ्ग एवं वृषण विषयक अरिष्ट
९१७
एक मास का अरिष्ट
उपसंहार
८. अवाक् शिरसीय इन्द्रिय
विषयोपक्रम
९१८-९२०
९१८
शिरोगत प्रतिच्छाया विषयक अरिष्ट
पदम विषयक अरिष्ट
केश विषयक अरिष्ट
नासिका सम्बन्धी अरिष्ट
९१९
दन्तविषयक अरिष्ट
जिह्वा विषयक अरिष्ट
श्वासोच्छ्वास विषयक अरिष्ट
उपसंहार
९२०
९. यस्यश्यावनिमित्तीय इन्द्रिय
विषयोपक्रम
९२१-९२३
नेत्र विषयक अरिष्ट
९२१
पित्तज व्याधि विषयक अरिष्ट
राजयक्ष्मा विषयक अरिष्ट
महाव्याधि विषयक अरिष्ट
आनाह विषयक अरिष्ट
चिकित्सा विषयक अरिष्ट
९२२
मिष्ठभूत पुरीष एवं शुक्र विषयक अरिष्ट
शङ्खक विषयक अरिह
उपसंहार
१०
. सद्योगरणीय इन्द्रिय
विश्योपक्रम अध्याय की प्रस्तावना
उपसंहार
११. अणुज्योतीय इन्द्रिय
विषयोपक्रम
१२
एक वर्ष के भीतर मृत्युकारक अरिष्ट के लक्षण
बलि विषयक अरिष्ट
अरुन्धती नक्षत्र विषयक अरिष्ट
षड् मास का अरिष्ट
एक मास के भीतर का अरिष्ट
नेत्र विषयक अरिष्ट
पञ्चमहाभूत विषयक अरिष्ट
चतुष्पाद विषयक अरिष्ट
आयु ज्ञान का फल
उपसंहार
१२. गोमयचूर्णीय इन्द्रिय
विषयोपक्रम
गोमयचूर्ण विषयक अरिष्ट
गति विषयक अरिष्ट
लेपानुलेप विषयक अरिष्ट
चिकित्सक विषयक अरिष्ट
औषध विषयक अरिष्ट
आहार विषयक अरिष्ट
दूताधिकार-प्रकरण
वैद्य विषयक अरिष्ट
९३२
पथ एवं आतुर गृह में पाये जाने वाले अपशकुन
आतुरगृह के अशुभ लक्षण
उपसंहार
इन्द्रियस्थानोक्त अरिष्टों का संग्रह
मुमूर्ष के लक्षण
छाया-प्रतिच्छाया विषयक अरिष्ट
शुक्रादि धातु विषयक अरिष्ट
आरोग्य का निर्णय
प्रशस्त दूत के लक्षण
माङ्गलिक द्रव्य
आरोग्य के लक्षण
उपसंहार
इन्द्रियस्थानोक्त विषयों का उपसंहार

There are no comments on this title.

to post a comment.
Visitor count:

Powered by Koha