Amazon cover image
Image from Amazon.com
Image from Google Jackets

Caraka Samhita

By: Contributor(s): Material type: TextTextLanguage: HINDI Publication details: Varanasi Chaukhambha Bharati Academy 2023Description: 912pISBN:
  • 9789384541255
DDC classification:
  • 615.538 PAN
Tags from this library: No tags from this library for this title. Log in to add tags.
Star ratings
    Average rating: 0.0 (0 votes)
Holdings
Item type Current library Collection Call number Vol info Status Notes Date due Barcode
BOOKS BOOKS MAMCRC LIBRARY MAMCRC 615.538 PAN (Browse shelf(Opens below)) Vol. I Not For Loan Reference Books A5130
BOOKS BOOKS MAMCRC LIBRARY MAMCRC 615.538 PAN (Browse shelf(Opens below)) Vol. I Available A5131
BOOKS BOOKS MAMCRC LIBRARY MAMCRC 615.538 PAN (Browse shelf(Opens below)) Vol. I Available A5132
BOOKS BOOKS MAMCRC LIBRARY MAMCRC 615.538 PAN (Browse shelf(Opens below)) Vol. I Available A5133
BOOKS BOOKS MAMCRC LIBRARY MAMCRC 615.538 PAN (Browse shelf(Opens below)) Vol. I Available A5134

१. भेषचतुष्क
सूत्रस्थानम्
अध्यायः
दीर्घञ्जीवितीयमध्यायः
२. स्वास्थ्यचतुष्क
३. निर्देश-चतुष्क
४. कल्पनाचतुष्क
५. रोगचतुष्क
विषय-सूची
कर्मविशेष
लोक (जीवात्मा) का आधार
आयुर्वेद का अधिकरण
३-४४
द्रव्य गणना
कार्य द्रव्य
गुण गणना
कर्म का लक्षण
4
समवाय का लक्षण
4
द्रव्य का लक्षण
गुण का लक्षण
६. योजनाचतुष्क

कर्म का लक्षण
७. अम्रपानचतुष्क
लौकिक कर्म तीन प्रकार का होता है
८. संग्रहह्वय
4
१. आयुर्वेदावतरण (इतिहास)
३. धातु साम्य तथा त्रिदोष विज्ञान
4
भरद्वाज का इन्द्र के यहाँ गमन
आयुर्वेद तन्त्र का प्रयोजन
4
आयुर्वेद के पठन-पाठन की परम्परा
रोगों के त्रिविध कारण

महर्षियों के एकत्र होने में कारण
रोग का आश्रय
(७
महर्षियों की गणना

रोग का धर्मादि प्राप्ति में बाधकत्व
भरद्वाज की नियुक्ति तथा इन्द्र से वार्ता
शङ्का

त्रिसूत्र आयुर्वेद का स्वरूप
द्रव्य (औषध) सूत्र

भरद्वाज द्वारा ऋषियों का आयुर्वेद का उपदेश
१०
२. षट्-पदार्थ विज्ञान
१०
त्रिसूत्र आयुर्वेद का तत्कालीन व्यावहारिक स्वरूप
१०
पुनर्वसु आत्रेय का अग्निवेशादि छः शिष्यों को
आयुर्वेद का उपदेश
११
अग्निवेशादि के तन्त्रों का निर्माण
१२
आयुर्वेदीय तन्त्रों का सर्वत्र स्वागत
१२
आयुर्वेद की परिभाषा
आत्मा रोग का आश्रय नहीं
शारीरिक और मानसिक दोष
समाधान
शारीर एवं मानस रोगों का चिकित्सा सूत्र
युक्तिव्यपाश्रय
वात का लक्षण (गुण) और चिकित्सासूत्र
पित्त का लक्षण (गुण) एवं चिकित्सा सूत्र
कफ का लक्षण (गुण) एवं चिकित्सा सूत्र
साध्य रोगों का चिकित्सा-सूत्र और असाध्य
रोगों में चिकित्साभाव
अब इसके बाद पुनः द्रव्यों के अनुसार उनके
गुण कर्म का वर्णन किया जायेगा
१२
रस का लक्षण
आयु के लक्षण तथा पर्याय
रस के भेद
उभयलोकहित साधन में आयुर्वेद
रसों का कार्य
सामान्य तथा विशेष की परिभाषा
विशेष
४. द्रव्य-वर्गीकरण
गुण-विशेष
दोषों को प्रकुपित करने वाले रस
प्रभाव भेद से द्रव्यों के भेद
चरक संहिता
अध्याय २
अपामार्गतण्डु‌लीयमध्यायः
an
कर्यार्थ व्य-संग्रह
१. शीर्षविरेचन-द्रव्य तथा उनके प्रयोग
25
२. चमनं द्रव्य तथा उनके प्रयोग
३. विरेचन द्रव्य तथा उनके प्रयोग
३७
४. आस्थापन बस्ति (निरूह) के द्रव्य तया उनके प्रयोग
बुषिती इज्यों के प्रयोगस्थान
उधीश फालिनी इत्थों का निर्देश
५. अनुवासन बस्ति के द्रव्य
३८
पूर्वकर्म
कामिनी इच्यों के प्रयोग स्थल
३८
युक्ति का महत्त्व
चतुर्दिच महारनेह
३८
पाँच नमक
३८
सामान्यतः नमकों के गुण
३८
सूत्रों के नाम और संख्या
सामान्यतः मूत्रों के गुण
३९
सूत्रों के पृथक् पृथक् गुण
३९
आठ प्रकार के दुग्ध
३९
दुग्धों के सामान्य गुण
४०
पृथक् पृथक् दुग्धों के गुण
४०
२ अट्ठाइस यवागू-वर्णन
१. शूलनाशक यवागू
२. पाचनी तथा आही पेया
३. पञ्चमूल (लघु)
४. पित्तश्लैष्मिक अतिसाररोगघ्नी पेया
५. रक्तातिसारघ्नी पेया
६. आमातिसार तथा मूत्रकृच्छघ्नी पेया
७. मूत्रकृच्छ
शोधनार्थ तीन अन्य वृक्ष
४१
८. क्रिमिघ्नी यवागू
शोधनार्थ पुनः तीन वृक्ष
४१
९. पिपासा तथा विष में प्रयोगार्थ यवागू
उपर्युक्त तीनों का आमयिक प्रयोग
४१
१०. सोमराजी (वाकुची)
द्रव्यसम्बन्धी गणना का उपसंहार
४१
4 औषधि और चिकित्सक
११. काय तथा मेदोरोग में प्रयोगार्थ यवागू
वनवासियों का औषधि-परिचय में महत्त्व
४१ १२. भुने हुए गवेधुक (जोन्हरी, जनेरा, मकई इत्यादि)
४१
औषधि-नाम-ज्ञान ही सम्पूर्ण नहीं
४२
तत्त्वविद कौन?
४२
श्रेष्ठ चिकित्सक का लक्षण
४२
अविज्ञात तथा विज्ञात औषधि के प्रयोग का परिणाम
४२
४२
औषध के सम्यक् प्रयोग का महत्त्व
सम्यक् प्रयोग का महत्त्व
मूर्ख वैद्य की निन्दा
मूर्ख वैद्य द्वारा रोगी से धन लेने की निन्दा
चिकित्सक सदा प्रयत्नशील रहे
श्रेष्ठ औषध तथा चिकित्सक
चिकित्सा-साफल्य ही कसौटी है
अध्यायगत विषयों की सूची
१५. श्वास-कासघ्नी और पकाशयगत वात
(शूल) में प्रयोगार्थ पेया
४२
१७. सारक (रेचक) तथा ग्राही यवाग
४३
१८. ग्राही यवाग
४३
१९. भेदिनी (रेचक) तथा वातानुलोमनी यवागू
४३ २०. वातानुलोमनी यवागू
४३
२१. घृत तथा तैल-व्यापद् में प्रयोगार्थ यवागू
४३
२२. तैलव्यापादि यवागू
४४
२३. विषमज्वरघ्नी तथा कण्ठरोगघ्नी यवागू
१३. स्नेहन तथा रूक्षणार्थ पेया
१४. कुश का मूल और आमलक
१६. यमक (घृत तैल)
चरक संहिता
अध्याय २
अपामार्गतण्डु‌लीयमध्यायः
an
कर्यार्थ व्य-संग्रह
१. शीर्षविरेचन-द्रव्य तथा उनके प्रयोग
25
२. चमनं द्रव्य तथा उनके प्रयोग
३. विरेचन द्रव्य तथा उनके प्रयोग
३७
४. आस्थापन बस्ति (निरूह) के द्रव्य तया उनके प्रयोग
बुषिती इज्यों के प्रयोगस्थान
उधीश फालिनी इत्थों का निर्देश
५. अनुवासन बस्ति के द्रव्य
३८
पूर्वकर्म
कामिनी इच्यों के प्रयोग स्थल
३८
युक्ति का महत्त्व
चतुर्दिच महारनेह
३८
पाँच नमक
३८
सामान्यतः नमकों के गुण
३८
सूत्रों के नाम और संख्या
सामान्यतः मूत्रों के गुण
३९
सूत्रों के पृथक् पृथक् गुण
३९
आठ प्रकार के दुग्ध
३९
दुग्धों के सामान्य गुण
४०
पृथक् पृथक् दुग्धों के गुण
४०
२ अट्ठाइस यवागू-वर्णन
१. शूलनाशक यवागू
२. पाचनी तथा आही पेया
३. पञ्चमूल (लघु)
४. पित्तश्लैष्मिक अतिसाररोगघ्नी पेया
५. रक्तातिसारघ्नी पेया
६. आमातिसार तथा मूत्रकृच्छघ्नी पेया
७. मूत्रकृच्छ
शोधनार्थ तीन अन्य वृक्ष
४१
८. क्रिमिघ्नी यवागू
शोधनार्थ पुनः तीन वृक्ष
४१
९. पिपासा तथा विष में प्रयोगार्थ यवागू
उपर्युक्त तीनों का आमयिक प्रयोग
४१
१०. सोमराजी (वाकुची)
द्रव्यसम्बन्धी गणना का उपसंहार
४१
4 औषधि और चिकित्सक
११. काय तथा मेदोरोग में प्रयोगार्थ यवागू
वनवासियों का औषधि-परिचय में महत्त्व
४१ १२. भुने हुए गवेधुक (जोन्हरी, जनेरा, मकई इत्यादि)
४१
औषधि-नाम-ज्ञान ही सम्पूर्ण नहीं
४२
तत्त्वविद कौन?
४२
श्रेष्ठ चिकित्सक का लक्षण
४२
अविज्ञात तथा विज्ञात औषधि के प्रयोग का परिणाम
४२
४२
औषध के सम्यक् प्रयोग का महत्त्व
सम्यक् प्रयोग का महत्त्व
मूर्ख वैद्य की निन्दा
मूर्ख वैद्य द्वारा रोगी से धन लेने की निन्दा
चिकित्सक सदा प्रयत्नशील रहे
श्रेष्ठ औषध तथा चिकित्सक
चिकित्सा-साफल्य ही कसौटी है
अध्यायगत विषयों की सूची
१५. श्वास-कासघ्नी और पकाशयगत वात
(शूल) में प्रयोगार्थ पेया
४२
१७. सारक (रेचक) तथा ग्राही यवाग
४३
१८. ग्राही यवाग
४३
१९. भेदिनी (रेचक) तथा वातानुलोमनी यवागू
४३ २०. वातानुलोमनी यवागू
४३
२१. घृत तथा तैल-व्यापद् में प्रयोगार्थ यवागू
४३
२२. तैलव्यापादि यवागू
४४
२३. विषमज्वरघ्नी तथा कण्ठरोगघ्नी यवागू
१३. स्नेहन तथा रूक्षणार्थ पेया
१४. कुश का मूल और आमलक
१६. यमक (घृत तैल)
चरक संहिता
औषध
८७८
८७८
स्वापरिणाम
८७९
८७९
अध्याय ८
अवाकृशिरसीयमिन्द्रियम् ८८१-
शिल्प्रतियछायाविषयक अरिष्ट
नेत्रविषयक अरिह
अध्याय उपसंहार
भू तथा आवर्तविषयक अरिष्ट
कतमानिशरीरीवमिन्द्रियम् ८८०-८८२
केशविषयक अरिष्ट
नासाविषयक अरिष्ट
८८०
अचिकित्स्य रोगी
दन्तविषयक अरिष्ट
अतिसार तथा हिक्का की अरिष्टसूचकता
८८०
जिह्वाविषयक अरिष्ट
८८०
ज्वरकासविषयक अरिष्ट
श्वासविषयक अरिष्ट
मूत्रपुरीषविषयक अरिश
८८१
विविध अरिष्ट
८८१
शोधविषयक अरिष्ट
शालेच्या विषयक अरिष्ट
८८१
अध्याय ९
ज्वरकासविषयक अरिए
८८१
श्यावनिमित्तीयमिन्द्रियम् ८०
शोथ, ज्वर, अतिसारविषयक अरिष्ट
८८१
नेत्रविषयक अरिष्ट
विविध अचिकित्स्य रोगी
८८२
विविध अरिष्ट
अध्याय उपसंहार
८८२
राजयक्ष्माविषयक अरिष्ट
अध्याय ७
अष्ट महारोगविषयक अरिष्ट
पन्नरूपीयमिन्द्रियम्
८८३-८८८
आनाहविषयक अरिष्ट
प्रतिच्छाया विषयक अरिष्ट
संस्थान
प्रतिच्छाया की परिभाषा
छाया के ५ भेद
१. नाभसी छाया
८८३
विविध अरिष्ट
८८४
निष्ठयूत शुक्र और पुरीष विषयक अरिष्ट
८८४
शंखकरोग-विषयक अरिष्ट
८८४
तीन पक्ष का अरिष्ट
८८४
अरिष्ट का सम्पूर्ण रूप से ज्ञान आवश्यक
८८४
२. वायवी छाया
अध्याय - १०
३. आग्नेयी छाया
८८४
सद्योमरणीयमिन्द्रियम्
४. आम्भसी छाया
८८४
हृदयविषयक अरिष्ट
५. पार्थिवी छाया
८८४
विविध अरिष्ट
प्रभा की उत्पत्तिके कारण और भेद
८८५
वायुविषयक अरिष्ट
छाया और प्रभा में भेद
८८५
विविध अरिष्ट
छाया और प्रभा में अन्तर
८८६
सद्योमरणीय अरिष्टविषयक उपसंहार
१५ दिन का मारक अरिष्ट
८८६
आहार तथा मलमूत्र विषयक अरिष्ट
८८६
अध्याय ११
श्वासविषयक अरिष्ट
८८७
अणुज्योतीयमिन्द्रियम्
नेत्रविषयक अरिष्ट
८८७
एक वर्ष का अरिष्ट
विविध अरिष्ट
८८७
बलिविषयक अरिष्ट
लिङ्ग तथा वृषणविषयक अरिष्ट
अरुन्धती तारा-विषयक अरिष्ट
विषय-सूची
एक वर्ष का अरिष्ट
६ मास का अरिष्ट
८९९
२. पथ में अरिष्टसूचक लक्षण मार्ग में होने वाले अरिष्टों का विवेबन
८९९
१ मास का अरिष्ट
९००
शुक्र-सूत्र-पुरीषविषयक अरिष्ट
२००
१ मास का अरिष्ट
३. आतुरकुल में अरिष्टसूचक लक्षण
शयनादि-विषयक अरिष्ट
९००
मसूरिका विषयक अरिष्ट
४. मुख्य अरिष्टों का संग्रह
९००
विविध अरिष्ट
पूर्वोक्त अध्यायों का उपसंहार
९००
नेत्रविषयक अरिष्ट
मुमूर्षु व्यक्ति के अरिष्ट-लक्षण
९०१
इन्द्रिय-शक्ति का हास
विविध अरिष्ट
९०१
स्मृति का नाश
पञ्चमहाभूतविषयक अरिष्ट
९०१
विषम बुद्धि
आयु-परीक्षा आवश्यक
९०२
विविध अरिष्ट
अरिष्ट के लक्षण
९०२
स्पन्दनशील स्थान में विपरीतता
अध्याय १२
विविध अरिष्ट
गोमयचूर्णीयमिन्द्रियम् ९०३-९१२
औषधि प्रभावहीन
एक मास का अरिष्ट
प्रकृति-विकृति में परिवर्तन
९०३
पूर्वोक्त प्रसंग का उपसंहार
गतिविषयक अरिष्ट
९०३
मरणासन्न स्थिति की घोषणा सावधानी से करें
अर्धमास का अरिष्ट
९०३
प्रशस्त दूत के चिह्न
नौषधविषयक अरिष्ट
९०३
शुभ शकुन द्रव्य
नाहारविषयक अरिष्ट
९०४
उत्तम रोगी के लक्षण
१. दूताधिकार
९०४
आरोग्य का फल
वैद्यस्थिति-विषयक अरिष्ट
९०४
अध्याय का उपसंहार
स्वयंदूत-विषयक अरिष्ट
इन्द्रियस्थान के ज्ञान का फल

There are no comments on this title.

to post a comment.
Visitor count:

Powered by Koha