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Astangahrdayam of Vagbhata

By: Material type: TextTextLanguage: HINDI Publication details: Varanasi Chaukhambha PrakashanDescription: 839pISBN:
  • 9789386735409
DDC classification:
  • 615.538 GUP
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पृष्ठ विषय
विषय
परिचारिका के गुण
१६
आयुष्कामीय अध्याय ।।१।।
रोगी के गुण
१६
चार प्रकार के रोग
मनुष्य का कर्तव्य
दशविध पागों की समीक्षा मित्र और शत्रु के प्रति आचरण
आयुर्वेद की प्रामाणिकता
कृच्छ्रसाध्य रोग
१७
के बनाने को कारण के
याच्य रोग
१८
इन्द्रियों का निग्रह
लोकप्रिय होने का निर्देश
आयुर्वेद के आठ अंग
असाध्य रोग
१८
कार्यारंभ विधान
तीन दोषों का वर्णन
दोषों का काल
जठराग्रि का स्वरूप
कोषा का भेद
त्याज्य रोगी के लक्षण
१८
स्वस्थवृत्त

सूत्रस्थान के अध्यायों के नाम १९
त्याज्य कर्म
लोकाचार का पालन

सदव्रत के लक्षण
सूत्रस्थान-विषयसूची
प्रकृतिस्वरूप का वर्णन

वायु के गुण

८ उत्तरस्थान के अध्यायों के नाम २०
कल्पस्थान के अध्यायों के नाम २०
चिकिस्तिस्थान के अध्यायों के नाम २०
पित्त के गुण
कफ के गुण

दिनचर्या अध्याय ।।२।।
संसर्ग और सन्निपात के गुण

प्रातः उठने का समय
२१
धातुओं का वर्णन

उठने के पश्चात् कर्तव्य
२१
शारीरस्थान के अध्यायों के नाम १९ निदानस्थान के अध्यायों के नाम १९
दिन-रात का विवेचन
आचार-पालन का परिणाम
ऋतुचर्या अध्याय ।।
३।।
षड्‌ऋतु वर्णन
बल का उपचयापचय काल
हेमन्तत्रऋतु में जठराग्नि का
प्रावल्य
मलों की संज्ञा

दन्तधावन का प्रतिषेध
२२
हेमन्तऋतु में ऋतुचर्या
वृद्धि और हास

सौवीरांजन (सुर्मा) के गुण
२२
हेमन्तऋतु में स्नान-भोजनादि
रसों का वर्णन

रसांजन की विधि
२३
व्यवस्था
रसों के गुण
१०
नस्यादि सेवनविधि
२३
हेमन्तऋतु में संभोग्य स्त्री
द्रव्य के भेद
१०
रोग विशेष में ताम्बूल का निषेध २४
हेमन्तऋतु में प्रशस्त गृह
द्रव्य के उष्ण और शीतवीर्य ११
तैलाभ्यंग के गुण
२४
शिशिर ऋतुचर्या
द्रव्य का विपाक
११
तैलाभ्यंग का निषेध
२४
द्रव्य के गुण
वसन्त ऋतुचर्या
११
व्यायाम से लाभ
२५
रोग का कारण
वसन्त के मध्याह्न में सेवनीय
११
रोगारोग्य का लक्षण और भेद १२
व्यायाम के अयोग्य मनुष्य
२५ व्यायाम की योग्यता और समय २५
स्थान
रोगों का अधिष्ठान
वसन्त में वर्ज्य पदार्थ
१२
मन को दूषित करने वाले दोष
व्यायाम के पश्चात् कर्तव्य
२५
१२
रोगज्ञान के उपाय
अतिव्यायाम तथा जागरणादि
ग्रीष्म ऋतुचार्य
१२
ग्रीष्म में भोजनादि व्यवस्था
रोगविशेष को जानने के उपाय
से हानि
२६
१३
उबटन से लाभ
ग्रीष्म में रात्रि-भोजन व्यवस्था
देशभेद
१३
औषध के भेद
स्नान के गुण
२६ ग्रीष्म के मध्याह्न में सेवनीय स्थाना
२६
१४
औषध का विषय
उष्ण जल से स्रान की विधि-
ग्रीष्म की रात्रि में सेवनीय स्थान
१४
चिकित्सा के पादभेद
निषेध
२६
वर्षा ऋतुचर्या
वैद्य के गुण
१४
स्नान के अयोग्य मनुष्य
२७
औषध के चार गुण
१५
भोजन तथा मल-मूत्रोत्सर्ग की
१५
परिचारक के गुण
व्यवस्था
२७
१५
सुखसाधन धर्म की प्रशंसा
२७
वर्षा में भोजनादि व्यवस्था
वर्षा में विशेष नियम
शरद् ऋतुचर्या
शरद् में भोजनादि व्यवस्था
हेगावरोधन निषेध
भलवेग रोकने से रोग
मूत्रवेग रोकने से रोश
अधोवायु के अवरोध से दोग
বিষয়
शरद में हंसीदक का भा शरद में संस्था सेवन विधि
शरद में
YE
रोगानुत्पादनीय अध्याय ।।
४।।

(१७)
५९
94
पुराने धूल के गुल
५६
VE
रोगों से बननेकपा
मलवेग रोकने से डापत्र रोग
४३.
गाङ्गोदक के गुण
द्रवद्रव्यविज्ञानीय अध्याय
४८ताँड (ग) के गुशी
गुड़ के गुण
५८
का उपाय
गागोदक का सक्षण
४९
शक्कर, नित्री आदि के गुण
१८
मूत्रवेग रोकने से वापत्र रोग का उपाय
४४
सामुद्र जल का लक्षण
गाङ्गोदक के अभाव में पेय जल
पता की कहार के गुण
अन्य शर्करा के गुण
५८
डकार रोकने से उत्पन्न रोग उपाय
४४
अपेय जल
५०
का छींक रोकने से उत्पन्न रोग का उपाय
४४
नदियों का पथ्यापथ्य जल
कूपादि का जल
५१
उष्णा मधु
४४
प्यास रोकने से उत्पन्न रोग का उपाय
जल पीने के अयोग्य रोगी
भोजन-समय जलपान से
५१ ५२.
शर्करा और फाणित का अनार
मधु के गुण
तैल के सामान्य गुण
एरण्ड तैल के गुण
रक्त एरण्ड के तेल गुण
गुणावगुण
५२
४४
ठंडा जल के गुण
सरसों के तेल के गुण
भूख रोकने से उत्पन्न रोग का उपाय
५२
बहेड़े के तैल के गुण
गरम जल के गुण
५२
४५
निद्रा रोकने से उत्पन्न रोग
क्वथित ठंडा जल के गुण
नारिकेल जल के गुण
५३
५३
का उपाय
४५
अन्तरिक्ष जल के गुण
५३
खाँसी रोकने से उत्पन्न रोग का उपाय
नीम के तेल के गुण
अलसी और कुसुम्भ तेल के गु
वसादि के गुण
मद्य के सामान्य गुण
दूध के भेद जल के गुण
५३
नये और पुराने मद्य के गुण
४५
दूध के साधारण लक्षण
५३
मद्यपान का निषेध
श्वास रोकने से उत्पन्न रोग का उपाय
गोदुग्ध के गुण
५३
सुरा के गुण
४५
भैंस के दुग्ध के गुण
५४
वारुणी के गुण
जंभाई रोकने से उत्पन्न रोग
बकरी के दुग्ध के गुण
५४
बहेड़े के मद्य के गुण के गुण
का उपाय
४५
ऊँटनी के दुग्ध के गुण
५४
यवसुरा अरिष्ट के गुण
आँसू रोकने से उत्पन्न रोग का उपाय
स्त्री के दुग्ध के गुण
५४
४५
भेंड़ी के दुग्ध के गुण
५४
द्राक्षामद्य के गुण
वमन रोकने से उत्पन्न रोग का उपाय
हथिनी के दुग्ध के गुण
५५
खजूरमद्य के गुण
४५
घोड़ी के दुग्ध के गुण
५५
शर्करामद्य के गुण
वीर्यस्खलन और मूत्रवेग रोकने से रोग
कच्चे दूध के गुण
५५
गुडमद्य के गुण
४६
पके और धारोष्ण दूध के गुण
५५
सीधु के गुण
असाध्य रोग
४६
दही के गुण
५५
महुवा के मद्य के गुण
वेगरोधजन्य रोगों में कर्तव्य
४६
तक्र के गुण
५६
शुक्त के गुण
रोकने योग्य वेग
दही के तोड़ के गुण
शुक्तों के भेद तथा गुण
विषय
कुष्टोत्यति के हेतु
कालादि से काफलादि कुचीको
महाकुषा के थात भेद
कुष्ठका पूर्वकप
करपाल कुस
उदुम्बर
मण्डत
विचर्चिका
वातशोणितनिदानाध्याय ।।
३७०
आमाशय में
३७०
कतरता रोग का निदाন
श्रोत्रादि में
किटिंष कुष्ठ
चर्मकुष्ठ तथा एक कुष्ठ
रक में
३७६
नातरय रोग के पूर्णप
३७०
मांस-मेदोगत
३७६
नातरक्त का शरीर में व्याप्त
३७१
अस्थिगत
३७६
वातरता के दी मेद
दू शतारु
अलसक तथा विपादिका कुष्ठ
३७१
३७९
मज्जगत
३७६
उत्तान वातरक्त
शुक्रगत
३७६
गम्भारी
कुष्ठ
३७१
सिरागत कुपित वायु
३७६
वाताधिक
३७१
स्नायुगत
३७६
रक्ताधिक
पुण्डरीक
३७१
संधिगत
३७६
पित्तानुविद्ध
विस्फोट तथा पामा कुष्ठ
चर्मदल तथा काकण कुष्ठ
३७१
सर्वांगगतः
३७७
कफानुविद्ध
३७१
धमनीगत
३७७
इन्द्रज
कुष्ठों में कोषों का बाहुल्य
३७२
अपतन्त्रक वायु के लक्षण
३७७
वातरक्त की साध्यासाध्यता
चिकित्सा के अयोग्य कुष्ठ
३७२
अपतानक रोग की उत्पत्ति
३७७
घातक वातरक्त
कुष्ठ की कृच्चड्राकृच्छ्र याप्यता
अन्तरायाम के लक्षण
३७७
प्राण वायु के कार्य
आदि
३७२
बहिरायाम
३७७
उदान
त्वचा आदि में स्थित कुष्ठ
३७२
व्रणायाम
३७८
व्यान वायु के कार्य
चित्र का निदान
३७२
गतवेग होने पर स्वस्थता
३७८
समान
वातादि से उत्पन्न श्वित्र
३७२
हनुस्रंस के लक्षण
३७८
अपान"
वर्णानुसार चित्र की
जिह्वास्तम्भ
के लक्षण
३७८
कष्टसाध्यतादि
३७३
जिह्वास्तम्भ
३७८
वायु के आवरण और भेद निराम वायु के लक्षाम
साम और
सित्र को साध्यासाध्यता
३७३
अर्दित (लकवा)
३७८
पित्तावरण
वायु के लक्षण
रोगों की संचरणशीलता
३७३
असाध्य सिराग्रह
३७८
कफावृत
कृमियों के दो भेद
३७३
एकांग (पक्षाघात)
३७९
रक्तावृत
जन्म तथा नाम से कृमियों
सर्वांग रोग
३७९
मांसावृत
के भेद
३७३
असाध्य पक्षाघात
३७९
मेदसावृत
बाह्य तथा आभ्यन्तर कृमि
दण्डक
अस्थ्यावृत
(३७)
विषय
पृष्ठ
विषय
मज्जावृत
"
पृष्ठ
विषय
शुक्रावृत
वायु के लक्षण
३८४
३८४
पित्तावृत व्यान
وه
अन्नावृत
"
पित्तावृत समान "
३८५
प्राणादिका आवरण से २० भेद
13
३८४
وو
पित्तावृत अपान "
३८५
आवरण के लक्षण
मत्रावृत
३८५
आवरण का ज्ञान
३८५
पुरीषावृत
"
وو
कफावृत प्राण "
وو
३८६
आवरणों का असंख्येयत्व
३८५
सर्वधात्वावृत
कफावृत उदान
رو
३८६
प्राण और उदान वायु की
३८५
कफावृत व्यान
دو
पित्तावृत प्राण
३८६
विशेषता
पित्तावृत उदान
وو
دو
وو
وو
३८५
कफावृत समान तथा अपानवायु
आवरणों का असाध्यत्व
आवरणों से विद्रध्यादि की उत्पत्ति

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